मिरिक

मिरिक

मिरिक पश्चिम बंगाल का छोटा सा हिल स्टेशन है मिरिक। चाय के बागानों से घिरा मिरिक दार्जिलिंग के पास ही है। करीब 1767 मीटर की ऊंचाई पर बसे मिरिक की खूबसूरती के साथ ही यहां की शांति भी लोगों के लुभाती है। मिरिक समेंदु झील के किनारे बसा है। झील के चारों तरफ बनी सड़क पर टहलने का मजा लिया जा सकता है। यहां बोकार बौद्ध मठ भी है। मिरिक से कंजनजंघा की बर्फ से ढ़की चोटियों का बढ़िया नजारा…

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उबुड

उबुड

उबुड बाली के समुद्र तटों से दूर खूबसूरत पहाड़ी इलाका है उबुड। बाली के पहाड़ भी यहां के समुद्र तटों से कम खूबसूरत नहीं हैं। दूर- दूर तक फैले चावल के हरे – भरे खेत इसकी सुन्दरता को और भी बढ़ा देते हैं। उबुड में रहकर बाली के जंगलों के बीच सुकून से कुछ वक्त बिताया जा सकता है। यहां पहाड़ों में ट्रेकिंग करने के लिए भी रास्ते हैं। इसके साथ ही यहां माउन्टेन बाइकिंग और क्वाड बाइकिंग जैसे रोमांचक…

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पुरा उलुवाटु

पुरा उलुवाटु

पुरा उलुवाटु बाली के दक्षिण में समुद्र के किनारे बना है पुरा उलुवाटु। इस मंदिर की बाली में बहुत मान्यता है। समुद्र में 250 फीट ऊंची खड़ी चट्टान पर यह मंदिर बना है। यहां से दूर-दूर तक फैले हिन्द महासागर का शानदार नजारा दिखाई देता है। यह मंदिर शहर की हलचल से दूर पहाड़ी जंगल में बना है। बाली के बहुत से लोग यहां प्रार्थना करने आते हैं। सूर्यास्त का नजारा देखने के लिए यहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते…

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सनूर समुद्री तट

सनूर समुद्री तट

सनूर समुद्री तट बाली के पूर्वी किनारे पर है सनूर। यह समुद्री तट सूर्योदय के लिए प्रसिद्ध है। इसलिए सुबह के समय यहां काफी सैलानी जमा होते हैं। सनूर तट से ही बाली के पास के दूसरे द्वीपों के लिए नावें जाती हैं। यहां से नाव लेकर नुसा पेनिडा और लोम्बोक द्वीपों तक जाया जा सकता है। सनूर बाली का शांत इलाका है। कुछ दिन प्रकृति की सुन्दरता के बीच शांति से बिताने के लिए सनूर बेहतर जगह है। शाम…

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पुरा तनाह लोत

पुरा तनाह लोत

समुद्र के किनारे बना पुरा तनाह लोट बाली के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। समुद्री की लहरें लगातार मंदिर की छोटी सी पहाड़ी से टकराती रहती है। ज्वार के समय पहाड़ी पानी से घिर जाती है। तनाह लोट के पास ही गुफा है जिसके निकलते पानी को पवित्र माना जाता है। मौसम साफ हो तो तनाह लोट से सूर्यास्त का शानदार नजारा दिखाई देता है। तनाह लोत के पास समुद्री चट्टान पर एक और मंदिर पुरा बातु बलोंग बना…

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कुटा समुद्री तट

कुटा समुद्री तट

कुटा समुद्री तट बाली की सबसे लोकप्रिय जगह है कुटा समुद्री तट। यह तट अपने सूर्यास्त के लिए प्रसिद्ध है। आखों के सामने समुद्र में समाता सूरज देखने में अद्भुत लगता है। कुटा का तट सर्फिंग के लिए बिल्कुल सही है। दुनिया भर से लोग सर्फिंग का मजा लेने यहां आते हैं। कुटा में पूरे दिन लोगों का मेला लगा रहता है। कुछ लोग यहां की सफेद रेत पर टहलने का मजा लेते हैं तो कुछ धूप सेकने का। कुछ…

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पुरा बेसाकिह

पुरा बेसाकिह

पुरा बेसाकिह अगुंग पहाड़ की ढ़लान पर बाली के पूर्वी हिस्से में बना है पुरा बेसाकिह मंदिर। समुद्र सतह से 1000 मीटर की ऊंचाई पर बने इस मंदिर को मदर टेंपल भी कहा जाता है। पहाड़ की ऊंचाई पर बना यह मंदिर जब बादलों और कोहरे से ढ़क जाता है तो बहुत ही रहस्यमयी लगता है। यहां मुख्य रूप से यहां भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के मंदिर बने हैं। 80 से ज्यादा मंदिरों के इस समूह को लगभग 1000…

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बाली

बाली

बाली दूर तक फैले सुन्दर समुद्र तट, हरे – भरे खेत और पहाड़ इन्डोनेशिया का बाली द्वीप अपनी खूबसूरती से लुभाता है। हिन्दू संस्कृति बाली की खासियत है। हिन्दू संस्कृति का अनूठा रूप यहां दिखाई देता है। भारत से हजारों किलोमीटर दूर बाली ने प्राचीन हिन्दू संस्कृति को संभाल कर रखा है। बाली में देखने के लिए बहुत से प्राचीन मंदिर हैं। इन मंदिरों में ब्रह्मा , विष्णु और महेश को समर्पित तनह लोट, उलुवाटु और बैसाखी मंदिर प्रमुख हैं।…

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कुड्डालोर

कुड्डालोर

कुड्डालोर तमिलनाडु का प्राचीन शहर है कुड्डालोर। यहां पल्लव ,चोल और मराठों के साथ फ्रांस और ब्रिटेन जैसी विदेशी ताकतों का भी प्रभुत्व रहा। कुड्डालोर मे देखने के लिए सुन्दर समुद्री तट और मंदिर हैं। इसके इतिहास के जुड़ी इमारतें भी यहां देखी जा सकती हैं। यहां के सिल्वर समुद्री तट को एशिया के सबसे बड़े समुद्री तटों में शामिल किया जाता है। पोर्ट नोवो में पुराने पुर्तगाली किले के अवशेष देखे जा सकते हैं। यहां सातवीं सदी में बने…

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पुदुक्कोटई

पुदुक्कोटई

पुरात्तव का खजाना है पुदुक्कोटई। पांड्य, चोल, होयसल ना जाने कितने राजवंशों ने यहां शासन किया और अपने निशान छोड़े। उन सभी स्मारकों को देखने के लिए पुदुक्कोटई बेहतर जगह है। इसकी एक खास बात है कि यह पहली राजशाही थी जो आजादी के बाद भारत संघ में शामिल हुई थी। संगम साहित्य में इसे खास लोगों के रहने की जगह बताया गया है। पुदुक्कोटई साहित्य, कला और संस्कृति का केन्द्र रहा है। इसके पास कुन्नदारकोइल में पत्थरों को काट…

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