Browsed by
Category: Uttarakhand

ॠषिकेश अध्यात्म का नगर

ॠषिकेश अध्यात्म का नगर

हरिद्वार से ३० किलोमीटर दूर है ॠषिकेश। ॠषिकेश को पवित्र तीर्थ माना जाता है। यहां पर बहती गंगा की खूबसूरती तो देखती ही बनती है। ॠषिकेश की सबसे मशहूर जगह हैं लक्ष्मण झूला। तारों पर झूलता ये पुल तो देखन के लायक है। पुल के बीच में खडें होकर नीचे बहती गंगा को देखना अविस्मरणीय अनुभव है। ॠषिकेश में गंगा पहाड से उतरने के कारण तेजी से बहती है। इसके तेज बहाव को लक्ष्मण झूले पर खडा होकर महसूस किया…

Read More Read More

चम्बा-अनजानी खूबसूरती

चम्बा-अनजानी खूबसूरती

ॠषिकेश से टिहरी जाने वाली सडक पर हैं एक हिल स्टेशन चम्बा। चम्बा का नाम सुनते ही सबको हिमाचल याद आता है। लेकिन ये चम्बा उत्तरांचल में टिहरी से दस किलोमीटर पहले है। समुद्र तल से सोलह सौ मीटर की उँचाई पर बसा है ये हिल स्टेशन है। मेरी टिहरी यात्रा में मैने रात को चम्बा मे रुकने का फैसला किया। जिस रिजोर्ट में मै रुका वो पहाड की चोटी पर था, लगभग दो हजार मीटर की उँचाई पर। रात…

Read More Read More

औली- बर्फीली ढलानों का रोमांच

औली- बर्फीली ढलानों का रोमांच

बद्रीनाथ से तीस किलोमीटर पहले आता है जोशीमठ। जोशीमठ से सोलह किलोमीटर दूर है भारत का सबसे अच्छा स्की रिजोर्ट औली। औली की ढलानो को भारत ही नहीं दुनिया की सबसे अच्छी ढलानों में शुमार किया जाता है। जोशीमठ दिल्ली से पाँच सौ किलोमीटर और हरिद्वार से तीन सौ किलोमीटर दूर है। यहां नवम्बर से मार्च तक स्की का मजा लिया जा सकता है। औली बर्फ पिघलने के बाद भी इतना ही खुबसूरत रहता है। गर्मी के मौसम में यहां…

Read More Read More

भारत का आखिरी गाँव- माणा

भारत का आखिरी गाँव- माणा

बद्रीनाथ से दो किलोमीटर की दूरी पर है भारत का आखिरी गांव माणा। चीन की सीमा पर उत्तराखंड का ये आखिरी गांव है। इस गांव में तिब्बती मूल के बाशिंदे रहते हैं। ये लोग गर्मी के मौसम में यहां रहते हैं और सर्दी में नीचे के इलाकों में चले जाते हैं। यहां ये आप इन लोगों के हाथों के बने ऊनी कालीन खरीद सकते हैं। यहां पर देखने के लिए हैं भीम पुल जिसे स्वर्ग यात्रा पर जाते हुए भीम…

Read More Read More

बद्रीनाथ- स्वर्ग का एहसास

बद्रीनाथ- स्वर्ग का एहसास

हरिद्वार से तीन सौ किलोमीटर दूर है बद्रीनाथ। बद्रीनाथ को चार धामों में से एक माना जाता है। आदि शंकराचार्य ने नौं वीं शताब्दी में इसकी स्थापना की थी। मैं करीब पन्द्रह साल पहले यहां गया था। उस समय की याद तो आज भी है लेकिन इतनी नहीं कि आप सब को बता सकूँ। लेकिन ये तो आज भी याद है कि यहां पहुंच कर एसा लगा था कि जैसे मैं स्वर्ग में आ गया हूँ। बद्रीनाथ साढे तीन हजार…

Read More Read More

टिहरी

टिहरी

नई टिहरी शहर ॠषिकेश से गंगोत्री जाने वाले रास्ते पर है। पहले पुराना टिहरी भागरथी नदी पर बने बांध में डूब गया। जिसेक बाद ये नया शहर बसाया गया है। मेरा टिहरी जाना भी बांध के कारण से ही हुआ। टिहरी का पहला टरबाईन शुरू होने वाला था। अपने न्यूज चैनल से इसको कवर करने के लिए मैं टिहरी गया था। ॠषिकेश से लगभग अस्सी किलोमीटर दूर है टिहरी। पुराना टिहरी शहर गंगा की तलहटी मैं बसा था जो समुद्र…

Read More Read More

हरिद्वार- हरि की भूमि

हरिद्वार- हरि की भूमि

हरिद्वार को हरि का द्वार कहा जाता है। हरिद्वार उत्तराखंड का सबसे पहला शहर है औऱ उत्तराखंड को सदियों से देव भूमि माना जाता है। इस देव भूमि मे जाने के रास्ते पर होने के कारण ही हरिद्वार नाम मिला। हरिद्वार को धर्म की नगरी माना जाता है। सैकडों सालों से लोग मोक्ष की तलाश में इस पवित्र भूमि में आते रहे हैं। हरिद्वार का ये महत्व यहां बहने वाले गंगा नदी के कारण ही है। गंगा को हिन्दू धर्म…

Read More Read More

मसूरी- पहाडों की रानी(२)

मसूरी- पहाडों की रानी(२)

कैंप टी फाल से मसूरी वापसी के रास्ते में आता है लाल बहादुर शास्त्री प्रसाशनिक प्रक्षिक्षण अकादमी। यहां सिविल सेवा परीक्षा पास करके आये अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता है। अनुमति लेकर यहां घूमा जा सकता है। इस के पास ही है तिब्बती मठ। इस मठ को तिब्बत से आये शरणार्थियों ने बनाया है। बौद्ध धर्म के असली रुप को यहां देखा जा सकता है। चारों और घने जंगल से घिरा है ये खूबसूरत मठ। इसके बाद मैं चल पडा…

Read More Read More

मसूरी- पहाडों की रानी

मसूरी- पहाडों की रानी

मसूरी उत्तराखंड का एक जाना पहचाना हिल स्टेशन है। इसकी खूबसूरती के कारण इसको पहाडों की रानी कहा जाता है। मेरी मसूरी से जान पहचान बहूत पुरानी है। जहां तक मुझे याद आता है कुछ पांच या छ साल की उम्र में पहली बार मसुरी गया था। उस वक्त की ज्यादा याद तो नहीं है लेकिन फिर भी माल रोड पर घूमना आज भी यादों में बसा है। फिर पिछले तीन चार साल में कई बार मेरा मसुरी जाना हुआ।…

Read More Read More