बिनसर- अनछुआ सौंदर्य

बिनसर- अनछुआ सौंदर्य

जागेश्वर में दो दिन बिताने के बाद मैनें पता किया कि आसपास कोई जगह जो जागेश्वर की तरह ही शांत और खूबसूरत हो। मुझे बिनसर जाने की सलाह दी गई।

बिनसर अल्मोडा से लगभग ३४ किलोमी़टर दूर है। जो समुद्र तल से लगभग २३०० मीटर की उंचाई पर बसा है।

करीब एक हजार साल पहले ये चांद राजाओं की राजधानी रहा था। अब इसे वन्य जीव अभयारण्य बना दिया गया है। बिनसर झांडी ढार नाम की पहाडी पर है।

अयार पानी के वन विभाग चैक पोस्ट से कुछ फीस देकर बिनसर में जाया जा सकता है। यहां से आगे बढते ही घना जंगल आपका स्वागत करता है। बांज और बुंरांस के घने जंगल में जैसे ही आप पहाड पर आगे बढते हैं दुनिया की हलचल से दूर हो जाते हैं।

इस घने जंगल की शांति को यहां आकर ही महसूस किया जा सकता है। चैक पोस्ट से ग्यारह किलोमीटर दूर है, कुमांयु मंडल विकास निगम का रेस्ट हाउस जहां आप रुक सकते हैं। हांलांकि यहां रुकने के लिए निजी रिजॉर्ट भी हैं, लेकिन जंगल के बीच में रुकने का असली मजा कुमायु मंडल के रेस्ट हाउस में ही है। यहां पर मोबाइल तो काम करता ही नहीं साथ ही अभ्यारण्य के बीच में होने के कारण बिजली की सुविधा भी नहीं है। रात को रोशनी के लिए कमरों में मोमबत्ती जलाई जाती है।

मुझे तो यहां आकर दूसरी ही दूनिया में होने का अहसास हो रहा था। छोटी जरुरत पूरा करने के लिए एक पवन चक्की और सोलर पावर का इस्तेमाल किया जाता है। रेस्ट हाउस से दो किलोमीटर दूर मचान बनाया गया है जहां से जंगल से जानवरों और खूबसूरती का नजारा लिया जा सकता है। कुछ दूर बने वन विभाग के रेस्ट हाउस से शाम को पहाडों के बीच डूबते सूरज का नजारा देखा जा सकता है।

शाम के खाने के बाद हम रेस्ट हाउस की छत पर पहुंचे और रात के चमकते आसमान को देखा एसा नजारा आप शहरों में नहीं देख सकते क्यों कि शहर की रोशनी में आसमान की चमक खो सी जाती है। साथ ही आप आपके साथ रुके लोंगों से भी दोस्ती कर लेते हैं। इन सब में समय कब बीत जायेगा आप को पता ही नहीं चलेगा।

बिनसर तक असली घुमक्क्ड ही पहूंच पाता है इसलिए सबके घुम्क्कडी के किस्से सुनने को मिलते हैं। इन सब में ही मेरी भी रात बीत गई।

जारी..

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