नेपाल घूमना चाहते हैं तो ये Itinerary आएगी आपके काम 

नेपाल घूमना चाहते हैं तो ये Itinerary आएगी आपके काम 

भारत का पड़ोसी देश है नेपाल। नेपाल को प्रकृति ने बेहद ख़ूबसूरत बनाया है। यह देश अपनी सभ्यता, संस्कृति, धार्मिक मान्यता, बोली, भाषा में भारत के बेहद नजदीक है। अगर आप भारत से यहां घूमने आते हैं तो आपको लगेगा ही नहीं कि किसी दूसरे देश में आए हैं। 

नेपाल की राजधानी काठमांडू घूमने की शुरुआत करने के लिए सबसे अच्छी जगह है। बाहर से आने वाले पर्यटक नेपाल घूमने की शुरुआत काठमांडू से ही करते हैं।

काठमांडू देश की राजधानी होने के साथ ही नेपाल का सबसे बड़ा शहर भी है। काठमांडू घाटी नेपाल की सभ्यता और संस्कृति का केन्द्र भी रही है। इसके अलावा पोखरा यहां का दूसरा सबसे ज़्यादा लोकप्रिय पर्यटक केन्द्र है। अगर आपको जंगल और वन्यजीवन पसंद है तो चितवन नेशनल पार्क ज़रूर आइए। ये दुनिया की चुनिंदा जगहों में से हैं जहां जंगल में घूमते एक सींग वाले गेंडे को देख सकते हैं। 

अगर आप भी नेपाल घूमने की योजना बना रहे हैं तो मैं आपका काम कुछ आसान कर देता हूं। मैंने हाल ही में पहले हिमालयन ट्रेवल मार्ट के लिए नेपाल गया था। यहां देखी जगहों के आधार पर मैं आपको ऐसी Itinerary बताने जा रहा हूं जिसके साथ आप नेपाल की लोकप्रिय जगहों को देख पाएंगे। 

नेपाल घूमने एक सप्ताह घूमने के लिए बेहतरीन Itinerary

पहला दिन –  

नेपाल घूमने की शुरूआत कीजिए नेपाल की राजधानी काठमांडू से। दिल्ली से करीब 1.5 घंटे की फ्लाइट से काठमांडू पहुंचा जा सकता है। दिल्ली से सुबह आपको फ्लाइट मिल जाएगी जिससे आप दोपहर 12-1 बजे तक काठमांडू पहुंच जाएंगें। 

काठमांडू हवाई अड्डे से अपने होटल आइए। यहां रुकने के लिए थमेल इलाका सबसे सही है। थमेल में आपको हर श्रेणी के होटल मिल जाएगें। थमेल दुनिया भर के पर्यटकों के जुटने का इलाका है। यहां आपको हर के रेस्टोरेंट, बार, होटल मिल जाएंगे। थमेल काठमांडू में देखने की सबसे लोकप्रिय जगह दरबार स्केवेयर के बेहद नजदीक है। दोपहर में आराम करने के बाद थमेल में घूमते हुए शाम बिता सकते हैं।अगर कुछ जल्दी निकलें तो दरवार स्केवयर भी देखा जा सकता है। दरबार स्कवायर में टिकट लेना होगा जिससे दो दिन घूमा जा सकता है। अगर पहले दिन पूरा दरबार स्कवायर न देख पाएं तो अगले दिन जाया जा सकता है। 

दूसरा दिन- 

Pashupatinath temple- पशुपतिनाथ मंदिर

अगले दिन सुबह जल्दी पशुपतिनाथ मंदिर देखने जा सकते हैं। इसे भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में शामिल किया जाता है। भारत से बड़ी संख्या में लोग इसके दर्शन करने आते हैं। मंदिर के अंदर लड़की पर नक्काशी बेहद शानदार काम किया गया है।

पशुपतिनाथ मंदिर से पास ही है बौद्धनाथ स्तूप। यह स्तूप करीब 1500 वर्ष पुराना है। यह यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल है। यहां आपको बौद्ध साधू और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग स्तूप की परिक्रमा करते नज़र आएंगे। इस जगह में अलग सा आकर्षण है। यहां आपको ढ़ेरों तस्वीरें लेने का भी मन करेगा। 

