नैनीताल का सफ़र-(२)
स्नो व्यू से नीचे उतरते ही सामने नजर आती है माल रोड़। मल्लीताल और तल्लीताल को जोड़ती ये सडक हर वक्त पर्यटकों से भरी होती है। लगभग हर हिल स्टेशन पर माल रोड होती है।
गोरे साहब इस पर घूमा करते थे, उस समय तो भारतीयों को इस पर आने की इजा़जत भी नहीं थी। लेकिन नैनीताल की ये सड़क दूसरी जगहों की माल रोड से अलग है क्योंकि इसके एक ओर नैनी झील है,जो इस पर घूमने के आनंद को कई गुना बढा देती है।
सडक के दूसरी ओर लकडी के सामान औऱ कपडे की दूकानें हैं। नैनीताल की खासियत हैं यहां बनने वाली खूबसूरत मोमबत्तियां। इस सडक पर ढेरों दुकान हैं जहां से आप इन्हें खरीद सकते है। इन्हें आप सिर्फ जलाने के ही नहीं सजाने के काम में भी ले सकते हैं। नैनीताल आयें तो यादगार के तौर पर इन्हें खरीदना ना भूलें।
नैनीताल आने वाला हर शख्स आप को यहा चहलकदमी करता मिल जायेगा। हाथों में हाथ डालकर घूमते नये शादी शुदा जोडो़ से लेकर बच्चों से साथ घूमते मां-बाप। सडक पर जगह जगह बैंच लगाई गई हैं जिन पर बैठ कर झील से आती ठंडी हवा को महसूस किया जा सकता है।
माल पर ही ढेर सारे होटल हैं जिनमें रहकर हर वक्त झील को निहार सकते हैं। शाम को यहां वाहनों का आना रोक दिया जाता है जिससे कि आराम से घूमा जा सके। ये भी कह सकते हैं कि झील के साथ ही माल रोड़ भी नैनीताल की पहचान बन चुकी है।
माल पर घूमते घूमते थक गये हों तो झील में नाव की सैर का मजा़ लीजिए। नाव में बैठकर आराम से झील की सैर करना चाहते हैं तो चप्पू वाली नाव में बैठिये। साथ में नाव वाले से बातें करगें तो वो नई नई जानकारी आप को दे देगा। खुद ही सैर करने का शौक है तो पैडल बोट ले सकते हैं। शाम को बोटिंग करने की इजाजत नहीं हैं। रात को माल की इमारतों की रोशनी का अक्स झील के पानी में बेहद सुन्दर लगता है।
इसके अलावा यहां चाईना पीक, और टिफिन टाप नाम की ऊंची चोटियां हैं जहां तक पैदल या घोडे पर जाया जा सकता है। इनसे हिमालय को निहारा जा सकता है। टिफिन टाप को डोरथी सीट भी कहा जाता है। यहां लोग डूबते सूरज को देखने आते हैं।
केव गार्डन नैनीताल में देखने की अनोखी चीज है। ये पहाड में बनी गहरी गुफायें हैं। जिनको पर्यटकों के देखने के लिए कुछ साल पहले ही विकसित किया गया है। मैं तो इनको देखकर आश्चर्य में डूब गया था।
राजभवन नैनीताल में सबसे पहले बनी इमारतों में से है। इसे ब्रिटिश गवर्नर के लिए १८८९ में बनाया गया था। बंकिघम पैलेस की नकल पर बनी इस इमारत में ११३ कमरे हैं। फिलहाल ये उत्तराखंड के राज्यपाल का निवास है। अब इसे पयर्टकों के लिए खोल दिया गया है।
इमारत विक्टोरियन गोथिक शैली में बनी है। इमारत जितनी बाहर से खूबसूरत है उतनी ही अंदर से भी है। इमारत में किया गया लकडी़ का काम देखने लायक है। इमारत के लिए सागौन की लकडी का इस्तेमाल किया गया है जो बर्मा से लाई गई थी।
राजभवन जाने के लिए तल्लीताल से रास्ता जाता है।राजभवन को देवदार के जंगल को काट कर बनाया गया था। आज भी उस जमाने के कुछ देवदार यहां सुरक्षित हैं। फिल्मों की शूटिंग भी यहां होती रहती है।फिल्म कोई मिल गया में दिखाया गया पुलिस स्टेशन राजभवन का ही हिस्सा है।
नैनीताल से ९ किलोमीटर दूर वेधशाला है। यहां से अंतरिक्ष पर निगाह रखी जाती है। वेधशाला जाने के लिए तल्लीताल से बस मिल जाती है।
नैनीताल के आस पास कई झील हैं जिन्हें देखा जा सकता है। नैनीताल से २२ किलोमीटर दूर अल्मोडा के रास्ते पर है भीमताल। ये झील नैनी से भी बडी है। झील के बीच टापू पर रेस्टोरेंट बना है। जहां तक जाने के लिए बोट मिल जाती है।
भीमताल से कुछ दूरी पर नौकुचियाताल है। इस झील के नौ कोने हैं। झील चारों और से घने जंगल से घिरी है। सातताल नाम की एक और झील है इसकी खासियत है कि यहां एक साथ जुडी सात झील हैं।
नैनीताल से भीमताल के रास्ते में भवाली आता है। भवाली फलों की मंडी के लिए जाना जाता है। यहां से पहाडी फल सेब, आडू, अलूचा, खुमानी खरीदें जा सकतें हैं। भवाली के आस पास फलों के काफी बाग हैं।
नैनीताल में बहूत से टूर चलाने वाले हैं जहां से नैनीताल के आस पास देखने के लिए पूर दिन का टूर लिया जा सकता है। और ये बहूत मंहगा भी नहीं होता। माल रोड़ पर कुंमायुं मंडल विकास निगम का आफिस है जहां से भी टूर लिया जा सकता है।
कैसे पहूंचे-
नैनीताल काठगोदाम से ३५ किलोमीटर दूर है। काठगोदाम दिल्ली से सीधी रेल सेवा से जुडा है। काठगोदाम से नैनीताल के लिए बस और टैक्सी आसानी से मिल जाती है। दिल्ली से लगभग ३०० किलोमीटर दूर नैनीताल के दिल्ली से अच्छी बस सुविधी है।
कहां ठहरें-
नैनीताल में रहने के लिए जगहों की कोई कमी नहीं है। हर बजट के लिए होटल से लेकर धर्मशाला तक सब यहां पर हैं। अगर गरमी के मौसम में आ रहे हों तो पहले से आरक्षण करवा लें तो बेहतर है। तल्ली ताल की तरफ होटल माल रोड और मल्लीताल की अपेक्षा सस्ते हैं।
क्या खरीदें-
यहां की बनी मोमबत्तियां जरुर खरीदें। नैनीताल में ये हर जगह मिल जाती हैं। चीड की लकडी से बना सामान भी खरीद सकते हैं। माल रोड थोडा मंहगा है सस्ती खरीदारी के लिए मल्लीताल के बडा बाजार जाईये। ये नैनीताल का पुराना बाजार है।