लद्दाख का कुंभ मेला – नरोपा उत्सव (16 से 22 सितम्बर 2016 )

लद्दाख का कुंभ मेला – नरोपा उत्सव (16 से 22 सितम्बर 2016 )

हिमालय की गोद में बसे लद्दाख को अपनी अनोखी बौद्ध विरासत, संस्कृति और भौगोलिक विविधता के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। यहां की बौद्ध संस्कृति अपने आप में अनूठी है। बौद्ध संस्कृति को करीब से देखने की चाह रखने वालों के लिए यह वर्ष बहुत खास है। इस वर्ष 16-22 सितम्बर के बीच लद्दाख के हेमिस बौद्ध मठ में नरोपा उत्सव मनाया जाएगा। प्रत्येक 12 वर्ष के बाद मनाए जाने के कारण नरोपा उत्सव को लद्दाख का कुंभ…

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भारतीय स्वाद से भरी जापानी सुशी

भारतीय स्वाद से भरी जापानी सुशी

खाने में मुझे भारतीय खाना ही पसंद है। दाल, चावल , सब्जी रोटी से ज्यादा कभी इच्छा भी नहीं रही। विदेशी खाने में मेरी पसंद चायनीज से आगे नहीं जाती। और भारत में बनने वाला चायनीज खाना अब चायनीज कम और भारतीय ज्यादा हो गया है। ऐसे में कोई मुझे जापानी खाने के लिए कहे तो मेरा चौंकना तो स्वाभाविक है। ऊपर से मेरे जैसे शाकाहारी के लिए जापानी खाना बात कुछ जमती नहीं। लेकिन खाने का शौक तो मुझे…

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कुमाऊं के कारपेट साहब

कुमाऊं के कारपेट साहब

“The tiger is a large hearted gentleman with boundless courage and that when he is exterminated-as exterminated he will be, unless public opinion rallies to his support-India will be the poorer by having lost the finest of her fauna.” – Jim Corbett इन पंक्तियों का मतलब है – “बाघ बेहद साहसी और बड़े दिल का सज्जन जानवर है और अगर उसे जनता का समर्थन नहीं मिला तो वह पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। और अपने बेहतरीन जीव के खोने के…

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कॉर्बेट नेशनल पार्क की अनोखी दुनिया

कॉर्बेट नेशनल पार्क की अनोखी दुनिया

राजस्थान के रणथम्बौर नेशनल पार्क से दिल्ली वापस आते ही अगले दिन कॉर्बेट नेशनल पार्क जाने का मौका मिल गया। एक घूमने के शौकीन को और क्या चाहिए । एक ही दिन में जाने की तैयारी की, कैमरे को संभाला और अगले सफर के लिए तैयार । सब कुछ इतना जल्दी हुआ कि रूकने की जगह के बारे में कुछ पता करने का मौका ही नहीं मिला। मुझे वहां Corbett Wild Iris Spa and Resort में रुकना था।  रिजोर्ट की तरफ…

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गुनेहड़ – कला दीर्घा में बदलता गांव

गुनेहड़ – कला दीर्घा में बदलता गांव

गुनेहड़ की एक सुबह मुझे मेरे होटल की बालकनी से कुछ महिलाएं आती दिखाई दी। खूबसूरत रंग बिंरंगे कपड़ों में सजी, काफी कुछ राजस्थानी पहनावे जैसा। वे महिलाएं नीचे की तरफ बने खेतों में चली गई। एक घंटे बाद जब वे फिर से आती दिखाई दी तो मेरी साथी ब्लागर श्री और मंजुलिका ने उनके फोटो लेने की इजाजत मांगी। वे आराम से तैयार हो गई, बोली, ले लो जी, जितने फाटो लेने हैं। अभिनव और मैं भी अपना कैमरा…

