गोवा की मिठाईयां जो जुड़ी हैं पुर्तगाल शासन से
घूमने और खाने-पीने का बहुत गहरा रिश्ता है। कहीं घूमने जाएं और उस जगह की खासियत वाली चीज़ों को न खाएं तो मुझे लगता है कि घूमना अधूरा रह गया। मैं कहीं भी जाता हूं तो मेरी कोशिश रहती है उस जगह की खाने-पीने की स्थानीय चीज़ों का स्वाद ज़रूर लूं। इस बार गोवा के सफर में गोवा की दो मिठाइयों का पता चला। इनमें से एक मिठाई का नाम पहले कभी नहीं सुना था तो दूसरी मिठाई को मैंने देश से बाहर खाया था और मैं नहीं जानता था कि यह मुझे गोवा की स्थानीय मिठाई के तौर पर खाने को मिलेगी। दिलचस्प यह है कि इन दोनों मिठाईयों का रिश्ता गोवा में लंबे समय तक रहे पुर्तगाली शासन से जुड़ता है। इनमें एक मिठाई का नाम है पेराद ( Perad) और दूसरी है डोडोल ( Dodol) । इन दोनों का ही पुर्तगाल से करीबी रिश्ता है।
Contents
पुर्तगालियों के साथ भारत आए फल और सब्जियां
गोवा एशिया में पुर्तगाल का पहला उपनिवेश था। यहां आने के बाद पुर्तगाल प्रभाव एशिया के दूसरे जैसे मलक्का तक फैला। पुर्तगाली अपने औपनिवेशिक शासन के दौरान भारत में कई तरह के नए फल और सब्जियों लेकर आए। इनमें आलू, टमाटर, मिर्च, अमरूद, काजू, अन्नानास, पनीर, पपीता जैसी चीज़ों का नाम लिया जा सकता है। इनमें से अधिकांश उन दक्षिण अमेरिकी देशों से थीं जहां पुर्तगाली शासन था। गोवा से ही इन चीज़ों का फैलाव एशिया के दूसरे देशों में हुआ।
पेराद (Perad) का पुर्तगाल से रिश्ता
पुर्तगालियों के लाए फलों में एक है, अमरूद। अमरूद दक्षिण अमेरिकी फल है और माना जाता है कि पुर्तगाली दक्षिण अमेरिकी देश पेरू से अमरूद भारत लेकर आए। मराठी में अमरूद को ‘पेरू’ कहा जाता है, गोवा में इस पेर कहते हैं। संभवत पेरू या पेर नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यह पेरू देश से आया था। गोवा में अमरूद से बनी मिठाई का नाम भी पेराद शायद इसलिए ही पड़ा होगा।
केवल अमरूद ही नहीं बल्कि अमरूद से बनने वाली मिठाई पेराद का भी दक्षिण अमेरिका से रिश्ता है। ब्राजील में अमरूद और चीनी से पेराद जैसी ही पारम्परिक मिठाई जैसी बनाई जाती है। इसी तरह कोलंबिया, वेनेजुएला, कोस्टारिका, पनामा, इक्वाडोर में अमरूद के गूदे और चीनी से बनी मिठाई को खाया जाता है। तो संभावना है कि अमरूद से साथ ही इस मिठाई को बनाने की विधि भी पुर्तगाली ही साथ लेकर आए।
कैसे बनती है पेराद (Perad)
पेराद बेहद स्वादिष्ट मिठाई है। गोवा के फोनेटेनीश (Fontainhas) इलाके में घूमते हुए लोकप्रिय बेकरी Confeitaria 31 De Janeiro पर यह खाने को मिली। इसे बनाने के लिए अमरूद के गूदे का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए अमरूद के गूदे, नीबू के रस और चीनी को साथ मिलाकर उबाला जाता है। लगातार उबालने से रस गाढ़ा जैली जैसा हो जाता है। फिर से ठंडा करने के लिए प्लेट में जमा लिया जाता है।
अमरूद की फसल सर्दियों में आती है इसलिए गोवा में क्रिसमस के दौरान इसे काफी बनाया जाता है। आप भी गोवा जांए तो पेराद का स्वाद ज़रूर लें।
डोडोल (Dodol) का पुर्तगाल से रिश्ता
गोवा से वापस आते हुए गोवा हवाईअड्डे पर एक दुकान में डोडोल( Dodol) लिखे डिब्बे पर नज़र पड़ी। उस पर लिखा था गोवा की पारंपरिक मिठाई। मैं नाम पढ़कर चौंका क्योंकि इससे पहले मैं मलेशिया में डोडोल का स्वाद चख चुका था। डोडोल मलेशिया की पारंपरिक मिठाई है और मलेशिया के साथ ही इसे इंडोनेशिया और दूसरे दक्षिण-एशियाई देशों में भी बनाया जाता है। माना जाता है कि डोडोल की शुरुआत इंडोनेशिया से हुई है।
जब गोवा के डोडोल के बनाने का तरीका और इसमें मिलाई जाने वाली चीज़ों को देखा तो ये लगभग वैसा ही था जैसा मैंने मलेशिया में देखा था। मैंने एयरपोर्ट से डोडोल खरीदा। स्वाद के मामले में यह उतना बेहतर नहीं लगा जैसा मैंने मलेशिया में चखा था। हो सकता है कि पैंकिंग वाला यह डोडोल उतना बेहतर न बना हो। यहां सवाल यह है कि मलेशिया की मिठाई गोवा की पारंपरिक मिठाई कैसे बनी? मुझे इसका एक ही उत्तर समझ आ रहा है कि मलेशिया का मलक्का और गोवा दोनों ही एक ही समय में पुर्तगाल के शासन में रहे हैं। गोवा में पुर्तगाल का शासन 1510 में शुरू हुआ और पुर्तगाल ने 1511 में मलेशिया के मलक्का को अपने कब्जे में ले लिया था। संभावना यही है कि सैंकड़ों वर्ष पहले पुर्तगालियों के साथ ही डोडोल कभी गोवा पहुंचा होगा और यहां के जीवन में शामिल हो गया होगा।
कैसे बनता है डोडोल
डोडोल बनाने से मुख्य तौर से पाम शुगर, चावल के आटे, नारियल के दूध का इस्तेमाल किया जाता है। पाम शुगर को पिघला कर उसमें नारियल का दूध और चावल का आटा मिलाकर धीरे-धीरे उबाला जाता है। यह इंडोनेशिया और मलेशिया की पारंपरिक मिठाई है।
मलेशिया के डोडोल बनने का तरीका देखने के लिए मेरा Youtube वीडियो
दुनिया में इतिहास और भोजन की आदतों का आपसी संबंध काफी गहरा है। किस जगह का खाना, कहां जाकर लोकप्रिय हुआ यह जानना काफी दिलचस्प है।
©️duniadekho.in