पुदुक्कोटई
पुरात्तव का खजाना है पुदुक्कोटई। पांड्य, चोल, होयसल ना जाने कितने राजवंशों ने यहां शासन किया और अपने निशान छोड़े। उन सभी स्मारकों को देखने के लिए पुदुक्कोटई बेहतर जगह है। इसकी एक खास बात है कि यह पहली राजशाही थी जो आजादी के बाद भारत संघ में शामिल हुई थी। संगम साहित्य में इसे खास लोगों के रहने की जगह बताया गया है। पुदुक्कोटई साहित्य, कला और संस्कृति का केन्द्र रहा है। इसके पास कुन्नदारकोइल में पत्थरों को काट कर बनाए गए मंदिर हैं तो अवयुर में 16वीं सदी का कैथोलिक चर्च है।पुदुक्कोटई चेन्नई से 395 किलोमीटर दूर है।