क्या सरकारी होटल रुकने के लिए हैं बढ़िया विकल्प- जानें क्या हैं इनकी ख़ूबियां और क्या है इनकी कमियां
हम घूमने जाते हैं तो सबसे पहले रुकने के लिए बढ़िया होटल की तलाश करते हैं। ऐसा होटल जिसकी खिड़कि़यों से बर्फ से ढ़के पहाड़ों या समुद्र की उठती-गिरती लहरों का मज़ा लिया जा सके या ऐसा होटल जो घूमने की जगहों के बिल्कुल पास बना हो। ऐसे में होटल बुक करते समय हमारा ध्यान अक्सर सरकारी होटलों पर नहीं जाता। पर क्या आपने कभी सोचा है कि ये ख़ूबियां आपको सरकारी होटलों में भी मिल सकती हैं?
मैंने अपनी यात्राओं के दौरान सरकारी होटलों को लोकेशन के लिहाज से बहुत बेहतर पाया है और सामान्य सुविधाओं के मामले में भी उनमें कोई कमी नहीं मिली।
मैं लद्दाख और जम्मू-कश्मीर से लेकर केरल तक बहुत से राज्यों के सरकारी होटलों में रुक चुका हूं। आमतौर पर मुझे किसी भी जगह परेशानी नहीं महसूस हुई। अपनी लोकशन और बेहतर खाने के चलते उत्तराखंड के कुमाऊं में कुमाऊं विकास निगम के अंतर्गत चलने वाले होटल तो हमेशा मेरी पहली पसंद रहे हैं।
हां कुछ जगहों पर रखरखाव में कमी देखने को मिलती है लेकिन यह देखना भी ज़रूरी है कि क्या रखरखाव की थोड़ी बहुत कमी के चलते क्या इन होटलों को छोड़ा जा सकता है।
तो जानते हैं कि सरकारी होटलों में ऐसा क्या है कि इन्हें घूमते समय रुकने का ठिकाना बनाया जा सकता है।
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क्या है सरकारी होटल
हमारे देश में लगभग सभी राज्यों में पर्यटन विकास के लिए सरकारी विभाग बने हैं। अधिकतर राज्यों में टूरिज़्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन द्वारा होटल और रेस्टोरेंट्स भी चलाए जाते हैं। इनकी शुरुआत काफी पहले उस समय की गई होगी जब निजी होटलों की संख्या बहुत ज़्यादा नहीं हुआ करती थी और पर्यटकों को रुकने की बढ़िया सुविधा देने की ज़रुरत थी। अब निजी होटलों के आने के कारण भले ही सरकारी होटलों की मांग में कुछ कमी आई हो लेकिन ख़ूबियों के मामले में ये होटल्स भी दूसरे निजी होटलों से कम नहीं हैं।
सरकारी होटलों की खूबियां
1- बेहतरीन लोकेशन –
लोकेशन… लोकेशन…लोकेशन… इन होटलों की सबसे बड़ी खासियत है इनकी लोकेशन। आप कहीं भी जाएं ये होटल बेहतरीन जगहों पर बने मिलेंगे। बिनसर में बने कुमाऊं मंडल विकास निगम के होटल से आप बर्फ के पहाड़ों का नजारा ले सकते हैं तो केरल में कोवलम के तट पर बने केरल टूरिज्म के होटल में आप बगीचे से ही कोवलम के ख़ूबसूरत समुद्री तट को निहार सकते हैं। सरकारी होने के कारण सबसे बेहतर जगह इनके लिए उपलब्ध रहती है। लोकेशन के मामले में ये होटल्स किसी भी स्टार होटल को टक्कर देते मिलेंगे। मेरे लिए इन होटलों को चुनने के पीछे बेहतर लोकेशन सबसे बड़ी वजह है।
मैं हाल ही में रणथम्बोर नेशनल पार्क गया था। वहां मैं राजस्थान टूरिज़्म के हेरिटेज होटल झूमर बावड़ी में रुका। यह इमारत कभी जयपुर महाराजा की शिकारगाह हुआ करती थी। अब इसे होटल बना दिया गया है। यह होटल नेशनल पार्क के बफर ज़ोन में पड़ता है। यह ऐसी जगह है जहां आप होटल की छत पर में बैठे ही जंगली जानवरों का दीदार कर सकते हैं। यह अकेला ऐसा होटल है जो आपके रणथम्बोर में जंगल के बीच रहने का अनुभव देता है।
