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Category: Uttarakhand

              ‘बरातघर’ न बन जाएं हमारे टाइगर रिज़र्व 

              ‘बरातघर’ न बन जाएं हमारे टाइगर रिज़र्व 

कुछ महीने पहले मैं घूमने के लिए कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व गया था। मैं जिस रिज़ॉर्ट में था वह कॉर्बेट के आम होटलों वाले इलाके से दूर शांत गांव में जंगल के किनारे बना था। रिज़ॉर्ट के मैनेजर ने बात करते हुए दुखी मन से कहा, “पूरा कॉर्बेट तो अब बरातघर बन गया है। हमारे जैसे कुछ ही रिज़ॉर्ट  बचे हैं जहां कुछ शांति है।”  जो उन्होंने कहा वही मुझे भी अपनी कॉर्बेट की यात्रा में महसूस हुआ। मैं दिसंबर के…

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तत्वा कॉर्बेट स्पा एंड रिज़ॉर्ट, जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में रुकने का नया ठिकाना

तत्वा कॉर्बेट स्पा एंड रिज़ॉर्ट, जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में रुकने का नया ठिकाना

कोविड के झटके के बाद अब पर्यटन उद्योग अपनी पुरानी रंगत में लौट रहा है। नए होटलों और रिजॉर्ट्स का खुलना भी जारी है। ऐसा ही नया रिजॉर्ट है, जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में खुला ‘द तत्वा कॉर्बेट स्पा एंड रिज़ॉर्ट (The Tattwaa Corbett Spa & Resort)’.. इसने दिसंबर 2022 में अपना एक साल पूरा किया है। इसी दौरान रिजॉर्ट के एक साल के सफ़र के बार में जानने के लिए मैं यहां मौजूद था।  द तत्वा कॉर्बेट स्पा एंड…

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बेहतर यातायात सुविधाओं की बाट जोहता जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क

बेहतर यातायात सुविधाओं की बाट जोहता जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क

कुछ दिनों पहले सुबह-सुबह दिल्ली से जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के सफ़र पर निकला। सफ़र कार से था। दिल्ली से कॉर्बेट की तरफ जाने वाला नेशनल हाईवे 9 इतना बढ़िया था कि यात्रा की शुरुआत में मज़ा आ गया। रास्ते में हाइवे के किनारे रुककर नाश्ता किया। सर्दियों की हल्की धूप का आनंद भी लिया। रास्ते में रुकने के बाद भी करीब तीन घंटे में हमारी गाड़ी मुरादाबाद शहर के बाइपास पर थी। ये दिल्ली से मुरादाबाद के शानदार हाइवे…

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उत्तराखंड की 10 जगहें जो आपको देखनी चाहिए

उत्तराखंड की 10 जगहें जो आपको देखनी चाहिए

देवभूमि उत्तराखंड का प्राकृतिक सुन्दरता में कोई मुकाबला नहीं है। बर्फ से ढ़के पहाड़े, देवदार के घने जंगल, नदियां और झीलें आपका मन मोह लेते हैं । उत्तराखंड की अनगिनत जगहों में से चुनी हुई 10 जगहें में आपके सामने रख रहा हूँ। 1- जागेश्वर ऊंचे पहाडों, देवदार के घने जंगलों और जटागंगा नदी के किनारे बसा है उत्तराखंड का जागेश्वर शिव धाम। अलमोड़ा से करीब 35 किलोमीटर दूर घने जंगल में मौजूद जागेश्वर पहुंचते ही असीम शांति का एहसास…

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कुमाऊं के कारपेट साहब

कुमाऊं के कारपेट साहब

“The tiger is a large hearted gentleman with boundless courage and that when he is exterminated-as exterminated he will be, unless public opinion rallies to his support-India will be the poorer by having lost the finest of her fauna.” – Jim Corbett इन पंक्तियों का मतलब है – “बाघ बेहद साहसी और बड़े दिल का सज्जन जानवर है और अगर उसे जनता का समर्थन नहीं मिला तो वह पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। और अपने बेहतरीन जीव के खोने के…

