कौसानी
इसे देखकर महात्मा गांधी ने कहा था कि जब हमारे यहां कौसानी और कुमायुं के पहाड़ हैं तो लोग स्विटजरलैंड़ क्यों जाते हैं। ये हिल स्टेशन चींड के जंगलों से घिरा है। कौसानी से हिमालय के बर्फ से ढके पहाडों का मनोरम दृश्य दिखाई देता है और पर्यटक यहां खिंचे चले आते हैं। सुबह के उगते सूरज के साथ बर्फ से ढके पहाडों की ३०० किलोमीटर की रेंज दिखाई देती है।
कौसानी अपने चाय और फलों के बागानों के जाना जाता है। १९२९ में गांधीजी यहां आये तो वे एक चाय बागान मालिक के गेस्ट हाउस में ही रुके थे। प्रकृति के इतना करीब रहते हुए ही गांधीजी ने गीता पर अपनी टीका अनासक्ति योग लिखी थी।
इस जगह बाद में अनासक्ति आशम की स्थापना की गई यहां आज भी गांधीजी से जुडी चीजों को संभाल कर रखा गया है। आप चाहें तो इस में रुक सकते हैं लेकिन आपको यहां के नियम कायदों को मानना होगा।इस जगह से डूबते सूरज का बडा ही सुन्दर नजारा देखने को मिलता है। यहां एक पुस्तकालय भी है जहां महात्मा गांधी से जुडी किताबें रखी गई हैं।
महान हिन्दी कवि सुमित्रानंदन पंत का जन्म भी कौसानी में ही हुआ था। जिस घर में उनका जन्म हुआ था वहां एक संग्राहलय बना दिया गया है। ये भी आप देख सकते हैं।
कौसानी दरअसल शहर से दूर आकर आपको प्रकृति के साथ खो जाने की खुली छूट देता है। कुछ दिन तनाव भरी जिंदगी को भुलाने के लिए कौसानी बेहतरीन जगह है।
कैसे जाएं
कौसानी अल्मोडा़ से ५३ किलोमीटर, नैनीताल से १२० और रानीखेत से ७९ किलोमीटर दूर है। काठगोदाम सबसे पास का रेलवे स्टेशन है जो दिल्ली से सीधी रेल सुविधा से जुडा है। काठगोदाम से कौसानी की दूरी १४२ किलोमीटर है। दिल्ली से ये लगभग ४१० किलोमीटर की दूरी पर है।
कहां ठहरें
कुमांयु मंडल विकास निगम का रेस्ट हाउस ठहरने के लिए अच्छा है। इसके अलावा बडी संख्या में अच्छे होटल हैं जहां पर रुका जा सकता है।