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Author: Dipanshu

कैसे करें सरकारी पर्यटन विकास निगम के होटलों की बुकिंग, साथ ही जानिए कुछ बेहतर होटलों के नाम

कैसे करें सरकारी पर्यटन विकास निगम के होटलों की बुकिंग, साथ ही जानिए कुछ बेहतर होटलों के नाम

इससे पहले लेख में मैंने सरकारी होटलों की व्यवस्था और उन होटलों की ख़ूबियों और कमियों के बारे में बात की थी। उसे पढ़ने के बाद कई पाठकों और दोस्तों के सुझाव मिले कि इन होटलों को बुक करने की पूरी प्रक्रिया, बुकिंग लिंक और अच्छे सरकारी होटलों के नामों की जानकारी दी जाए।  इन सुझावों पढ़कर मुझे लगा कि एक और लेख लिखना चाहिए जिसमें बुकिंग करने की प्रक्रिया के बारे में जानाकरी देने के साथ-साथ मैं अपने अनुभव…

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क्या सरकारी होटल रुकने के लिए हैं बढ़िया विकल्प- जानें क्या हैं इनकी ख़ूबियां और क्या है इनकी कमियां

क्या सरकारी होटल रुकने के लिए हैं बढ़िया विकल्प- जानें क्या हैं इनकी ख़ूबियां और क्या है इनकी कमियां

हम घूमने जाते हैं तो सबसे पहले रुकने के लिए बढ़िया होटल की तलाश करते हैं। ऐसा होटल जिसकी खिड़कि़यों से बर्फ से ढ़के पहाड़ों या समुद्र की उठती-गिरती लहरों का मज़ा लिया जा सके या ऐसा होटल जो घूमने की जगहों के बिल्कुल पास बना हो। ऐसे में होटल बुक करते समय हमारा ध्यान अक्सर सरकारी होटलों पर नहीं जाता। पर क्या आपने कभी सोचा है कि ये ख़ूबियां आपको सरकारी होटलों में भी मिल सकती हैं? मैंने अपनी…

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पटनीटॉप को नई पहचान दे रहा है स्काईव्यू पटनीटॉप – रोपवे के साथ एडवेंचर स्पोर्ट्स का मज़ा

पटनीटॉप को नई पहचान दे रहा है स्काईव्यू पटनीटॉप – रोपवे के साथ एडवेंचर स्पोर्ट्स का मज़ा

पिछले साल दिसंबर की एक खूबसूरत शाम मैं रोपवे से पटनीटॉप की तरफ बढ़ रहा था। पिछले कुछ दिनों से पटनीटॉप में भारी बर्फबारी हो रही थी। रोपवे से चलने के 5 मिनट बाद ही बर्फ से ढ़का पटनीटॉप नज़र आने लगा। रोपवे की ऊंचाई से तो यह नज़ारा बहुत शानदार दिखाई दे रहा था। चारों तरफ बर्फ से लदे देवदार के पेड़ दिखाई दे रहे थे। करीब 10-12 मिनट के बाद ही मैं पटनीटॉप पर था। रोपवे स्टेशन के…

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क्या अटल टनल से बदलेगी लाहौल-स्पीति में पर्यटन की सूरत, होगा कैसा फायदा

क्या अटल टनल से बदलेगी लाहौल-स्पीति में पर्यटन की सूरत, होगा कैसा फायदा

कहते हैं कि लद्दाखी भाषा में रोहतांग का अर्थ होता – लाशों का ढ़ेर। यह नाम दिखाता है कि रोहतांग दर्रे को पार करने में कितनी मुश्किलें आती होंगी। यहां का मौसम इसे और भी ख़तरनाक बना देता है। आज भी इसे पार करते समय आने वाले मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। यही वजह है कि दर्रे के दूसरी तरफ पहुंचने पर ऐसा अहसास होता है जैसे किसी नई दुनिया में आ गए हैं। लेकिन अब अटल टनल की शुरुआत…

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विश्व पर्यटन दिवस पर बात टूरिस्ट गाइड्स की जो हमारे घूमने के अनुभव को देते हैं नया नज़रिया

विश्व पर्यटन दिवस पर बात टूरिस्ट गाइड्स की जो हमारे घूमने के अनुभव को देते हैं नया नज़रिया

हम नई-नई जगहों पर घूमने जाते हैं। हम उन जगहों की इमारतों, किलों, महलों, बाज़ारों, खाने-पीने या प्राकृतिक सुन्दरता की बातें करते हैं। इस सबसे जुड़ी तस्वीरों को अपने सोशल मीडिया पर डालते हैं। लेकिन घूमने से जुड़े अनुभव को बेहतर बनाने वाले एक पेशे के बारे में हम न के बराबर चर्चा करते हैं और वह है टूरिस्ट गाइड। टूरिस्ट गाइड को आपको नई जगहें दिखाता है, उनके बारे में जानकरी देता है, हमारे अनुभव में नए पहलुओं को…

