टिहरी

टिहरी

नई टिहरी शहर ॠषिकेश से गंगोत्री जाने वाले रास्ते पर है। पहले पुराना टिहरी भागरथी नदी पर बने बांध में डूब गया। जिसेक बाद ये नया शहर बसाया गया है।

मेरा टिहरी जाना भी बांध के कारण से ही हुआ। टिहरी का पहला टरबाईन शुरू होने वाला था। अपने न्यूज चैनल से इसको कवर करने के लिए मैं टिहरी गया था। ॠषिकेश से लगभग अस्सी किलोमीटर दूर है टिहरी।

पुराना टिहरी शहर गंगा की तलहटी मैं बसा था जो समुद्र तल से ६०० मीटर की उंचाई पर था। नये टिहरी को पहाड की चोटी पर बसाया गया है। इसलिए समुद्र तल से इसकी उँचाई १५०० मीटर से लेकर १९०० मीटर के बीच है। इतनी उँचाई पर होने के कारण एक हिल स्टेशन पर होने का एहसास भी यहां आकर किया जा सकता है।

इस नये बसे शहर की पहचान या खासियत इसकी बसावट में ही है। शहर को योजना को साथ बनाया गया है। करीने से बने बाजार, सडके, और गलियां शहर को बेहद खूबसूरत बना देती हैं। सभी घरो को एक जैसा ही बनाया गया है।

दूर से देखने पर लगता है कि फिल्मों में दिखाई देते किसी यूरोपिय शहर में आ गये हैं। इसके अलावा शहर की खासियत ये है कि इसे पुराने टिहरी शहर का रुप देने की कोशिश की गई है। पुराने टिहरी शहर के घँटाघर को हूबहू नये टिहरी में बनाया गया है।

नये टिहरी से चौबीस किलोमीटर दूर है टिहरी बांध। इस विशाल बांध को देखने के लिए टिहरी आया जा सकता है। बांध अपनी तरह का खास हैं इसे राक फिल तकनीक से बनाया गया है जिससे भूकम्प का असर इस पर नहीं हो सके।

अब बांध से बनी झील को सरकार पर्यटन को बढावा देन के लिए इस्तेमाल करना चाहती है। इसके लिए झील में पानी में खेले जाने वाले खेल यहां शुरु करने की योजना बनाई जा रही है। वाटर स्पोर्टस की हर सुविधा यहां पर दी जाएगी।

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