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कॉर्बेट नेशनल पार्क की अनोखी दुनिया

कॉर्बेट नेशनल पार्क की अनोखी दुनिया

राजस्थान के रणथम्बौर नेशनल पार्क से दिल्ली वापस आते ही अगले दिन कॉर्बेट नेशनल पार्क जाने का मौका मिल गया। एक घूमने के शौकीन को और क्या चाहिए । एक ही दिन में जाने की तैयारी की, कैमरे को संभाला और अगले सफर के लिए तैयार । सब कुछ इतना जल्दी हुआ कि रूकने की जगह के बारे में कुछ पता करने का मौका ही नहीं मिला। मुझे वहां Corbett Wild Iris Spa and Resort में रुकना था।  रिजोर्ट की तरफ…

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छोटा कैलाश- ट्रैंकिग का रोमांच- 7

छोटा कैलाश- ट्रैंकिग का रोमांच- 7

चढाई का छटा दिन पांचवे दिन हम लोग ऊँ पर्वत को देखकर वापस गुंजी के लिए चल दिये ।  शाम होते होते हम गुंजी पहुंच गये। रास्ते में कई जगह पर भुस्खलन के चलते रास्ते को बदल कर सीधी खडी चढाई भरे रास्तों से चढना उतरना पडा। खैर गुंजी पहुंच कर आराम आया। गुंजी इस इलाके का एक बडा कैंप है। कुमाऊं विकास निगम के इस कैंप में सुविधायें दूसरे कैंपों से बेहतर हैं। हां एक बात बताना जरुरी है…

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छोटा कैलाश- ट्रैकिंग का रोमांच-६

छोटा कैलाश- ट्रैकिंग का रोमांच-६

चार जून- चढाई का चौथा दिनचार जून- चढाई का चौथा दिनचार तारीख को हमें नबीढांग जाना था। नबीढांग वो जगह थी जहां से हमें हमारी यात्रा के पहले दर्शन होने थे। नबीढांग में हमें ऊँ पर्वत के दर्शन करने थे। गुंजी से नबीढांग करीब अठारह किलोमीटर का सफर है। गुंजी से नौ किलोमीटर दूर कालापानी तक का सफर आसान है और काली नदी के किनारे लगभग सपाट रास्ते पर ही चलता है। इसलिए इस रास्ते पर ज्यादा थकान महसूस नहीं…

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छोटा कैलाश- ट्रैकिंग का रोमांच-५

छोटा कैलाश- ट्रैकिंग का रोमांच-५

तीन जून- चढाई का तीसरा दिन- बुद्धि से गुंजी तीसरे दिन हमे बुद्धि से गुंजी तक का सत्रह किलोमीटर का सफर करना था। ये रास्ता पिछले दिनो के मुकाबले आसान था। रोज की तरह से ही हमारा दिन सुबह चार बजे ही शुरु हो गया सुबह की चाय के साथ। उसके बाद जल्दी से तैयार होकर साढे पांच बजे तक हम चल पडे अपने सफर पर। बुद्धि से पांच किलोमीटर आगे छियालेख घाटी पडती थी। जहां तक जाने का पहले…

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छोटा कैलाश- ट्रैकिंग का रोमांच-४

छोटा कैलाश- ट्रैकिंग का रोमांच-४

दो जून – चढाई का दूसरा दिन- गाला से बुद्धि गाला मे सुबह चार बजे ही हमे चाय दे दी गई। जिससे हम लोग समय से उठ कर तैयार हो सके। इस मामले में मै कुमाऊं पर्यटन के लोगों की सेवा भावना की दाद दूंगा। इतनी ठंड में भी वो हर वक्त हमारी जरुरत को पूरा करने के लिए तैयार रहते थे। इतनी ऊंचाई पर ठंड में काम करना आसान काम नही होता। हम सभी पांच बजे तक सफर के…

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