मध्यप्रदेश के जंगलों में सफारी के लिए जाएं तो मध्यप्रदेश टूरिज़्म के होटल आपके मुख्य गेट के सबसे नज़दीक मिलेंगे। इससे आपको सफारी के लिए जाने में आसानी हो जाती है।
2- कर्मचारियों का व्यवहार-
सरकारी होटल्स में काम करने वाले कर्मचारियों के व्यवहार के मामले में मुझे कभी शिकायत नहीं हुई। होटल के मैनेजर से लेकर रेस्टोरेंट के स्टॉफ तक सब आपकी मदद करने की कोशिश करते हैं। इसमें कभी-कभी कुछ अपवाद हो सकता है लेकिन आमतौर से आप यहां काम करने वाले लोगों के व्यवहार को अच्छा ही पाएंगे।
3- घर जैसा खाना-
सरकारी होटल्स की एक और खासियत है यहां मिलने वाला खाना। यहां आपको घर जैसा खाना खाने को मिलता है। अगर लंबे ट्रिप पर निकले हैं तो ऐसा खाना सही भी रहता है। कई जगह तो आप अपनी पसंद से भी खाना बनवा सकते हैं। घूमते समय मैं तो सादा खाना पसंद करता हूं ऐसे में ये होटल्स भी मेरी पसंद होते हैं। घर के बाहर यही होटल्स अकेली जगह हैं जहां मुझे आसानी से तवे की रोटी जैसी चीज़ें मिल जाती हैं।
4- साफ़-सफ़ाई-
किसी होटल में साफ-सफाई बहुत बड़ा मुद्दा है। आज के माहौल में तो यह बहुत ज़रूरी हो गया है कि होटल साफ सुथरे हों। इस मामले में भी मुझे कभी खास परेशानी नहीं हुई। मुझे होटल के कमरे, चादरें, तौलिया जैसी इस्तेमाल की चीजें साफ-सुथरी मिली हैं।
5-किराया-
सरकारी होटलों का किराया निश्चित होता है। राज्यों के पर्यटन विभाग की वेबसाइट से इनके किरायों की जानकारी ली जा सकती है। जगह के हिसाब से किराया कहीं ज्यादा और कहीं कम हो सकता है। ऐसा नहीं है कि सरकारी होने के कारण ये होटल सस्ते ही होंगे लेकिन उसी लोकेशन पर बने निजी होटलों से तुलना करने पर किराया बहुत मंहगा नहीं लगेगा। बहुत से सरकारी होटलों में आपको डॉरमेट्री का विकल्प भी मिल जाता है।
6-सुरक्षा-
सरकारी होटल में सुरक्षा की भावना रहती है। इनमें किराया और इस्तेमाल में ली जाने वाली चीज़ों की कीमतें तय होती हैं ऐसे में धोखाधड़ी का डर नहीं रहता।
सरकारी होटलों की कमियां
1-रखरखाव की कमी –
कमियों की बात करें तो मुझे इन होटलों में एक प्रमुख कमी देखने को मिली। वह है यहां रखरखाव की कमी। इन होटलों के रखरखाव का उतना ध्यान नहीं दिया जाता जितना कि रखा जाना चाहिए।
राज्यों के हिसाब से भी रखरखाव में अंतर देखने को मिल सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि राज्य का पर्यटन विभाग होटलों पर कितना ध्यान देता है। कई बार होटल मैनेजर्स से बातचीत में पता चला कि होटल से जुड़ा बजट पास होने में काफी देर लगती है जिसके कारण रखरखाव पर असर पड़ता है। पर्यटन विभाग चाहें तो इस समस्या को आसानी से सुलझाया जा सकता है।
हालांकि ऐसा नहीं है कि सभी सरकारी होटलों में ये समस्या है लेकिन फिर भी रखरखाव से जुड़ी कमी इन होटलों में दिखाई दे जाती हैं। अब यह आप पर है कि आप इसे कैसे लेते हैं। कुछ जगहों पर मामूली कमियां होती हैं जिन्हें नज़रअंदाज किया जा सकता है। अगर रखरखाव से जुड़ी बड़ी समस्या है तो होटल को न लेना ही सही है।
