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दुबई फ्रेम- दुबई की नई पहचान
दुबई ऊँची इमारतों का शहर है। शहर के नए इलाके में स्टील और काँच की आसमान छूती इमारतों का जाल बिछा है। हर इमारत ऊँचा निकलने के दौड़ में दूसरे से होड़ करती नज़र आती है। लेकिन ऊँचा जाना ही काफी नहीं है। यहाँ आपको हर उस शक्ल की इमारत नज़र आ सकती है जैसा कि आप सोच सकते हैं। सीधी, टेढ़ी, गोल, तिरछी, बस आप कोई आकार सोचिए और पूरी उम्मीद है कि उस आकार की कोई इमारत या तो बन चुकी होगी या कहीं ना कहीं तैयार हो रही होगी। इन्हीं इमारतों में कुछ ऐसी हैं जो इस शहर की पहचान को नया रंग दे देती हैं। कुछ समय पहले तक समुद्र के बीच बने दुनिया के सबसे मंहगे होटलों में से एक बुर्ज़-अल-अरब ने यह भूमिका निभाई । उसके बाद दुनिया की सबसे ऊँची इमारत बुर्ज़-खलीफ़ा सामने आई और अब बारी है दुबई फ्रेम की।
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दुबई फ्रेम दुबई के नक्शे पर बनी ताज़ातरीन इमारत है। अक्सर लोग दुबई को बिना आत्मा वाला कांच की इमारतों का शहर कहते हैं। यह भी कहा जाता है कि वास्तुशिल्प के नज़रिए से दुबई में ऐसा कुछ नहीं है जैसा आपको भारत के प्राचीन मंदिरों, मिस्र के पिरामिड़ों या यूरोप की पुराने गॉथिक चर्चों या इमारतों में दिखाई देता है। लेकिन क्या पुराना होना ही किसी की पहचान के लिए काफी है। वे पुरानी इमारतें भी कभी तो जवान रही होंगी। आज का दुबई अब उसी काम को कर रहा है। दुबई अब जवान हो रहा है। दुबई रोज अपना इतिहास लिख रहा है , हर रोज अपने भविष्य का निर्माण कर रहा है। भले ही आज ना हो लेकिन हो सकता है 100-200 या 300 वर्षों के बाद यही इमारतें प्राचीन स्थापत्य का हिस्सा हो जाएँ। तो इतनी भूमिका के बाद इस लेख में दुबई फ्रेम की बात हो जाए।
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दुबई फ्रेम को नाम उसके आकार के कारण मिला है। इसका आकार किसी तस्वीर के फ्रेम जैसा है। देखने में लगता है कि एक विशाल फ्रेम दुबई के बीचों बीच खड़ा है। इसमें दो विशाल खंभे हैं जिन्हें ऊपर से एक लंबे ब्रिज या स्काई डेक से मिला दिया गया है। इस तरह से देखने में एक आयाताकार फ्रेम जैसा नज़र आता है। इस खाली फ्रेम को खुद दुबई अपनी जीती जागती तस्वीर से भरता है। फ्रेम के एक तरफ पुराना और दूसरी तरफ नया दुबई बसा है। कह सकते हैं कि फ्रेम के एक तरफ से नई दुबई तो दूसरी तरफ से पुरानी दुबई की तस्वीर दिखाई देती है। दुबई फ्रेम दुबई की तस्वीर से आपको रूबरू करवाता है। फ्रेम की कंक्रीट से बनी बाहरी दीवारों को सुनहरे रंग के स्टील से ढका गया है।
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इसे बनाने के पीछे सोच यह है कि दुबई का भूत, वर्तमान और भविष्य लोगों को एक साथ दिखाई दे जाए। इमारत में दाखिल होने के बाद आप दॉंये हाथ की तरफ बनी लिफ्ट से ऊपर जाते हैं । इस लिफ्ट में दाखिल होने से पहले एक प्रदर्शनी में से होकर गुज़रते हैं। इस प्रदर्शनी में दुबई के पुराने इतिहास को दर्शाया गया है। मछली पकड़ने वालों और घुमंतू कबीलों की बस्ती के दुनिया के सबसे आधुनिक शहर में बदलने की कहानी यहाँ दिखाई गई है। यह दुबई फ्रेम का पहला चरण है जहाँ आप उसके भूतकाल से परिचित होते हैं। उसके इतिहास के बारे में जानते हैं।
