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Author: Dipanshu

छोटा कैलाश- ट्रैकिंग का रोमांच-६

छोटा कैलाश- ट्रैकिंग का रोमांच-६

चार जून- चढाई का चौथा दिनचार जून- चढाई का चौथा दिनचार तारीख को हमें नबीढांग जाना था। नबीढांग वो जगह थी जहां से हमें हमारी यात्रा के पहले दर्शन होने थे। नबीढांग में हमें ऊँ पर्वत के दर्शन करने थे। गुंजी से नबीढांग करीब अठारह किलोमीटर का सफर है। गुंजी से नौ किलोमीटर दूर कालापानी तक का सफर आसान है और काली नदी के किनारे लगभग सपाट रास्ते पर ही चलता है। इसलिए इस रास्ते पर ज्यादा थकान महसूस नहीं…

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छोटा कैलाश- ट्रैकिंग का रोमांच-५

छोटा कैलाश- ट्रैकिंग का रोमांच-५

तीन जून- चढाई का तीसरा दिन- बुद्धि से गुंजी तीसरे दिन हमे बुद्धि से गुंजी तक का सत्रह किलोमीटर का सफर करना था। ये रास्ता पिछले दिनो के मुकाबले आसान था। रोज की तरह से ही हमारा दिन सुबह चार बजे ही शुरु हो गया सुबह की चाय के साथ। उसके बाद जल्दी से तैयार होकर साढे पांच बजे तक हम चल पडे अपने सफर पर। बुद्धि से पांच किलोमीटर आगे छियालेख घाटी पडती थी। जहां तक जाने का पहले…

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छोटा कैलाश- ट्रैकिंग का रोमांच-४

छोटा कैलाश- ट्रैकिंग का रोमांच-४

दो जून – चढाई का दूसरा दिन- गाला से बुद्धि गाला मे सुबह चार बजे ही हमे चाय दे दी गई। जिससे हम लोग समय से उठ कर तैयार हो सके। इस मामले में मै कुमाऊं पर्यटन के लोगों की सेवा भावना की दाद दूंगा। इतनी ठंड में भी वो हर वक्त हमारी जरुरत को पूरा करने के लिए तैयार रहते थे। इतनी ऊंचाई पर ठंड में काम करना आसान काम नही होता। हम सभी पांच बजे तक सफर के…

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छोटा कैलाश- ट्रैकिंग का रोमांच ३

छोटा कैलाश- ट्रैकिंग का रोमांच ३

धारचुला से १ जून को छोटा कैलाश का हमार सफर शुरु हुआ। आज के बाद से सभी को सुबह जल्दी उठने की आदत डालनी थी। इसलिए सभी सुबह चार बजे ही उठ गये। नाश्ता करने का बाद सभी को आगे के सफर की जानकारी दी गई। हमारे सफर की शुरुआत ही थोडी मुश्किलो से हुई। दरअसल आज के हमारे सफर में हमे धारचुला से गर्भाधार नामकी जगह तक गाडियो से जाना था उसके बाद गाला तक लगभग पांच किलोमीटर की…

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छोटा कैलाश- ट्रैंकिग का रोमांच-२

छोटा कैलाश- ट्रैंकिग का रोमांच-२

जागेश्वर में शाम को मंदिर के दर्शन के बाद हम घूमने निकले। यहा चारो तरफ देवदार के घने जंगल है जिनमे घूमने का अपना अलग ही मजा है। जंगल में तरह तरह की चिडिया दिखाई दी जिन्हे मैने पहले कभी नहीं देखा था। दिल्ली की गर्मी के बाद जागेश्वर की ठंडक बेहद सुकुन दे रही थी। अगले दिन हमें जागेश्वर से २०० किलोमीटर दूर धारचूला जाना था। भारत नेपाल सीमा पर बसा धारचूला कैलाश मानसरोवर और छोटा कैलाश यात्रा के…

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छोटा कैलाश- ट्रैकिंग का रोमांच- १

छोटा कैलाश- ट्रैकिंग का रोमांच- १

छोटा कैलाश कुमाऊं में एक पवित्र स्थान है। इसको तिब्बत के कैलाश मानसरोवर के बराबर ही माना जाता है। छोटा कैलाश एक तीर्थ के साथ ही ट्रैकिंग के लिए भी बेहतरीन है। ये उत्तराखँड के पिथौरागढ जिले मे चीन-तिब्बत की सीमा पर है। यहां तक पहुंचने के लिए तवाघाट से पहाडो की चढाई शुर करनी पडती है। तवाघाट से आने और जाने मे कुल मिलाकर २०० किलोमीटर से भी ज्यादा की पैदल दूरी पहाडों में तय करनी पडती है। मेरा…

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फिर से ब्लाग मे…….

फिर से ब्लाग मे…….

एक साल से भी ज्यादा समय के बाद एक बार फिर से ब्लाग की दुनिया में वापस कदम रख रहा हूँ। किसी कारण से में इस इससे दूर हो गया था। लेकिन अब में फिर यहां वापस आया हूँ। लेकिन इस बीच भी मेरा दुनिया देखने का सिलसिला रुका नहीं और मैने भारत के बहुत से हिस्सो की यात्रा की। मैने जो कुछ भी देखा जल्द ही वो सब आप के सामने होगा। मेरे ना लिखने के बावजूद भी मेरे…

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बर्फीले रेगिस्तान सियाचिन का सफर (२)

बर्फीले रेगिस्तान सियाचिन का सफर (२)

खारदूँगला में हमें दोपहर के दो बज चुके थे और सियाचिन बैस कैम्प के लिए हमें लम्बा रास्ता तय करना था । इसलिए तेजी से हम आगे बढे। खारदूँगला से कुछ दूरी पर ही नोर्थ पुलु में सेना का कैम्प था जहा हमे दोपहर के खाने के लिए रुकना था। यहां हमारे लिए खाने का बेहतरीन इतंजाम सेना ने किया था। ये कैम्प समुद्र तल से सोलह हजार मीटर की ऊँचाई पर है। सियाचिन जाने वाले सैनिको को भी ऊंचाई…

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बर्फीले रेगिस्तान सियाचिन का सफर (१)

बर्फीले रेगिस्तान सियाचिन का सफर (१)

अभी भारतीय सेना के साथ सियाचिन जाने का मौका मिला। ये ऐसा मौका था जो जिंदगी में किस्मत वालों को ही मिलता है। मैने तो तुरन्त हां कर दी। दरअसल भारतीय सेना लगातार दूसरे साल आम लोगों के दल को लेकर सियाचिन जा रही थी। जिसमें मिडिया के साथ ही सेना के तीनो अंगो के अधिकारी , आम नागरिक और सैनिक स्कूल के बच्चे शामिल थे। ये पूरे एक महीने का सफर था जिसमें पहले कुछ दिन हमें लेह में…

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डीडी न्यूज पर देखिये सियाचिन की जिंदगी

डीडी न्यूज पर देखिये सियाचिन की जिंदगी

आज रात दस बजकर तीस मिन‍ट पर देखिये सियाचिन और वहां की जिंदगी पर खास कार्यक्रम- सियाचिन एक झलक बर्फीली जिंदगी की। मैं पिछले महीने सियाचिन के सफर पर गया था । वहां हमारे दल ने पन्द्रह हजार फीट की उंचाई पर सियाचिन के बेस कैम्प तीन तक की चढाई की थी। ये कार्यक्रम हमारे सफर और वहा रह रहे सेना के जवानों पर है।