ट्रेकिंग पसंद हैं तो चले आइए नेपाल
मुझे पहाड़ों में ट्रेकिंग करना बहुत पसंद है। दुनिया की सबसे ऊंची चोटियों वाली हिमालय पर्वत श्रंखला के कारण भारत में ट्रेकिंग करने के न जाने कितने रास्ते हैं। मैने भी भारत में कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में कई ट्रेक किए हैं। भारत के साथ ही हमारे पड़ोसी देश नेपाल से भी हिमालय पर्वत गुजरता है। हिमालय ने नेपाल को भरपूर ख़ूबसूरती दी है। दुनिया की सबसे ऊंची चोटी मांउंट एवरेस्ट भी नेपाल में ही है। हिमालय की गोद में बसे होने के कारण नेपाल को हिमालय का देश भी कहा जाता है। नेपाल में ट्रेकिंग करने के ढ़ेरों रास्ते हैं। इन पर ट्रेक करने के लिए दुनिया भर से रोमांचक खेल पसंद करने वाले पर्यटक नेपाल आते हैं। मैं भी पहली हिमालयन ट्रेवल मार्ट के पर नेपाल पहुंचा। मेरा यह नेपाल का पहला सफ़र था और मैं इस ख़ूबसूरत देश को समझने के साथ ही यहां के ट्रेकिंग के रास्तों के बारे में भी जानना चाहता था।
ट्रेवल मार्ट में मैंने कई ट्रेवल एजेन्सियों से बात की जो नेपाल में ट्रेकिंग करवाते हैं। इसके साथ ही ट्रेवल मार्ट में हमारे ग्रुप को जो ट्रेवल गाइड मिले वे भी एवरेस्ट बेस कैंप से लेकर अन्नपूर्णा बेस कैंप तक के ट्रेक करवाते हैं। हालांकि मुझे इस सफ़र में ट्रेक करने का मौका नहीं मिला लेकिन मुझे नेपाल में ट्रेकिंग के बारे में काफी कुछ जानने को मिला।
चलिए जानते हैं नेपाल के कुछ सबसे लोकप्रिय ट्रेकिंग रुट्स के बारे में
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1- एवरेस्ट बेस कैंप- Everest Base Camp Trek (EBC) –
एवरेस्ट बेस कैंप ट्रेक नेपाल के सबसे लोकप्रिय ट्रेक में से एक है या लोकप्रियता के आधार पर देखें तो यह पहले नंबर पर ही आता है। पहाड़ों को चाहनों वालों की इच्छा होती है कि ज़िंदगी में एक बार माउंट एवरेस्ट पर पहुंचे। लेकिन माउंट एवरेस्ट पर पहुंचना इतना आसान नहीं है। उसके लिए माउटेनियरिंग के कड़े प्रशिक्षण की ज़रुरत पड़ती है। ऐसे में काम आता है एवरेस्ट बेस कैंप ट्रेक। यह ट्रेक आपको माउंट एवरेस्ट के सबसे नज़दीक तक ले जा सकता है। एवरेस्ट के नज़दीक पहुचने की इसी खूबी के कारण दुनिया भर से लोग इस ट्रेक को करने के लिए आते हैं।
एवरेस्ट बेस कैंप ट्रेक ( Everest base camp) को शार्ट में EBC भी कहा जाता है। ट्रेक की शुरूआत नेपाल की राजधानी काठमांडू से होती है। दुनिया भर से लोग काठमांडू पहुंचते हैं। काठमांडू में उनकी ट्रेकिंग कंपनी के लोगों से मुलाकात होती है, जिससे उन्होंने ट्रेक बुक किया होता है। काठमांडू पहुंचने के बाद आप 2-3 दिन यहां बिताएं जिससे पहाड़ी आबोहवा की आदत होने लगे। इसके साथ ही काठमांडू में ट्रेक लिए ज़रूरी सामान की खरीदारी भी की जा सकती है। अगर आपके पास किसी सामान की कमी है तो बेहतर है उसे काठमांडू से ही खरीद लें। काठमांडू का थमेल इलाका इस तरह की खरीदारी के लिए बिल्कुल सही जगह है।
काठमांडू से आप हवाई सफ़र से पहुंचते हैं लुकला। लुकला को दुनिया के सबसे ख़तरनाक हवाई अड्डों में शामिल किया जाता है। पहाड़ पर बेहद छोटी हवाई पट्टी होने के कारण छोटे 10-15 सीट वाले हवाई जहाज से ही लुकला पहुंचा जा सकता है। लुकला से ही एवरेस्ट बेस कैंप की ट्रेकिंग शुरू होती है। लुकला 2860 मीटर की ऊंचाई पर बसा पहाड़ी कस्बा है। ट्रेक का शुरूआती कस्बा होने यहां के बाज़ार से भी ट्रेक से जुड़ी चीजों की खरीदारी की सकती है।