यहां से निकलकर कर आप लिफ्ट लेते हैं। काँच की पारदर्शी लिफ्ट से दुबई से नज़ारे देखते हुए आप 150 मीटर ऊपर 48 मंजिल जितनी ऊंचाई पर पहुँचते हैं। लिफ्ट को इतनी ऊँचाई तय करने में 75 सेकंड का समय लगता है। यह फ्रेम का दूसरा चरण है। यहाँ दोनों खंभों को जोड़ने वाले ब्रिज या कहें कि स्काई डेक पर आप घूम सकते हैं। इतनी ऊंचाई से दुबई के शानदार नज़ारे दिखाई देते हैं। लिफ्ट से बाहर आने पर ब्रिज के दाँयी या दक्षिण दिशा की तरफ नई दुबई है जिसकी नुमाइंदगी करता बुर्ज खलीफा आपको दिखाई देता है। इस तरफ नज़र डालने पर ऊँची-ऊँची इमारतें दिखाई देती है। शहर के चौड़े हाईवे और तेज़ दौड़ती गाड़ियाँ दिखाई देती हैं।
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फ्रेम के बाँयी या उत्तर दिशा की तरफ आपको पुराने दुबई का इलाका दिखाई देता है। यह बर और देरा का इलाका है। जहाँ छोटी-छोटी इमारतें है और पुराने शहर की बसावट नज़र आती है। स्काई डेक पर कई स्क्रीन लगी हैं जिनसे दुबई शहर के बारे में जानकारी ली जा सकती है। इस स्काई डेक का ख़ास फीचर है इसके बीच बना काँच का फर्श। यहाँ आप जमीन से 150 मीटर ऊपर कांच के पारदर्शी फर्श पर चलने का मजा ले सकते हैं। इस फर्श पर पहला कदम रखने में डर लगता है क्योंकि नीचे अनंत गहराई दिखाई देती है। लेकिन एक बार इस पर आ गए तो फिर चलने में मज़ा आता है। मैंने देखा कि कई लोग चाह कर भी इस पर चलने की हिम्मत नहीं कर पाए। दुबई फ्रेम का ब्रिज वाला हिस्सा आपको दुबई के वर्तमान की तस्वीर दिखाता है। यहाँ हर तरफ से दुबई इतना सुन्दर दिखाई देता है कि इसे देखते हुए समय कब बीत जाता है पता ही नहीं चलता है। अगर शाम के समय जाएँ तो डेक से डूबते सूरज का ख़ूबसूरत नज़ारा भी देखा जा सकता है।
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इसके बाद आप दूसरी तरफ की लिफ्ट से नीचे जाते हैं। नीचे जाने के बाद आप एक हॉल में पहुंचते हैं। इस छोटे से हॉल में सामने एक स्क्रीन लगी है । इस स्क्रीन पर करीब 10 मिनट के लिए एक फिल्म चलाई जाती है। इसमें दिखाया जाता है कि आने वाले समय में कैसे दुबई में उड़न टैक्सी और ड्रोन काम करेंगे। किस तरह से भविष्य का दुबई तकनीक से लैस होगा। यह फ्रेम का तीसरा और आखिरी हिस्सा है जिसमें भविष्य के दुबई की होने वाली तस्वीर की झलक मिलती है। इसके बाद आप मुख्य इमारत से बाहर निकलते हैं। बाहर निकलने के बाद बाहर म्यूज़िकल फाउंटेन लगा है जो थोड़ी- थोड़ी देर में चलता रहता है। अगर आप पूरे फ्रेम को कैमरे में कैद करना चाहते है तो बाहर बने बगीचे के बिल्कुल कोने में जा सकते हैं। यहाँ से लगभग पूरी इमारत कैमरे में आ जाती है। शाम के वक्त दुबई फ्रेम पर रंगबिरंगी रोशनी भी की जाती है।
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टिकट-
दुबई फ्रेम के लिए 50 दिरहम का टिकट लगता है।
3 से 12 साल के बच्चों के लिए 20 दिरहम का टिकट लेना होगा। तीन वर्ष से छोटे बच्चों और वरिष्ठ लोगों के लिए टिकट फ्री है।
कब जाएँ-
दुबई फ्रेम पूरे साल सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक खुलता है। रमज़ान और सार्वजनिक छुट्टी के दिनों में समय में बदलाव हो सकता है।
कैसे पहुँचें-
अल-जफिलिया मैट्रो स्टेशन से पैदल पहुँचा जा सकता है। यह स्टेशन दुबई मैट्रो की रेड लाइन पर है।
*मेरे ब्ल़ॉगर साथी श्रीनिधि का दुबई फ्रेम पर अंग्रेजी में लिखा लेख पढ़ें
5 thoughts on “दुबई फ्रेम- दुबई की नई पहचान”
बहुत सुन्दर वर्णन किया है आपने। दुबई का सजीव वर्णन।
बहुत- बहुत धन्यवाद।
I like to go there
Nicely described
so …Nicely described