जानिए भारतीयों के लिए नेपाल घूमना है कितना आसान ? 

जानिए भारतीयों के लिए नेपाल घूमना है कितना आसान ? 

नेपाल भारत का पड़ोसी देश है। अभी हाल ही में पहली बार मेरा नेपाल जाना हुआ। मैं ट्रेवल से जुड़े कार्यक्रम हिमालयन ट्रेवल मार्ट में हिस्सा लेने के लिए नेपाल गया था। यहां पहुंचकर पता चला कि हमारे इस पड़ोसी देश में देखने, घूमने और समझने के लिए कितना कुछ है। नेपाल सांस्कृतिक तौर पर भारत के बेहद करीब रहा है। बचपन से नेपाल के बारे में सुनते आ रहे हैं। लेकिन क्या विदेश यात्रा पर मुझे नेपाल जाना चाहिए, ऐसा कभी विचार मन में नहीं आया। लेकिन अब नेपाल की यात्रा के बाद में कह सकता है कि हम भारतीयों को विदेश यात्रा के दौरान एक बार नेपाल ज़रूर आना चाहिए। मैंने अपनी यात्रा के दौरान नेपाल को जितना समझा और देखा उसके आधार पर बता रहा हूं कि हमें नेपाल क्यों आना चाहिए और यहां आना कितना आसान है।. 

क्यों आएं नेपाल- नीचे मैंने बताया है कि नेपाल घूमने में क्या फायदा है और हम भारतीयों के लिए नेपाल घूमना क्यों आसान है। 

1- वीजा की ज़रूरत नहीं –

देश के बाहर घूमने की सोचें तो सबसे बड़ी चिंता यही होती है कि उस देश के वीजा के लिए क्या करना होगा। बहुत से देशों के ट्रेवल वीजा के लिए ढ़ेरों कागजात जमा करने के पड़ते हैं। हज़ारों रुपयों की वीज़ा फीस देने के बाद तय नहीं कि वीजा मिलेगा या नहीं। ऐसे में नेपाल सुखद अहसास की तरह है। नेपाल आने के लिए हम भारतीयों को किसी तरह के वीजा की ज़रूरत नहीं। पासपोर्ट विदेश यात्रा के लिए ज़रूरी दस्तावेज़ है। भले ही कोई देश आपको फ्री वीज़ा दे रहा हो लेकिन फिर भी पासपोर्ट होना ज़रूरी है। लेकिन भूटान के अलावा नेपाल ही ऐसा देश है जहां जाने के लिए भारतीयों को पासपोर्ट की ज़रूरत नहीं है। अगर आपको पास भारत का वोटर आईकार्ड है तब भी आप बिना किसी चिंता के नेपाल की यात्रा कर सकते हैं। मैंने अपनी वापसी की उड़ान के समय काठमांडू एयरपोर्ट पर देखा कि कुछ भारतीय आधारकार्ड दिखा तक हवाई यात्रा करने की कोशिश कर रहे थे। एयरलाइन ने उन्हें यात्रा नहीं करने दी। इस बार में ध्यान रखें नेपाल की यात्रा करने के लिए पासपोर्ट या भारत का वोटर आईडी कार्ड होना ज़रूरी है। इनके दोनों के अलावा कोई भी भारतीय आईडी कार्ड नेपाल की यात्रा के लिए मान्य नहीं है।

2- आने-जाने के आसान साधन-

भारत से नेपाल आने-जाने के लिए कई तरह के साधन उपलब्ध हैं। अगर आप हवाई सेवा से आना चाहते हैं तो कई शहरों से काठमांडू के लिए सीधी हवाई सेवा उपलब्ध है। दिल्ली से काठमांडू के लिए नियमित उड़ानें हैं। दिल्ली से काठमांडू की फ्लाइट केवल 1.5 घंटे की की है। जितनी देर में आप दिल्ली से मुंबई पहुंचते हैं उससे कम समय में दिल्ली से काठमांडू पहुंच सकते हैं। मैं कई लोगों को जानता हूं जो नियमित पशुपतिनाथ मंदिर दर्शन के लिए जाते हैं। वे लोग सुबह ही फ्लाइट से काठमांडू जाकर। दर्शन के बाद शाम की फ्लाइट से दिल्ली लौट आते हैं। साथ ही हवाई सेवा बहुत मंहगी भी नहीं है। दिल्ली से काठमांडू का रिटर्न टिकट 8-10 हजार रुपयों में मिल जाता है। दिल्ली से मुंबई या गोवा जैसी जगहे जाने के लगभग इसके बराबर ही किराया चुकाना पड़ता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि कम खर्च में नया देश और संस्कृति देखने का मौका मिलता है। 

