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Month: December 2017

निज़ामाबाद

निज़ामाबाद

निज़ामाबाद निज़ामशाही के दौर में निज़ामाबाद शहर का बहुत विकास हुआ। निज़ामाबाद का किला यहां की सबसे लोकप्रिय इमारत है। इस किले को 10वीं शताब्दी में राष्ट्रकूट राजाओं ने बनवाया। किले के भीतर ऊंची पहाड़ी पर रामुलवारी मंदिर है जिसे छत्रपति शिवाजी महाराज ने बनवाया था। निज़ामाबाद के पास ही डोमाकोंडा गांव में डोमाकोंड़ा किला है । 18वीं सदी में बना यह किला मुगल और पश्चिमी वास्तुकला का मेल है। किले में एक सुन्दर महल और काकतीय राजवंश के समय…

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जम्मू-कश्मीर की 10 खूबसूरत जगहें

जम्मू-कश्मीर की 10 खूबसूरत जगहें

भारत के सबसे उत्तर में है जम्मू-कश्मीर। हिमालय के पहाड़ों पर बसे इस राज्य में कश्मीर घाटी से हरे-भरी घाटियों और पानी से भरी झीलों से लेकर लद्दाख के बर्फीले रेगिस्तान तक देखने के लिए बहुत कुछ है। लद्दाख इलाके में प्राचीन बौद्ध मठ देखने को मिलते हैं तो जम्मू और कश्मीर में प्राचीन मंदिर और मस्जिदें देखी जा सकती हैं। जम्मू-कश्मीर की दस चुने हुए जगहों को मैंने इस लेख शामिल किया है । 1- मार्तण्ड सूर्य मंदिर कश्मीर…

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धुलिकट्टा

धुलिकट्टा

धुलिकट्टा तेंलगाना के बौद्ध इतिहास से जुड़ी अहम जगह है धुलिकट्टा। करीब दो हजार वर्ष पहले धुलिकट्टा में महास्तूप और विहार का निर्माण किया गया था। उस समय के अवशेष यहां देखे जा सकते हैं। यहां से रोमन और सातवाहन काल के सिक्के और चांदी के आभूषण भी मिले हैं। स्तूप को बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए चूना पत्थरों पर बौद्घ धर्म से जुड़ी आकृतियां उकेरी गई हैं। मेगस्थनीज ने भी धुलिकट्टा का जिक्र किया है। शहर इतना महत्वपूर्ण…

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करीमनगर

करीमनगर

करीमनगर तेंलगाना के इस इलाके में पाषाण काल से ही मानव के रहने के सबूत मिले हैं। सातवाहन और चालुक्य राजवशों के समय यह एक महत्वपूर्ण शहर था। एलगंदल किला यहां का सबसे बड़ा आकर्षण है । इसे करीब एक हजार साल पहले काकतीय शासन के समय बनवाया गया था। करीमनगर के पास ही जैगटियल किला है जिसे यूरोपियन इंजिनियरों ने यूरोप के किलों की तर्ज पर बनाया था। यहां का धुलिकट्टा एक बौद्ध स्थल है जहां सातवाहन काल के…

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खम्मम

खम्मम

खम्मम मुन्नेरू नदी के किनारे बसा है तेलंगाना का खम्मम। खम्मम का किला यहां का सबसे बड़ा आकर्षण है जिसे काकतीय राजाओं ने 950 ईस्वी में बनवाया था। इस किले में कई राजवंशों के समय का स्थापत्य नजर आता है।खम्मम के पास ही नेलाकोंडापल्ली एक ऐतिहासिक जगह है। यहां मिट्टी की किलेबंद दीवार के साथ तीसरी से चौथी शताब्दी के बौद्ध विहार, स्तूप और भगवान बुद्ध की कांस्य प्रतिमा मिली है। नेलाकोंडापल्ली के पास महाभारतकालीन अवशेष भी प्राप्त हुए हैं।…

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राजमुंदरी

राजमुंदरी

राजमुंदरी राजमुंदरी को आंध्र प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाता है।माना जाता है कि तेलगू भाषा का विकास यहीं हुआ था। गोदावरी नदी का पाट यहां करीब पांच किलोमीटर चौड़ा है जो एक बड़ा आकर्षण है। यहां गोदावरी नदी के बीच एक पहाड़ी पर श्री वीरभद्रस्वामी का प्राचीन मंदिर है। अंग्रेजों के समय बना डोवालीस्वरम बांध देखने लायक है।इसके पास कॉटन म्यूजियम भी बना है। राजमुंदरी के पास जंगलों से ढ़की पपी पहाड़ियां एक खूबसूरत जगह है। यहां हर बारह…

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एलुरू

एलुरू

एलुरू तम्मिलेरू नदी के किनारे बसा है आंध्र प्रदेश का एलुरू शहर। एलुरू बौद्ध धर्म को मानने वाले वेंगी राज्य का हिस्सा था। यहां गुन्तुपल्ली की बौद्ध गुफाएं हैं। चट्टानों को काट कर बनाई गई इन गुफाओं में चैत्य गुफा और स्तूप मिले हैं। चैत्य गुफा के द्वार में पत्थर को खूबसूरती से तराशा गया है। यहां कई प्राचीन स्मारक हैं। एलुरू के पास भारत की ताजे पानी की सबसे बड़ी झीलों में से एक कोल्लेरू झील है। यहां सर्दियों…

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गुंटूर

गुंटूर

गुंटूर कृष्णा नदी के किनारे बसा गुटूंर आंध्र प्रदेश के ग्रामीण जीवन की झलक देता है। ऐतिहासिक मंदिर, रहस्यमयी गुफाएं, जंगल और खूबसूरत समुद्री तट यहां देखने के लिए बहुत कुछ है। यहां की उनदावल्ली गुफाएं रॉक-कट स्थापत्य का बेहतरीन उदाहरण है। कोन्दाविदु किला यहां के इतिहास को बयान करता है। इस किले को वर्ष1250 में रेड्डी शासन के समय बनवाया गया था। गुंटूर के पास अमरावती एक ऐतिहासिक जगह है। यहां अमरावती के बौद्ध इतिहास के अवशेष और प्राचीन…

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डिंडी

डिंडी

डिंडी आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले का छोटा सा अनछुआ गांव है डिंडी। गोदावरी नदी के किनारे बसे डिंडी में सुरम्य बैकवॉटर, साफ पानी से भरी झीलें और छोटी – छोटी नदियां हैं। यहां पानी की नहरों के किनारे उगे नारियल के पेड़ और दूर-दूर तक फैले धान के खेत अलग दुनिया में आने का अहसास दिलाते हैं। शहरों की भागदौड़ और आधुनिक जीवन की आपाधापी से दूर यहां शांति से समय बिताया जा सकता है। पर्यटक यहां हाउसबोट…

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कडपा

कडपा

कडपा पूर्वी घाट के खूबसूरत पहाड़ों पर बसा है आंध्र प्रदेश का कडपा। नल्लमला और पालकोंडा पहाडों से घिरे कड़पा में हरे-भरे मैदानों से लेकर पहाड़ों तक सब कुछ है। ग्रामीण आंध्र प्रदेश की झलक यहां दिखाई देती है। इस जगह को तिरुपति मंदिर का द्वार कहा जाता है। यहां के दुवनी कडापा मंदिर की बहुत मान्यता है। यहां मस्ज़िद-ए-आज़म 17वीं सदी में बनाई मुगल शैली का मस्ज़िद है जिसे मुगल बादशाह औंरगज़ेब ने बनवाया था। कडपा की अमीन पीर…

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