मैं अगर अपनी बात करुं तो मुझे रखरखाव से जुड़ी बड़ी समस्या कभी देखने को नहीं मिली। एक बात यह भी है कि मैं इन होटल की लोकेशन, कर्मचारियों के व्यवहार और बेहतर खाने को ज़्यादा महत्व देता हूं इसलिए छोटी-मोटी परेशानियों पर ध्यान नहीं देता। वैसे भी पर्यटन विभाग के होटल हर जगह मौजूद नहीं हैं ऐसे में काफी जगहों पर निजी होटलों का ही विकल्प बचता है।
2- पुरानी सजावट-
कई होटलों में पहुंच कर ऐसा लगता है जैसे कई दशकों से उनकी सजावट में कोई बदलाव ही नहीं किया गया है। कहीं-कही सजावट और फर्नीचर आज के दौर के हिसाब से नहीं दिखाई देते।
होटल के रखरखाव का पता कैसे करें
होटल के रखरखाव का स्तर कैसा है इसका पता लगाने के लिए आप ट्रिपएड्वाइज़र (https://www.tripadvisor.in) या गूगल का सहारा ले सकते हैं। इन वेबसाइट्स पर लोग अपना अनुभव लिखते हैं इससे आपको अंदाज़ा हो जाएगा कि होटल कैसा है। अगर आपके कोई परिचित होटल में पहले रुक चुके हों तो उनसे भी पूछा जा सकता है।
मैं हाल में रणथम्बोर जाने से पहले होटल के बारे में जानकारी जुटा रहा था तो मुझे लोगों के रिव्यू पढ़कर ऐसा लगा जैसे होटल का रखरखाव काफी खराब है, उसके बाद मैंने अपने दोस्त से बात की जो कुछ ही महीने पहले यहां रुका था। उसने बताया कि होटल मे ऐसी कोई परेशानी नहीं है और जाने के बाद मुझे भी कोई खास कमी नहीं दिखाई दी।
कैसे करें बुकिंग
राज्यों के पर्यटन विभाग की वेबसाइट के ज़रिए इन होटलों की बुकिंग की जा सकती है
इन होटलों को चुनें या नहीं
मेरा कहना यही है कि अगर आप घूमते समय बढ़िया लोकेशन जैसी बातों को ज़्यादा महत्व देते हैं और उस वजह से छोटी-मोटी कमियों को नज़रअंदाज कर सकते हैं तो सरकारी होटल रुकने का अच्छा विकल्प हो सकते हैं।
अगर आप बेहतरीन रखरखाव वाले होटल की तलाश कर रहे हैं तो बेहतर है कि सरकारी होटल के बारे में पहले पूरी जानकारी जुटा लें और उसके बाद ही उसमें रुकने का निर्णय लें या फिर अपनी पसंद के हिसाब से निजी होटलों का चुनाव करें।
पर्यटन विभागों को भी चाहिए आज के दौर को देखते हुए अपने होटलों के रखरखाव को बेहतर बनाएं ताकि पर्यटक यहां रुकने के लिए आकर्षित हों। आज के दौर में पर्यटक सरकारी होटलों पर निर्भर नहीं है और अगर इन होटलों के अस्तित्व को बनाए रखना है तो रखरखाव को सही रखना ही होगा।
अगर आप कभी सरकारी होटलों में रुकें हैं तो कमेंट सेक्शन में अपना अनुभव भी साझा करें। बताएं कि आपके क्या अच्छा लगा और क्या कमियां नज़र आईं।
2 thoughts on “क्या सरकारी होटल रुकने के लिए हैं बढ़िया विकल्प- जानें क्या हैं इनकी ख़ूबियां और क्या है इनकी कमियां”
बहुत ही सुंदर वर्णन ओर जानकारी, इन सरकारी होटल की लोकेशन का कोई मुलाबला नही कर सकता, बिनसर , जागेश्वर ओर कोवलमके कई बार रुका हु बहुत अच्छा अनुभव रहा हर बार
लेख पंसद करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। वाकई इन होटलों की लोकेशन का कोई मुकाबला नहीं..