Boudhanath Stupa- बौद्धनाथ स्तूप

बौद्धनाथ स्तूप से आप निकल जाइए पाटन दरबार स्कवायर को देखने के लिए। पाटन नेपाल की पुरानी राजधानी रही है। यहां के दरबार स्कावयर में काठमांडू की नेवार वास्तुकला से बने शानदरा मंदिर और इमारतें दिखाई देती हैं। यह भी यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल है। पाटन स्कवायर को देखने में करीब 2-3 घंटे लग जाएंगे। दोपहर तक आप पाटन स्कवायर देख लेगे। इसके बाद वापस थमेल की तरफ आएं और अपने होटल जाने से पहले स्वयंभूनाथ स्तूप को देखने जाएं। स्वयंभूनाथ स्तूप भी यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल में शामिल है। 

यहां से शाम होते – होते थमेल आएं और थमेल की नाइट लाइफ का मजा लें। मनपसंद रेस्टोरेंट में खाना खाएं। यहां आपको नेपाल खाने के कई बढ़िया रेस्टोंरेंट मिल जाएंगे। 

तीसरा दिन- 

इस दिन होटल से आराम से निकलें। सुबह नाश्ता करके सीधे जाएं भक्तपुर दरबार स्कवायर को देखने। यह थमेल से करीब 16 किलोमीटर दूर है और 30-35 मिनट में आप यहां पहुंच जाएंगे। भक्तपुर नेपाल की प्राचीन राजधानी रहा है। यह 14वीं से 15वीं शताब्दी में मल्ला राजाओं ने यहां से नेपाल पर शासन किया था। यहां की इमारतों की वास्तुकला भी देखने के लायक है। भक्तपुर दरबार स्कवायर में कई मंदिर और म्यूजियम दिखाई देंगे। 2015 में आई भूकंप में यहां की इमारतों को भी नुकसान पहुंचा था। 

Nyatapola Temple, Bhaktapur- न्याटापोला मंदिर, भक्तपुर

भक्तपुर से दोपहर तक वापस अपने होटल आएं। कुछ आराम करें और शाम को थमेल में दुनिया भर के खाने पीने का मजा लें। अगर आपके पास काठमांडू में चौथा दिन भी है तो मैं आपको तीसरे दिन शाम को नगरकोट जाने की सलाह दूंगा। नगरकोट काठमांडू के पास छोटा सा हिल स्टेशन है। थमेल के करीब 30 किलोमीटर दूर बसे नगरकोट तक पहुंचने में आपको करीब एक घंटा लगेगा। नगरकोट समुद्रतल से करीब 2200 मीटर की ऊंचाई पर बसा है। यहां पहुंचकर आपको हिल स्टेशन की ताजी हवा और ठंडक का अहसास होगा। रात यहां बिताइए। 

चौथा दिन- 

सुबह उठकर सूरज से निकलने से पहले नगरकोट से दिखाई देती हिमालय की बर्फीली चोटियों के दर्शन कीजिए। आमतौर से यहां बादल होते हैं लेकिन अगर आप खुशनसीब हुए तो आपको बर्फीली चोटियों का शानदार नज़ारा दिखाई देगा। यहां आप आस पास ट्रेक के लिए जा सकते हैं। सुबह बिताने के बाद आप वापस काठमांडू के लिए निकलिए। काठमांडू से आप सीधे पोखरा के लिए निकलिए। टैक्सी से पोखरा पहुंचने में करीब 6-7 घंटे का समय लगेगा। चाहें तो काठमांडू से पोखरा के लिए फ्लाइट ले लीजिए। फ्लाइट से आप केवल 20 मिनट में पोखरा पहुंच जाएंगे। पोखरा में फेवा झील के पास होटल लीजिए। शाम को फेवा झील में बोटिंग कीजिए और पोखरा के बार या पब में समय बिताइए। 

Fewa Lake, Pokhara- फेवा झील, पोखरा

पांचवां दिन- 

पोखरा से सुबह से उगले सूरज के साथ हिमालय की बर्फीली चोटियों का शानदार नजारा दिखाई देता है। उसके लिए सुबह जल्दी उठिए निकल जाइए सांरगकोट के लिए। सारंगकोट करीब 1600 मीटर की ऊंचाई पर बसा है। उगते सूरज का नज़ारा देखने के लिए आपको सुबह चार बजे निकलना होगा। लौटते समय पोखरा में बने इंटरनेशनल माउंटेन म्यूजियम को देखने जाइए। नेपाल की कई बड़ी हिमालय की चोटियों की चढाई और अन्नापूर्णा बेस कैंप जैसे कई ट्रेक की शुरूआत पोखरा से ही होती है। माउंटेन म्यूजियम में नेपाल के माउंटनियरिंग के इतिहास के बारे में काफी कुछ जानने को मिलेगा। 