काठमाडू से लेकर काठमांडू तक एवरेस्ट बेस कैंप ट्रेक में करीब 14-16 दिन का समय लगता है। अलग-अलग ट्रेकिंग कंपनियों के हिसाब से ये दिन कुछ ज़्यादा या कम हो सकते हैं।
एवरेस्ट बेस कैंप ट्रेक के दो प्रमुख रास्ते हैं। पहला है लुकला से ट्रेक करके ट्रेक का आखिरी स्थान काला पत्थर (5545 मीटर) पहुंचना और वहां से वापस लुकला आना।
दुसरे रास्ते में आप लुकला से काला पत्थर पहुंचने के बाद सीधे लुकला न वापस आकर गोक्यो झील ( Gokyo Lakes) की तरफ से वापस आते हैं। ये ट्रेक थोड़ा ज़्यादा मुश्किल है और इसमें समय भी ज़्यादा लगता है। इस ट्रेक में करीब 19-20 दिन का समय लगता है।
एवरेस्ट बेस कैंप ट्रेक में लगभग 130 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी।
2- अन्नपूर्णा बेस कैंप ट्रेक- Annapurna Base Camp Trek ( ABC) –
नेपाल का दूसरा सबसे लोकप्रिय ट्रेक है, अन्नपूर्णा बेस कैंप ट्रेक जिसे शार्ट में ABC भी कहा जाता है। ABC को करने के लिए भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं। मुझे बताया गया कि इसे एवरेस्ट बेस कैंप की तुलना में थोड़ा आसान माना जाता है। लेकिन ट्रेकिंग का मेरा अनुभव कहता है कि हिमालय जैसी मुश्किल जगह पर कोई भी ट्रेक आसान नहीं होता। जरा सी असावधानी से आसान ट्रेक भी मुश्किल में पड़ सकता है। इसिलए जाने से पहले अपनी ट्रेकिंग एजेंसी से ट्रेक से जुड़ी सभी ज़रूरी जानकारियां ले और अपने आपको ट्रेक से लिए तैयार करें।
आमतौर से अन्नपूर्णा बेस कैंप ट्रेक की शुरुआत नेपाल के पोखरा से होती है। फेवा झील के किनारे बसा पोखरा बहुत ख़बूसरत शहर है। यहां से हिमालय की मच्छपुछरे चोटी साफ दिखाई देती है।
अन्नपूर्णा बेस कैंप ट्रेक पूरा करने के लिए कई रास्ते हैं। आमतौर से इस ट्रेक को पूरा करने में 9-10 दिन लगते हैं। ट्रेकिंग कंपनियों के हिसाब से ट्रेक का रास्ता थोड़ा अलग हो सकता है। अन्नपूर्णा बेस कैंप ट्रेक के रास्ते पर कई छोटे ट्रेक्स का रास्ता भी निकलता है। अगर आप यहां ज़्यादा दिन बिताना चाहते हैं तो अन्नपूर्णा बेस कैंप ट्रेक के साथ ही छोटे ट्रेक भी कर सकते हैं।
अन्नपूर्णा बेस कैंप ट्रेक करीब 80 किलोमीटर लंबा है।
3- अन्नपूर्णा सर्किट ट्रेक- Annapurna Circuit trek –
नेपाल आने से पहले मुझे एवरेस्ट और अन्नपूर्णा ट्रेक की जानकारी तो थी। लेकिन मैने अन्नपूर्णा सर्किट ट्रेक के बारे में नहीं सुना था। हिमालय ट्रेवल मार्ट में मुझे पता चला कि यह ट्रेक अन्नपूर्णा बेस कैंप ट्रेक से अलग है। यह ट्रेक काफी लंबा है और इसके समय भी बहुत लगता है। इसे पूरा करने में लगभग 20-22 दिन का समय लगता है। यह ट्रेक अन्नपूर्णा बेस कैंप ट्रेक की तुलना में मुश्किल है।
अन्नपूर्णा सर्किट ट्रेक में भी कई रास्ते निकलते हैं। आप अपनी सुविधा से हिसाब से रास्ता चुन सकते हैं।
रास्ते से हिसाब से यह ट्रेक 150-230 किलोमीटर तक लंबा हो सकता है।
4- कंचनजंघा बेस कैंप ट्रेक- Kanchenjunga Base Camp Trek –
