ट्रंप, टूरिज़्म और आगरा
आगरा घूमते समय मेरे गाइड ने कहा “हम आगरा वाले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बहुत शुक्रगुजार है कि उनके आने से शहर में इतने काम हो रहे हैं जितने पिछले कुछ वर्षों को मिलाकर भी नहीं किए गए।” मैं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आगरा दौरे से कुछ दिन पहले एक ट्रैवल कान्क्लेव के लिए आगरा में था। गाइड की कही बात सही नज़र आ रही थी। शहर में हर तरफ काम में लगे लोग दिखाई दे रहे थे। हज़ारों कर्मचारी और अफसर शहर को संवारने में जुटे थे। नए फुटपाथ बन रहे थे, सड़कों की मरम्मत हो रही थी, रंगाई पुताई का काम जारी था, नए फूलदार पौधे रोपे जा रहे थे। राष्ट्रपति ट्रंप ताजमहल को देखने जाएंगे इसलिए ताजमहल के पीछे से बहती यमुना का बदबूदार गंदा पानी उन्हें दिखाई न दे इसलिए उसमें गंगा का पानी छोड़ने की भी तैयारी थी। यह एक विडम्बना ही है कि कभी दुनिया के सबसे शक्तिशाली साम्राज्य की राजधानी रहे शहर को आज अपनी बेहतरी के लिए हाल की दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति की यात्रा का इंतजार करना पड़ता है।
शहर में किसी बड़ी हस्ती के आने पर कुछ काम होना लाज़मी है लेकिन अगर शहर वालों को लगे कि वर्षों से रुके काम अब हो रहे हैं तो फिर चिंता होना ज़रूरी है। यह चिंता इसलिए बढ जाती है कि हम किसी आम शहर की बात नहीं कर रहे बल्कि आगरा की बात कर रहे हैं जिसने दुनिया के पर्यटन मानचित्र में भारत को एक अलग पहचान दी है। आगरा में बना ताजमहल वह पहली जगह है जिसे विदेश से भारत आने वाले कोई भी पर्यटक सबसे पहले देखना चाहता है। उस शहर में सुविधाओं का अगर यह हाल है कि उन्हें किसी अमेरिकी राष्ट्रपति के दौरे का मोहताज होना पड़े तो देश में पर्यटन से जुड़ी सुविधाओं का सच्चाई सामने आ जाती है। जिस शहर को देश में पर्यटन सुविधाओं के विकास का मॉडल बनाया जा सकता था लगता है उसे बस यूं ही छोड़ दिया गया है।
आगरा का सबसे बड़ा आर्कषण ताजमहल है। सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद उसके आस-पास के इलाका कुछ बेहतर दिखाई देता है। प्रदूषण को कम करने के लिए ताज के पास केवल बैटरी से चलने वाली गाड़ियों से ही पहुंचा जा सकता है। ताजमहल को देखने का टिकट भी ऑनलाइन खरीदने की भी सुविधा है लेकिन इतना सब होने पर भी पर्यटकों को यहां आने पर सहज अनुभव नहीं होता। रेलवे स्टेशन से लेकर ताजमहल तक ऐसे लोगों का गिरोह सक्रिय है तो किसी भी तरह आप को होटल दिलाने या ताजमहल दिखाने के नाम पर ठगना चाहते हैं। कुछ साल पहले आगरा घूमने का मेरा अनुभव भी बेहद खराब रहा था। ताजमहल पहुंचने पर आपको ऐसे लोग घेर लेते हैं तो कुछ पैसे देने पर भीड़ से अलग ले जाकर ताज़महल दिखाने का दावा करते हैं फिर किसी दूसरे गेट पर आपको छोड़ कर फरार हो जाते हैं। टुरिज़्म इंडस्ट्री के लोग कहते हैं कि ऐसे लोगों के झांसे में आने की ज़रूरत ही नहीं है। पर्यटक टिकट लेकर बिना किसी की मदद के ताज को देख सकते हैं। लेकिन इस तरह के लोगों को वहां खड़े ही क्यों होने दिया जाता है इस बात का जवाब किसी के पास नहीं है। प्रशासन की नाक के नीचे पर्यटकों को लूटने वाले लोगों का गिरोह सक्रिय है। यही हाल शहर की दूसरी लोकप्रिय जगहों जैसे लाल किला और फतेहपुर सीकरी का भी है।
इस बार मैं आगरा टूरिज़्म गिल्ड के बुलावे पर वहां गया था। आगरा बियोन्ड ताज के नाम से हुए इस कान्क्लेव का मकसद यह बताना था कि आगरा में ताजमहल के अलावा भी ऐसा बहुत कुछ है जिसे पर्यटक देख सकते हैं। मुगल काल में बनी इमारतों के अलावा यहां ब्रिटिश दौर की बनी इमारतें, चर्च, मंदिर, बाज़ार और हवेलियां है जिनकी अपनी कहानी है। आगरा का खाना-पीना भी अपनी अलग पहचान रखता है। पर्यटकों को अगर पता हो वे ताजमहल के अलावा इन सब जगहों को भी ज़रूर देखना चाहेंगे। मैं ख़ुद पुराने शहर के हिस्ट्री वॉक पर गया था। वहां सैकड़ों साल पुरानी ख़बसूरत हवेलियां हैं। पुरानी दुकानें है जिनकी पीढ़ियां सैंकड़ों सालों से उसी व्यापार को संभाले हुए हैं। हवेलियों पर की गई कारीगरी देखते ही बनती है लेकिन गंदगी का यह आलम है कुछ कदम चलना भी मुश्किल हो जाता है। अगर पर्यटकों को घूमते समय खुशनुमा अहसास नहीं होगा तो शहर में पर्यटन को कैसे बढ़ाया जा सकता है।
ऐसा नहीं है कि आगरा अकेला ऐसा शहर है देश के बहुत से पुराने शहरों का यही हाल है। दिल्ली के चांदनी चौक की कहानी भी कुछ अलग नहीं है। लेकिन कहीं से तो शुरूआत करनी होगी। तो क्यों न यह शुरूआत आगरा से ही की जाए। एक बादशाह की मोहब्बत को अमर बनाने वाले शहर को क्यों न इतना बेहतर बनाया जाए की पर्यटन की दुनिया में इसकी एक मिसाल बने।अगर ऐसा होगा तो ताज नगरी को अपनी बेहतरी के लिए किसी अमेरिकी राष्ट्रपति का इंतजार नहीं करना होगा।
Note- This article was originally published on ‘Aajtak‘ website.