शेखावाटी राजस्थान खुली कला दीर्घा
राजस्थान को जाना जाता है अपनी एतिहासिक विरासत के लिए। इसी राजस्थान में एक इलाका है जिसे शेखावाटी कहा जाता है। शेखावाटी को खुली कला दीर्घा भी कहा जाता है। इसका कारण है यहां कि हवेलियों की दीवारों पर बने चित्र। शेखावाटी राजस्थान के मरुस्थलीय भाग में पडता है। मेरा बचपन इसी इलाके में बीता है इसलिए आज चलते हैं इसकी सैर पर। शेखावाटी का इलाकी राजस्थान के सीकर,झुँन्झुँनु, और चूरु जिलों को मिलाकर बनता है। इस इलाके अपने अमीर सेठों के लिए प्रसिद्घ है।ये सेठ अठारहवीं सदी के शुरुआत से ही यहां से बाहर व्यापार के लिए जाने लगे। इन्होने बम्बई, कलकत्ता, मद्रास जैसे शहरों में व्यापार शुरु किया। वहां से कमाये गये पैसे से इन्होने शेखावाटी में बडी बडी हवेलिया बनाई। उन दिनों में हवेलियों को खूबसूरत चित्रों से सजाया। अपनी इन्हीं हवेलियों के लिए शेखावाटी का इलाका पूरी दूनिया में जाना जाने लगा है। विदेशी सैलानी बडी संख्या में यहां घूमने आते है। यहां के मंडावा, फतेहपुर,नवलगढ,महनसर, बिसाऊ जैसे कस्बे हवेलियों के लिए ही जाने जाते हैं। इन कस्बों की पूरी गलियां ही इन हवेलियों से भरी पडी हैं। इसके कारण इस इलाके को खुली कला दीर्घी कहा जाने लगा है।महनसर की तो सोने की दुकान देखने विदेशी बहुत आते हैं। इस दुकानें में सोने के इस्तेमाल से पूरी रामायण को दीवारों पर जिवंत लगते चित्रों में उकेरा गया है।हालांकि इन हवेलियों के अधिकतर मालिक बाहर ही रहते हैं। जिसके कारण इनकी हालत बिगडती जा रही है। पर्यटन को इस तरफ बढा कर इन को खत्म होने से बचाया जा सकता है। अब कई मालिक इनकी सुध ले रहे हैं। नवलगढ कस्बे में मोरारका फाउन्डेशन ने हवेलियों को सवांरने में बहुत योगदान दिया है। एक बार इधर भी जरुर आयें।कैसे पहुचें-सीकर और झुँन्झुँनु दिल्ली से सीधी बस और रेल सेवा से जुडें हैं। दिल्ली से करीब तीन सौ किलोमीटर दूर है। जयपुर से ये महज दो सौ किलोमीटर की दूरी पर है।कहां ठहरें-इस इलाके हर कस्बे में पुराने किले हैं जिन्हे अब हैरिटेज होटलो में बदल दिया गया है। मंडावा का किला में बना हैरिटेज होटल तो काफी पुराना है। इसलिए रहना की समस्या नहीं है।राजस्थान टूरिज्म के होटल भी कई जगह हैं जिनमें रुका जा सकता है।
6 thoughts on “शेखावाटी राजस्थान खुली कला दीर्घा”
बहुत ही उम्दा और रोचक जानकारी….ऐसी ही जानकारियाँ और बतायें. आभार.
अच्छा लेखा शेखावटी इलाका घूम के। मुझे लगता है कि इंसान को अपने जीवन में सबसे ज्यादा वक्त घुमने और विभिन्न जगहों को देखने में बिताना चाहिए। बहरहाल इंसान की अपनी सीमाएं हैं। ऐसे में आपका ब्लाग बेहतरीन जानकारी देकर कुछ हद तक घुमने की प्रवृति वाले लोगों को तुष्ट करता है। न केवल शेखावटी अंचल बल्कि देशभर में फैले मारवाड़ी सेठों की हवेलियाँ प्रसिद्ध रहीं। हाँ एक बात ज़रूर हुआ कि शेखावटी अंचल ने इसे सहेज कर संजो कर एक अच्छा काम किया। जबकि बाँकि जगहों पर हवेलियाँ विस्मृति के गर्भ में समा गईं। अच्छा लगा पढ़कर। साधुवाद
शेखावाटी के बारे मे जरा और विस्तार से बतायें. वहां कौन-कौन से गांव में क्या क्या देखने लायक है,नाम का उल्लेख करें तो बेहतर होगा. साथ ही ठहरने के लिये होटल एवं धर्मशाला का विवरण किराया-तलिका के साथ दें तो बहुत उपयोगी होगा.
धन्यवाद.
मै शेखावाटी का रहने वाला हूं । आपने शेखावाटी के बारे मे बहुत अच्छी और रोचक जानकारी दी है। मुझे लगता है कि इससे अच्छी जानकारी तो यहां रहने वाला भी नही दे पायेगा,आभार। एक बार हमारे यहा भी भ्रमण करने के लिये आये.मेरी शेखावाटी
hum sakhawati ma rahta h. bahut achi h. ak bar yahan jarur ayan….
avasar mila to jayege .pramila