खै़बर हिमालयन रिजॉर्ट एंड स्पा- विलासिता का अनुभव

खै़बर हिमालयन रिजॉर्ट एंड स्पा- विलासिता का अनुभव

मेरे होटल के कमरे की बालकनी के बाहर स्वर्ग जैसा नजारा था। दूर-दूर तक चांदी सी सफेद बर्फ बिछी हुई थी। चारों तरफ खड़े देवदार के पेड़ बर्फ से लदे थे। वहां के शांत माहौल के बीच बस पेड़ों से फुगनियों से गिरती बर्फ या बर्फ के बोझ से टूटती टहनियों की आवाज ही सुनाई दे रही थी। लग रहा था जैसे सफेद बादलों के बीच कोई परी लोक हो। मैं कश्मीर के गुलमर्ग में होटल खै़बर हिमालय रिजॉर्ट और स्पा में था।कुछ देर पहले ही मैं दिल्ली से गुलमर्ग आया था और इतनी ही देर में होटल ने मुझे लुभा लिया था।

कमरे की बालकोनी से बाहर का नज़ारा

खै़बर जैसे पहाड़ों के बीच बना एक महल ही है। एक लक्जरी होटल से आप जो कुछ चाहते हैं वह सब कुछ यहां मिलेगा। उसके साथ गुलमर्ग के दिल को लुभा लेने वाले नजारों का साथ मिल जांए तो छुट्टी बिताने वाले को और क्या चाहिए।

होटल में अंदर जाते ही सबसे पहले इसकी विशाल लॉबी दिखाई देती है। लॉबी को स्थानीय कश्मीरी हस्तशिल्प से सजाया गया है। दीवारों पर कश्मीर का बारीक लकड़ी का काम किया गया है। हॉल में ऊपर की तरफ खूबसूरत कश्मीरी लकड़ी के काम वाली खिड़कियां जिन्हें स्थानीय भाषा में दाब कहा जाता है, बनाई गई हैं। ऐसा लगता है जैसे लकड़ी के किसी महल में आ गए हों। बाहर के सर्द मौसम में वहां का गर्म माहौल मुझे बहुत सुकून दे रहा था। उसी बीच मेरा स्वागत कश्मीर की पहचान कहवा से किया गया। वहां हॉल के आखिरी कोने में चायकश नाम से पूरे दिन चलने वाला रेस्टोरेंट हैं। जहां गर्म कहवा के साथ बाहर के बर्फ से नजारों का पूरा मजा ले सकता है। यहां बैठे कब वक्त बीत जाए पता ही नहीं चलता।

कश्मीर की कारीगरी से सजा हॉल

कमरे —

कमरे की बालकोनी से बाहर का नज़ारा

मैं खै़बर के लक्जरी बालकनी कमरे में रहा जहां से हिमालय का पूरा नजारा दिखाई देता था। कमरा सही मायने लक्जरी ही था। खासा बड़ा कमरा जो हमारे शहरों किसी छोटे फ्लैट से कम नहीं था। कमरे को कश्मीरी हस्तकला की चीजों से बड़ी ही खूबसूरती से सजाया गया था। बड़े से बिस्तर पर कश्मीर की कशीदाकारी की चादर बिछी हुई थी। हालांकि इतने सुन्दर माहौल के बीच टीवी देखने का मन शायद ही किसी का करे फिर भी चाहें तो बड़ी सी स्क्रीन वाले टीवी पर मनचाहे कार्यक्रमों को देखते हुए वक्त बिताया जा सकता है। किसी लक्जरी होटल में मिलने वाली सभी दूसरी सुविधाएं यहां भी थी। एक बात मुझे खास तौर से नजर आई कि कमरे में इस्तेमाल के लिए जो भी सामान रखा था वो बहुत बेहतर क्वालिटी का था। कमरे में लगे फर्नीचर को स्थानीय कारीगरों ने ही बनाया था जिसमें अखरोट की लकड़ी का इस्तेमाल किया गया था।
कमरे से बाहर निकल बालकनी में आएं तो फिर शायद कहीं और जाने का मन ही नहीं करेगा। रात के समय मद्दम रोशनी से नहाए रिजॉर्ट का खूबसूरत नजारा बालकनी से दिखाई देता है।

खूबसूरती से सजा कमरा..

