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Tag: Travel postcard

पुरा बेसाकिह

पुरा बेसाकिह

पुरा बेसाकिह अगुंग पहाड़ की ढ़लान पर बाली के पूर्वी हिस्से में बना है पुरा बेसाकिह मंदिर। समुद्र सतह से 1000 मीटर की ऊंचाई पर बने इस मंदिर को मदर टेंपल भी कहा जाता है। पहाड़ की ऊंचाई पर बना यह मंदिर जब बादलों और कोहरे से ढ़क जाता है तो बहुत ही रहस्यमयी लगता है। यहां मुख्य रूप से यहां भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के मंदिर बने हैं। 80 से ज्यादा मंदिरों के इस समूह को लगभग 1000…

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बाली

बाली

बाली दूर तक फैले सुन्दर समुद्र तट, हरे – भरे खेत और पहाड़ इन्डोनेशिया का बाली द्वीप अपनी खूबसूरती से लुभाता है। हिन्दू संस्कृति बाली की खासियत है। हिन्दू संस्कृति का अनूठा रूप यहां दिखाई देता है। भारत से हजारों किलोमीटर दूर बाली ने प्राचीन हिन्दू संस्कृति को संभाल कर रखा है। बाली में देखने के लिए बहुत से प्राचीन मंदिर हैं। इन मंदिरों में ब्रह्मा , विष्णु और महेश को समर्पित तनह लोट, उलुवाटु और बैसाखी मंदिर प्रमुख हैं।…

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कुड्डालोर

कुड्डालोर

कुड्डालोर तमिलनाडु का प्राचीन शहर है कुड्डालोर। यहां पल्लव ,चोल और मराठों के साथ फ्रांस और ब्रिटेन जैसी विदेशी ताकतों का भी प्रभुत्व रहा। कुड्डालोर मे देखने के लिए सुन्दर समुद्री तट और मंदिर हैं। इसके इतिहास के जुड़ी इमारतें भी यहां देखी जा सकती हैं। यहां के सिल्वर समुद्री तट को एशिया के सबसे बड़े समुद्री तटों में शामिल किया जाता है। पोर्ट नोवो में पुराने पुर्तगाली किले के अवशेष देखे जा सकते हैं। यहां सातवीं सदी में बने…

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पुदुक्कोटई

पुदुक्कोटई

पुरात्तव का खजाना है पुदुक्कोटई। पांड्य, चोल, होयसल ना जाने कितने राजवंशों ने यहां शासन किया और अपने निशान छोड़े। उन सभी स्मारकों को देखने के लिए पुदुक्कोटई बेहतर जगह है। इसकी एक खास बात है कि यह पहली राजशाही थी जो आजादी के बाद भारत संघ में शामिल हुई थी। संगम साहित्य में इसे खास लोगों के रहने की जगह बताया गया है। पुदुक्कोटई साहित्य, कला और संस्कृति का केन्द्र रहा है। इसके पास कुन्नदारकोइल में पत्थरों को काट…

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तरंगमबाड़ी

तरंगमबाड़ी

तरंगमबाड़ी तमिलनाडु का तरंगमबाड़ी डच उपनिवेश का हिस्सा था। 1620 से 1845 तक यह एक डच कॉलोनी रहा। यही कारण है कि यहां डच वास्तुकला की बहुत सी इमारतें देखी जा सकती हैं। यहां डच लोगों का बनवाया किला देखा जा सकता है। जिसमें एक संग्राहलय भी है।डय समय में यह एक बड़ी व्यापारिक मंडी था। यहां पांड्य राजाओं का बनवाया 14वीं शताब्दी का शिव मंदिर है। कई पुराने चर्च भी यहां देखे जा सकते हैं। इनमें सन् 1701 में…

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तिरूवन्नमलई

तिरूवन्नमलई

तिरूवन्नमलई तमिलनाडु का एक तीर्थ स्थान है तिरूवन्नमलई। यह छोटा सा शहर अन्नमलई पहाड़ों के नीचे बसा है। यहां भगवान शिव का प्रसिद्ध अन्नमलईयर मंदिर स्थित है। नौ वीं शताब्दी में बने इस मंदिर को भगवान शिव के अग्नि रूप का प्रतीक माना जाता है। मंदिर का विशाल गोपुरम देखने लायक है। यहां नवम्बर/ दिसम्बर के महीने में दस दिनों का ब्रह्मोत्सव मनाया जाता है जिसकी समाप्ति कारथीगई दीपम त्योहार से होती है। अंतिम दिन पहाड़ी पर विशाल दीपक जलाया…

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तिरूवरूर

तिरूवरूर

15 नवम्बर 2017 तिरूवरूर तमिलनाडु के प्राचीन चोल साम्राज्य की राजधानियों में से एक था तिरूवरूर। यह शहर त्यागराज मंदिर के कारण बहुत लोकप्रिय है। यह मंदिर तमिलनाडु के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है। मंदिर में भगवान शिव की पूजा की जाती है।हर वर्ष मार्च-अप्रेल के महीन में त्यागराज मंदिर में रथयात्रा निकलती है। जिसे देखने के लिए लोगों की संख्या में लोग जुटते हैं। इस मंदिर का विशाल रथ कला का अद्भुत नमूना है। यह रथ 90…

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नागपट्टनम

नागपट्टनम

नागपट्टनम तमिलनाडु का ऐतिहासिक शहर नागपट्टम चोल राज्य का हिस्सा था। बर्मा के राजा ने चोल शासन के समय यहां बौद्ध विहार बनवाया था। सम्राट अशोक ने भी यहां बौद्ध विहार बनवाए थे। प्राचीन समय में बंगाल की खाड़ी का प्रमुख बंदरगाह था। नागपट्टनम पुर्तगालियों और बाद में डच लोगों के अधिकार में रहा। नागपट्टनम के पास वेलकन्नी ईसाई धर्म का तीर्थ स्थल माना जाता है।यहां 17वीं शताब्दी का चर्च है। 16वीं शताब्दी में बनी नागोर दरगाह भी बहुत प्रसिद्ध…

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चिदम्बरम

चिदम्बरम

चिदम्बरम तमिलनाडु के चिदम्बरम को मंदिरों का शहर कहा जाता है। यहां के मंदिर और उनके भव्य गोपुरम द्रविड़ वास्तुकला के बेहतरीन उदाहरण हैं। यहां का नटराज मंदिर सबसे लोकप्रिय है। यहां भगवान शिव की नटराज रूप में पूजा की जाती है।मंदिर की खासियत है कि यहां शिव के साथ भगवान विष्णु की पूजा भी की जाती है। इस मंदिर के गोपुरम को बारीक नक्काशी से सजाया गया है। दीवारों पर नटराज की नृत्य मुद्राएं उकेरी गई हैं। चिदम्बरम में…

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कोल्लम

कोल्लम

कोल्लम केरल की अष्टमुडी झील के किनारे बसा है कोल्लम। यहां का बंदरगाह प्राचीन समय से व्यापार का केन्द्र रहा है । इब्ने बतूता से लेकर मार्कोपोलो तक सबने इस शहर की चर्चा की है। इसके एत तिहाई हिस्से पर खूबसूरत अष्टमुडी झील फैली हुई है। इस झील में सैर करते हुए किनारे पर फैले खेतों और नारियल के पेड़ों को देखना अलग ही अनुभव है। पांड्य शैली का रामेश्वरम मंदिर देखा जा सकता है। थंगसेरी में 18वीं शताब्दी का…

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