नैनीताल-झील का जादू

नैनीताल-झील का जादू

नैनीताल को हम झील का शहर भी कह सकते हैं। नैनीताल भारत के सबसे सुन्दर हिल स्टेशनों में से है। १९३९ मीटर की उंचाई पर बसे नैनीताल को एक अंग्रेज पी बैरन ने १८३९ में खोजा था।

नैनीताल से मेरा जुडाव बचपन से ही है। अब तो मुझे खुद भी याद नहीं कि कितनी बार मैं इस मनोरम दुनिया में आ चुका हूं। लेकिन फिर भी मैं यहां जब भी आता हूं मुझे एक नया सा एहसास होता है। शायद यही वो वजह है जिसके कारण मैं बार बार यहां आता हूं। आज कल पर्यटकों की बढती भीड़ के बाद भी इसने अपना पुराना आकर्षण नहीं खोया है।

नैनीताल का सबसे बडा़ आकर्षण यहां कि झील ही है। ये छोटा शहर सा इसके चारों और बसा है। नैनीताल को ये नाम भी झील से ही मिला है। कहते हैं कि जब भगवान शंकर सती के शव को लेकर दौड़ रहे थे। तब सती की आंख यहां गिरी थी। आंख के गिरने से बनी झील को नैनीताल कहा गया।

झील का आकार भी आंख के जैसा ही है। आज भी झील के उत्तरी किनारे पर नैना देवी का मंदिर बना है। नैनीताल आने वाला हर शख्स इस मंदिर में जरुर आता है।

नैनीताल एक घाटी में बसा है जिसके चारों और उंची उंची चोटियां हैं।जो इस हिल स्टेशन की खूबसूरती में चार चांद लगाती हैं। झील के साथ ही घाटी में बसा होना ही इसे दूसरे हिल स्टेशनों से अलग और खूबसूरत बनाता है।

शहर मुख्य रुप से झील के उत्तर और दक्षिण के किनारे पर बसा हैं। उत्तर के हिस्से को मल्लीताल और दक्षिण वाले भाग को तल्लीताल कहा जाता है।

मल्लीताल में ही नैनी मंदिर है। इसके अलावा मंदिर के पास ही सैंट जान चर्च भी है, १८४४ में बना ये चर्च आज भी बीते दिनों की याद ताजा कर देता है। मल्लीताल पर ही फ्लैट भी है ये झील के किनारे का मैदान हैं जहां नैनीताल आने वाले वाहनों के लिए पार्किंग की व्यवस्था कि गई है। साथ ही ये स्टेडियम का काम भी देता हैं।

फ्लैट के साथ ही है यहां का तिब्बती बाजार जिस भोटिया बाजार भी कहते हैं। नैनीताल आने वाले पर्यटकों में ये बाजार खासा लोकप्रिय है। यहां आप देसी विदेशी सामान जैसे कपडे़, कैमरे, घडियां, जूते, सजावट का सामान काफी सस्ते दामों पर खरीद सकते हैं। हां इसके लिए आप को मोल भाव करना आना चाहिए।

फ्लैट पर ही एक स्केटिंग रिंग बना है जहां स्केटिंग सीखी जा सकती है।झील के किनारे बाजार में घूमना और ठंडी हवा के बीच चाय की चुस्कियां लेने का अलग ही आनंद है।

मल्लीताल पर ही है रोप वे, इस रोप वे से स्नो व्यू तक जाया जा सकता है।ये लगभग २२०० मीटर उंची चोटी है। रोप पे जैसे ही आप ऊपर जाते हैं , नैनी झील अपने पूरे रुप में आप के सामने आती है।

स्नो व्यू से नैनीताल का नजारा देखा जा सकता है। अपने कैमरे में पूरे नैनीताल को लेने के लिए इससे अच्छी जगह और कोई नहीं है। स्नो व्यू से ही हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियां देखी जा सकती हैं। इसके लिए यहां पर दूरबीन लगाई गई हैं लेकिन मौसम का साफ होना जरुरी है। यहां पर पुराने ब्रिटिश काटेज को कुमायु मंडल विकास निगम ने रेस्ट हाउस में बदल दिया है। हलचल से दूर यहां रहकर असली सुन्दरता को देखा जा सकता है।

जारी रहेगा नैनीताल का सफ़र…..

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