छटा दिन- 

अगर आपके पास करीब 7 दिन का ही समय है तो छठे दिन वापस काठमांडू निकलना होगा। अगर सड़क के रास्ते जाते हैं तो पोखरा से करीब 80 किलोमीटर दूर बसे बांदीपुर के ऐतिहासिक कस्बे को देखने ज़रूर जाइए। यहां की पुरानी इमारतों को सही तरह से संरक्षित किया गया है।

बांदीपुर के ख़ूबसूरत घर

बांदीपुर की मुख्य सड़क पर निकलेंगे तो ऐसा एहसास होगा जैसे आप इटली या स्पेन के किसी शहर में हैं। बांदीपुर की ख़बूसूरती यहां ठहरने को मज़बूर करती है। कुछ घंटे यहां बितान बाद काठमांडू लौट सकते हैं। आप को काठमांडू पहुंचते-पहुंचते शाम हो जाएगी। यह नेपाल में आपकी आखिरी शाम है। थमेल में हेंडीक्राफ्ट की दुकानों से अपने कुछ खरीदारी कर सकते हैं। शाम को किसी नेपाली रेस्टोरेंट में खान खाइए। 

सातवां दिन- 

नेपाल में छह दिन बितान के बाद आप खुशनुमा यादों के साथ वापसी की उड़ान ले सकते हैं।  

छटे दिन चितवन नेशनल पार्क के लिए निकलने पर आपकी Itinerary छटा दिन —

अगर आपको पास ज़्यादा दिन हैं तो छटे दिन वापस काठमांडू निकलने की बजाए चितवन नेशनल पार्क के लिए निकल जाइए। सुबह जल्दी निकलिए बांदीपुर देखते हुए शाम तक आप चितवन पहुंच जाएंगे। शाम को होटल में आराम कीजिए और जंगल को माहौल का आनंद लीजिए। 

सातवां दिन- 

चितवन नेशनल पार्क

अगल की सुबह की सफारी के लिए चितवन नेशनल पार्क जाइए। सफारी की बुकिंग होटल आपके लिए कर देगा। सुबह 10 बजे तक जंगल का मजा लीजिए। हो सकता है कि आपके एक सींग वाले गैंडे के साथ ही बाघ के भी दर्शन हो जाएं। शाम को आप बर्ड वाचिंग या नदी ने बोट राइड के लिए जा सकते हैं। 

आठवां दिन- 

आठवें दिन वापस काठमांडू का सफर। यहां से काठमांडू करीब 180 किलोमीटर दूर है। काठमांडू पहुंचने में करीब 7-8 घंटे लगेंगे। शाम को थमेल में समय बिताइए। 

नौवां दिन- 

इस दिन नेपाल घूमने की खुशनुमा यादों के साथ अपने देश के लिए वापसी की फ्लाइट लीजिए। 

कैसे घूमें- 

ऊपर बताई itinerary के आप टैक्सी या फ्लाइट दोनों ही विकल्पों का इस्तेमाल कर सकते हैं। सड़क से यात्रा करने में समय काफी लगता है। इसलिए सार्वजनिक बसों की बजाए अपनी टैक्सी से यात्रा करेंगे तो ज़्यादा बेहतर रहेगा। वैसे काठमांडू से पोखरा के लिए नियमित बस सेवा उपलब्ध है। 

अगर आपका बजट ज़्यादा है और ज़्यादा से ज्यादा समय घूमने में बिताना चाहते हैं तो हवाई सेवा से भी यह ट्रिप पूरा कर सकते हैं।

काठमांडू से पोखरा के लिए नियमित हवाई सेवा उपलब्ध है। चितवन नेशनल पार्क के सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है भरतपुर। पोखरा से भरतपुर के लिए भी हवाई सेवा उपलब्ध है। 

वापसी में भरतपुर से काठमांडू के लिए भी नियमित हवाई सेवा है।  

इसके अलावा आपके पास इस itinerary में जोड़ने के लिए कुछ हो तो ज़रूर बताएं।

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