कमरे की बात हो रही है तो बताता चलूं कि खैबर का प्रेज़डेन्शल स्वीट बहुत लोकप्रिय है। जाने-माने लोग इसमें वक्त बिताना पसंद करते हैं।पता चला कि कभी – कभी तो ये स्थिति हो जाती है कि स्वीट खाली ना होने पर कुछ लोगों ने अपने आने का कार्यक्रम ही कुछ दिनों के लिए आगे बढ़ा दिया क्योंकि उन्हें इसी में रूकना था।

प्रेज़डेन्शल स्वीट

होटल के गलियारों की छतों को कश्मीर में छतों पर लकड़ी से की जाने वाली कारीगरी – खतमबंध से सजाया गया था। खतमबंध छतों को लकड़ी से सजाने का कश्मीर का पारम्परिक तरीका है। देखने में यह निहायत ही खूबसूरत दिखाई देती है। खतमबंध में लकड़ी को छोटे टुकड़ों को एक ज्यामितिय डिजाइन में एक दूसरे से जोड़ा जाता है।

खाने – पीने की जगह
खै़बर में आराम के साथ मेहमानों के खाने पीने का भी पूरा ध्यान रखा जाता है। यहां दिन के समय वक्त बिताने के लिए चायकश है। यह पूरे दिन चलने वाला कॉफी शाप जैसा है जहां कश्मीर कहवा, अलग-अलग तरह की चाय , कॉफी और पेस्ट्री का मजा लिया जा सकता है। चायकश ऐसी जगह बना है कि कुछ करने का मन ना हो वहीं बैठ कर होटल की हलचल को देखते रहे या बाहर के नजारों को निहारतें रहे। चायकश के पास ही छोटी सी लाइब्रेरी भी हैं जहां से किताबें निकालें और चाय की चुस्कियों से साथ समय बिताएं। खैबर में काम करने वाले लोग अपने मेहमानों की हर सुविधा का ख्याल रखते हैं। आप कुछ मांगे तो शायद ही आपको ना सुनने को मिले।

क्लोव —
यह खैबर का मुख्य रेस्टोरेंट हैं। सुबह से नाश्ते से लेकर रात के खाने तक का इंतजाम यहीं किया जाता है। सुबह के नाश्ते में मैंने स्वादिष्ट दक्षिण भारतीय खाने जैसे इडली और सांभर बड़ा का भरपूर मजा उठाया। इसके अलावा सुबह के समय पराठें से लेकर कान्टीनेन्टल तक हर तरह का खाना मौजूद रहता है। कश्मीर की ठंड में पूरे दिन घूमने के लिए सुबह का स्वादिष्ट नाश्ता सबसे जरूरी चीज है।
क्लोव में दिन और रात के खाने के लिए भी पूरा इंतजाम है। यहां लगे बुफे में खाना खाया जा सकता है। अगर आप चाहें तो मेन्यू के हिसाब से अपने लिए खाना आर्डर भी कर सकते हैं। लगभग हर तरह का खाना यहां का मेन्यू में उपलब्ध है। खाना स्वादिष्ट है। लेकिन मेरा सबसे पंसदीदा रहा यहां का कश्मीर वाजवान।

कश्मीरी वाज़वान

एक दिन दोपहर में खास कश्मीर वाजवान बनवाया गया था। आमतौर पर लोग सोचते हैं कि कश्मीरी वाजवान में मांसाहारी खाना ही बनाया जाता है। लेकिन कश्मीरी वाजवान में शाकाहारी व्यंजनों की भी कमी नहीं हैं। मैं शाकाहारी हूँ और मेरे सामने इतने तरह के कश्मीरी व्यंजन परोसे गए ही खत्म करना मुश्किल था। कश्मीर में होने वाली कमल ककड़ी, राजमा तो खास है ही। यहां की हरी सब्जियों का साग जिसे हाक कहते हैं, स्वाद में अलग था। चावल के बिना तो कश्मीर को खाना पूरा हो ही नहीं सकता। कमलककड़ी को नादुर कहा जाता है तो यहां थी नादुर यखनी, दम आलू, पनीर, राजमा और हरा-भरा कबाब। इसका साथ देने के लिए कई तरह की चटनियां और दही। इस पर पेट ना भरे तो खाने के आखिर में मीठी केसर वाली फिरनी तो है ही। कश्मीर के वाजवान का वो स्वाद मुझे अभी भी याद है।