नेपाल का बेहद ख़बूसूरत ट्रेक है कंचनजंघा बेस कैंप ट्रेक। यह ट्रेक एवरेस्ट और अन्नपूर्णा ट्रेक जितना लोकप्रिय नहीं है। इसका यह फायदा है कि इस ट्रेक पर आपको दूसरे लोकप्रिय ट्रेक जितनी भीड़ नहीं मिलती है। 220 किलोमीटर लंबे इस ट्रेक को पूरा करने में करीब 20 दिन लगते हैं।
ऊपर बताए इस ट्रेक के अलावा भी नेपाल में बहुत सारे ट्रेक हैं। आप अपनी सुविधा से हिसाब से जानकारी जुटा कर ट्रेक का चुनाव कर सकते हैं। नेपाल का अपर मुस्तेंग (upper Mustang) इलाका भी ट्रेक के लिए काफी लोकप्रिय हो रहा है।
ट्रेक के दौरान रुकने की व्यवस्था –
नेपाल में ट्रेकिंग से जुड़े बुनियादी ढांचे में काफी विकास हुआ है। यहां से अधिकांश लोकप्रिय ट्रेकिंग रुट्स पर आपको टैंट में रुकने की ज़रूरत नहीं पड़ती। यहां ट्रेक रास्तों पर छोटे गेस्ट हाउस बने होते हैं। इन गेस्ट हाउस को नेपाल में टी हाउस कहा जाता है। अब तो ये टी हाउस भी काफी आधुनिक हो गए हैं। यहां आपको ज़रूरत से हिसाब से डोरमैट्री से लेकर कमरों तक के विकल्प मिल जाते हैं। अगर आप ट्रेकिंग कंपनी से ट्रेक बुक कर रहे हैं तो आमतौर से उसके पैकेज में रुकने की व्यवस्था शामिल होती है। अगर बिना कंपनी के ट्रेक कर रहे हैं तो अपनी बजट से हिसाब से जगह का चुनाव कर सकते हैं। कई जगहों पर अगर आप टी हाउस में ही खाना खाते हैं तो आपसे रुकने का कोई पैसा नहीं लिया जाता।
आने-जाने की सुविधा-
एवरेस्ट बेस कैंप से पहले कस्बे लुकला तक आने-जाने के लिए सभी लोग छोटे हवाई जहाज का इस्तेमाल करते हैं। लुकला का एयरपोर्ट दुनिया के सबसे खतरनाक एयरपोर्ट्स में से एक है लेकिन यह सफ़र आपको ज़िंदगी पर याद रहेगा।
पोखरा भी काठमांडू से हवाई सेवा से जुड़ा है। पोखरा में भी छोटे हवाई जहाज से ही पहुंचा जाता है। काठमांडू से पोखरा सड़क के रास्ते भी आया जा सकता है। इस सफ़र में करीब 6-7 घंटे लगते हैं।
क्या-क्या सावधानी रखें –
हिमालय जितना ख़बसूरत है उतना ही ख़तरनाक भी है। छोटी सी असावधानी आपको मुश्किल में डाल सकती है। ट्रेक पर आने से पहले अपने ट्रेक के बारे में पूरी जानकरी लें। ट्रेक पर आपका शारीरिक रूप से फिट होना बहुत ज़रूरी है। अगर आप नियमित व्यायाम नहीं करते तो ट्रेक पर आने से करीब दो महीना पहले से नियमत जॉगिंग या दौड़ना शुरू करें। दौड़ने से आपके फेफड़ों की क्षमता बेहतर होगी। साथ ही आप पैर भी मजबूत होंगे। अपनी ट्रेकिंग एजेंसी से ट्रेक से जुड़ी सभी जानकारी ले लें।
मैने देखा है कि बहुत से लोग अपने आप ये ट्रेक करते हैं। नेपाल में ट्रेकिंग के जाने पहचाने रास्तों पर बहुत से ट्रेकर मिल जाते हैं। इसलिए भटकने का खतरा कम होता है। लेकिन फिर भी मेरी सलाह है कि हिमालय जैसे इलाके में अकेले ट्रेक न करें। अपने साथ प्रशिक्षित गाइड ज़रूर रखें। किसी जानी मानी ट्रेकिंग एजेसी के साथ ट्रेक करने पर आपको प्रशिक्षित गाइड साथ मिलता है। साथ ही किसी तरह की दुर्घटना होना या स्वास्थ्य खराब होने पर आपको सहायता भी जल्दी पहुंचती है।
इंश्योरेंस-
नेपाल में ट्रेकिंग के लिए इंश्योरेस लेना ज़रूर है। आप भी इसको भूलें नहीं। ट्रेकिंग के लिए अपना इंश्योरेस ज़रूर करवाएं। किसी तरह की दुर्घटना की स्थिति में हेलिकॉप्टर से बचाव कार्य किया जाता है। हेलिकॉप्टर की सेवाएं काफी मंहगी हैं। आपके पास इंश्योरेंस होने पर हेलिकॉप्टर पर लगने वाले खर्च को आप बचा सकते हैं।