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अमृतसर का खाना

अमृतसर का खाना

पंजाब का नाम सुनते ही ध्यान में आती है मौज मस्ती और पंजाबियों की जिंदादिली, और जितने जिंदादिल हैं यहां के लोग, उतना ही जानदार है यहां का खाना। मक्खन, घी, दूध, दही और लस्सी तो यहां के रोजमर्रा के खाने का हिस्सा है। । इस बार पंजाब की यात्रा में जी भर कर पंजाब का खाना खाया। पंजाबी खाना खाने के लिए अमृतसर से बढ़िया जगह कौन सी हो सकती है भला। तो आज बात अमृतसर के पंजाबी खाने…

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अमृतसर हेरिटेज वॉक- झरोखे से झांकता इतिहास

अमृतसर हेरिटेज वॉक- झरोखे से झांकता इतिहास

अमृतसर अनोखा शहर है। इसकी शुरुआत एक धार्मिक जगह के तौर पर हुई। गुरु रामदास जी ने सन् 1574 में इसकी नींव रखी थी।  शहर बढने के साथ ही यहां राजस्थान जैसे इलाकों से व्यापारियों को बसाया गया। जिससे यह उत्तर भारत से अफगानिस्तान तक के इलाके की प्रमुख व्यापारिक मंडी में बदल गया। एक धार्मिक शहर से व्यापारिक शहर बनने तक के दौर में अमृतसर ने बहुत उतार चढ़ाव देखे। अमृतसर के विकास की यह कहानी यहां कि गलियों, बाजारों, हवेलियों…

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अमृतसर का सारागढ़ी गुरुद्वारा – सिक्ख वीरता की अमिट निशानी

अमृतसर का सारागढ़ी गुरुद्वारा – सिक्ख वीरता की अमिट निशानी

सारागढ़ी गुरुद्वारा , अंमृतसर सारागढ़ी गुरुद्वारा अमृतसर के टाउन हाल और स्वर्णमंदिर के पास ही बना है। गुरुद्वारा इतना छोटा है कि शायद इस पर आपकी नजर ही नहीं पड़ेगी। लेकिन इस छोटे से गुरुद्वारे से सिक्ख वीरता की अमिट कहानी जुड़ी है । यह कहानी है सारागढ़ी की लड़ाई और उसमें सिक्ख सैनिकों की बहादुरी की। खास बात यह है कि इस गुरुद्वारे को सन् 1902 में खुद अंग्रेजों ने अपने 21 बहादुर सिक्ख सैनिकों की याद में बनवाया…

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अशोक का सारनाथ सिंह स्तंभ

अशोक का सारनाथ सिंह स्तंभ

अशोक स्तंभ भारत के राजकीय चिन्ह सम्राट अशोक के सिंह स्तंभ को देखने की इच्छा ना जाने कब से मन में थी। मेरे वाराणसी जाने की एक वजह अशोक का सारनाथ स्तंभ भी था। आखिरकार सारनाथ पहुंचने के साथ ही मेरी हसरत पूरी हुई। अशोक के स्तंभों के मुख्यत दो हिस्से होते थे। ऊपरी हिस्से में बने किसी पशु की आकृति और नीचे का सपाट स्तंभ। सारनाथ के सिंह स्तंभ का ऊपरी हिस्सा या शीर्ष सारनाथ में पुरात्तव विभाग के…

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छोटा कैलाश- ट्रैंकिग का रोमांच- 7

छोटा कैलाश- ट्रैंकिग का रोमांच- 7

चढाई का छटा दिन पांचवे दिन हम लोग ऊँ पर्वत को देखकर वापस गुंजी के लिए चल दिये ।  शाम होते होते हम गुंजी पहुंच गये। रास्ते में कई जगह पर भुस्खलन के चलते रास्ते को बदल कर सीधी खडी चढाई भरे रास्तों से चढना उतरना पडा। खैर गुंजी पहुंच कर आराम आया। गुंजी इस इलाके का एक बडा कैंप है। कुमाऊं विकास निगम के इस कैंप में सुविधायें दूसरे कैंपों से बेहतर हैं। हां एक बात बताना जरुरी है…

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