वाज़वान

L’OCCITANE SPA


खैबर की एक खासियत है यहां का स्पा। कुछ दिन गुलमर्ग घूमने के बाद थकान उतारने के लिए यह बेहतर जगह है। यहां काम करने वाले लोग अपने काम में पूरी तरह प्रशिक्षित हैं। मैंने यहां स्वीडिश और हॉटस्टॉन स्पा लिया। इन दो स्पा के बाद में मैं कश्मीर में अपनी अगले पूर एक हफ्ते के सफर के लिए पूरी तरह से तरोताजा हो गया था।

इंडोर स्विमिंग पूल

बर्फ के बीच नहाने का मजा

बाहर बर्फ गिर रही हो और तापमान शून्य से नीचे हो तो पूल में जाने का मन शायद नहीं करेगा। लेकिन अगर पूल में गर्म पानी मिले और कांच से इंडोर पूल ढकी उसकी दीवारों से बाहर गिरती बर्फ का अहसास भी होता रहे तो कौन नहीं डुबकी लगाना चाहेगा। खै़बर का स्विमिंग पूल कुछ ऐसा ही है। एक बार इसे देख लेने पर एक डुबकी लगाए बिना मन मानेगा ही नहीं। पूल एरिया के पास ही जकूज़ी भी लगाई गई हैं।

खैबर के लिए एक बात बताना जरूरी है। गुलमर्ग कुछ साल पहले तक पर्यटकों के लिए दिन बिताने की एक जगह थी। आमतौर पर पर्यटकों की गाड़ियां श्रीनगर से दिन में यहां आती थी और पूरा दिन घूमने के बाद शाम को लोग लौट जाया करते थे। श्रीनगर के नजदीक होने के कारण यहां बहुत कम लोग रूका करते थे। उसके साथ कश्मीर के बिगड़े हालातों के कारण स्थिति और भी खराब हुई। लेकिन खै़बर जैसे लक्जरी होटल के आने के बाद अब गुलमर्ग की स्थिति में बदलाव आया है। लोग अब यहां सिर्फ घूमने नहीं बल्कि कुछ दिन रूकने भी आते हैं। अप्रेल के जिस समय में वहां गया था वह पर्यटकों के लिहाज के ऑफ सीजन कहा जाता है। उसके बावजूद होटल लगभग पूरा भरा था। भारत के लगभग हर कोने से आए लोग वहां थे। तो यह दिखाता है कि पर्यटन की सुविधाएं कैसे किसी जगह के हालात में परिवर्तन ला सकती हैं।

तो अगर कुछ दिन कश्मीर में बिताना चाहते हैं तो खै़बर को चुन सकते हैं। मैं कह सकता हूं कि आप निराश नहीं होंगे। सर्दियों में आएं तो बर्फ से ढका स्वर्ग आपके लिए होगा और अगर गर्म मौसम में आएं तो गुलमर्ग का हरे भरे घास से ढ़के मैदान आपका स्वागत करेंगें।

कैसे पहुंचें—
गुलमर्ग श्रीनगर से करीब 50 किलोमीटर दूर है। श्रीनगर शहर या एयरपोर्ट से यहां आने के लिए टैक्सी आसानी से उपलब्ध है। आप चाहें तो होटल की गाड़ी भी आपको लेने के लिए एयरपोर्ट आ जाएगी।

क्या करें—-
गुलमर्ग स्किइंग के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। स्कीइंग की उन ढ़लानों को देखने के लिए केबल कार के जरिए ऊपर की बर्फीली चोटियों तक जाया जा सकता है।इसकी सबसे ऊंची अफरावत चाटी है जहां पूरे साल बर्फ जमी रहती है। इसके अलावा गुलमर्ग गोल्फ मैदान, मंदिर और चर्च देखे जा सकते हैं।

Pic by – Abhinav Singh of https://asoulwindow.com

Note– This trip was organised by The khyber himalayan resort & spa

2 thoughts on “खै़बर हिमालयन रिजॉर्ट एंड स्पा- विलासिता का अनुभव

  1. होटल की सुविधाओं का उपर्युक्त स्पर्श के साथ गुलमर्ग के परिवेश और पर्यटन बिन्दुओं का बेहतरीन लेखन

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