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विदेश मंत्रालय ने दी भारतीयों को वीज़ा-फ्री, वीज़ा-ऑन-अराइवल और ई-वीज़ा देने वाले देशों की जानकारी

विदेश मंत्रालय ने दी भारतीयों को वीज़ा-फ्री, वीज़ा-ऑन-अराइवल और ई-वीज़ा देने वाले देशों की जानकारी

भारत के विदेश मंत्रालय ने भारतीय पार्सपोर्ट धारकों को वीज़ा-फ्री, वीज़ा ऑन अराइवल और ई-वीज़ा की सुविधा देने वाले देशों की आधिकारिक जानकारी राज्य सभा में दी है।  विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने एक सवाल के जवाब में राज्य सभा में बताया कि कितने देशों में भारतीय आसानी से घूमने जा सकते हैं। इस जवाब के अनुसार भारतीय नागरिकों को 16 देश वीजा-फ्री, 43 देश वीज़ा-ऑन-अराइवल और 36 देश ई-वीज़ा की सुविधा दे रहे हैं। भारतीयों के लिए वीजा-फ्री…

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बिना वीज़ा या आसान ई-वीज़ा से इन देशों में करें ट्रैवल

बिना वीज़ा या आसान ई-वीज़ा से इन देशों में करें ट्रैवल

देश के बाहर घूमने जाना चाहते हैं तो सबसे पहले वीज़ा की ज़रूरत पड़ती है।  वीज़ा के बिना हम किसी दूसरे में देश में नहीं जा सकते। वीज़ा एक ऐसा डॉक्यूमेंट है जिसके ज़रिए कोई देश हमें अपने देश में आने की अनुमित देता है। कई देशों ने वीज़ा देने के लिए बहुत कड़े नियम बना रखे हैं जिससे वीज़ा लेने में काफी समय लगता है और मुश्किल भी होती है। लेकिन ऐसे भी कई ख़ूबसूरत देश हैं जहां भारतीय…

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कोरोना काल में ट्रैवल : क्या बरतें सावधानियां

कोरोना काल में ट्रैवल : क्या बरतें सावधानियां

मैं ट्रैवल राइटर हूं। इस वजह से कई बार जान पहचान के लोग और कई बार अनजान भी ट्रैवल से जुड़ी सलाह लेते रहते हैं। लॉक डाउन से पहले इस तरह की मैसेज या फोन अक्सर आया करते थे। लॉक डाउन के पहले फरवरी के आखिर में एक परिवार ने सलाह मांगी थी जो मलेशिया घूमने जा रहा था। मैं फरवरी के दूसरे हफ्ते में मलेशिया के सबाह से घूम कर वापस आया था। उनका कार्यक्रम मार्च के तीसरे हफ्ते…

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पर्यटन और फ़िल्मों के बीच है अटूट रिश्ता….

पर्यटन और फ़िल्मों के बीच है अटूट रिश्ता….

स्विटज़रलैंड के इंटेरलकेन शहर में भारत के मशहूर फ़िल्म निर्माता और निर्देशक यश चोपड़ा की मूर्ति लगी है। इसमें उन्हें फ़िल्म कैमरे के साथ खड़ा दिखाया गया है। सभी जानते हैं कि यश चोपड़ा को स्विटज़रलैंड से विशेष लगाव था। उनकी फ़िल्मों ने यहां के पहाड़ों, हरी-भरी वादियों और बर्फीली चोटियों की ख़ूबसूरती को भारत के घर-घर तक पहुंचाया। स्विटज़रलैंड सरकार ने उनके इसी योगदान की याद में मूर्ति स्थापित की है। वर्ष 2011 में उन्हें ‘अंबेसडर ऑफ इंटेरलकेन’ की…

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‘न्यू नॉर्मल’ से कैसे ताल बैठाएगी ट्रैवल इंडस्ट्री..

‘न्यू नॉर्मल’ से कैसे ताल बैठाएगी ट्रैवल इंडस्ट्री..

इस साल फरवरी के तीसरे हफ़्ते में पर्यटन से जुड़े कार्यक्रम के लिए मैं आगरा में था। इस दौरान होटल आईटीसी मुगल में रुकना हुआ। एक शाम आईटीसी मुगल की पहचान कहे जाने वाले पेशावरी रेस्टोरेंट में खाने का मज़ा लेते हुए कोरोना की स्थिति पर भी बात हो रही थी। होटल के जनरल मैनेजर भी साथ ही थे। उस वक्त दुनिया इस महामारी को समझने की कोशिश में लगी थी। मैं एक हफ्ते पहले ही मलेशिया से वापस आया…

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