अगर हवाई सेवा मंहगी लगे तो नेपाल सड़क के रास्ते भी जाया जा सकता है। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार में कई बार्डर पोस्ट हैं जहां से आसानी से सड़क के ज़रिए नेपाल जाया जा सकता है। यह यात्रा हवाई सेवा के मुकाबले काफी सस्ती पड़ती है। दिल्ली से भी काठमांडू के लिए सीधी बस सेवा उपलब्ध है। हालांकि बस की यात्रा में समय काफी लगता है। 

एक तरीका है कि भारत में नेपाल बार्डर तक रेल से सफ़र किया जाए और नेपाल की तरफ आगे की यात्रा बस या टैक्सी जैसे साधनों से पूरी कर ली जाए। 

3- भोजन की समानता –

शाकाहारी नेपाली थाली

नेपाल में एक कहावत बहुत लोकप्रिय है “ दाल-भात पावर 24 आवर”, मतलब की दाल-भात खाओ और दिन पर भी ताकत पाओ। यह कहावत नेपाल की भोजन की आदतों के बारे में बताती है। दाल-भात ( चावल) नेपाल का प्रमुख आहार है। यही दाल-भात को भारत में अधिकांश लोगों का प्रमुख आहार है या लोग पसंद करते हैं। कहने का मतलब है कि भारतीयों को खाने को लेकर नेपाल में परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी। नेपाल की खाने से जुड़ी आदतें भारत के समान ही हैं। हालांकि नेपाल ने मासांहार काफी खाया जाता है लेकिन फिर भी दाल-भात के कारण मेरे जैसे शाकाहारी को वहां कोई समस्या नहीं हुई। इसके अलावा मिठाईयों और स्नैक्स के मामले में भी नेपाल और भारत की आदतें काफी मिलती हैं। विदेश यात्राओं के दौरान खाने को लेकर काफी परेशानी उठानी पड़ती है। खासतौर से अगर आप शाकाहारी हैं तो समस्या बढ़ जाती है।

4- भाषा की समानता-

नेपाली भाषा भी देवनागरी लिपी में लिखी जाती है। नेपाल में हिंदी आराम से समझी जाती है। भारतीयों को भाषा की कोई समस्या नेपाल में नहीं होगी। नेपाली लोग हिन्दी समझ भी लेते हैं और बोल भी लेते हैं। 

5- संस्कृति-

नेपाल और भारत सांस्कृतिक तौर पर समान हैं। नेपाल हिन्दू बहुल देश है और यहां कि धार्मिक मान्यताओं और संस्कृति भारत के जैसी ही है। ऐसे में आपको नेपाल आकर अपनेपन का अहसास होता है। हालांकि यहां हिन्दू धर्म का अपना स्वरूप विकसित हुआ है। यहां आकर उसे रुप को देखना अलग अनुभव है। इसके साथ ही यहां बौद्ध धर्म का भी व्यापक प्रभाव है। 

6- हर बजट में रहने की सुविधा-

नेपाल खर्च के लिहाज से मंहगी जगह नहीं है। अगर आप कम बजट में विदेश यात्रा करना चाहते हैं नेपाल बिल्कुल सही विकल्प है। वैसे तो यहां हर बजट के हिसाब से रहने की सुविधाएं मौजूद हैं। लेकिन सस्ते होस्टल, होम स्टे और होटलों की यहां कोई कमी नहीं। काठमांडू जैसे जगह पर 1000 भारतीय रुपये से भी कम में साफ-सुथरा होटल मिल जाएगा। 

7- भारतीय रुपये की ज़्यादा वैल्यू –

नेपाली रुपये की तुलना में भारतीय रुपये की वैल्यू ज़्यादा है। भारत के 100 रुपयों के बदले आपको 160 नेपाली रुपये मिलते हैं। इस कारण नेपाल घूमना सस्ता पड़ता है। दोनें सरकारों ने ये एक्सचेंज वैल्यू फिक्स कर रखी है इसके कारण एक्सचेंज रेट के बदलाव को लेकर कुछ सोचना नहीं पड़ता।

ऊपर मैंने कुछ कारण बताए जिनसे मुझे नेपाल घूमना आसान लगा। आप भी अगर नेपाल गए हैं और आप कुछ और वजहें इसमें जोड़ सकते हैं तो मुझे ज़रूर बताएं। 

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