जम्मू-कश्मीर की 10 खूबसूरत जगहें
भारत के सबसे उत्तर में है जम्मू-कश्मीर। हिमालय के पहाड़ों पर बसे इस राज्य में कश्मीर घाटी से हरे-भरी घाटियों और पानी से भरी झीलों से लेकर लद्दाख के बर्फीले रेगिस्तान तक देखने के लिए बहुत कुछ है। लद्दाख इलाके में प्राचीन बौद्ध मठ देखने को मिलते हैं तो जम्मू और कश्मीर में प्राचीन मंदिर और मस्जिदें देखी जा सकती हैं। जम्मू-कश्मीर की दस चुने हुए जगहों को मैंने इस लेख शामिल किया है ।
1- मार्तण्ड सूर्य मंदिर
कश्मीर घाटी के अनंतनाग के पास मटन गांव में है मार्तण्ड सूर्य मंदिर। इस विशाल सूर्य मंदिर को करीब 1300 साल पहले कश्मीर के राजा ललितामदित्य मुक्तपीड ने बनवाया था। मंदिर हालांकि काफी टूट चुका है लेकिन उस समय के स्थापत्य और मूर्तिकला को आज भी यहां देखा जा सकता है। विशाल पत्थरों और खंभों पर की गई नक्काशी अद्भुत है । माना जाता है कि मंदिर के निर्णाण में कश्मीरी स्थापत्य के साथ यूनानी स्थापत्य की झलक भी मिलती है। यह प्राचीन मंदिर मटन गांव के नए सूर्य मंदिर से करीब 2 किलोमीटर दूर है।
2-अवन्तिस्वामी मंदिर
कश्मीर के अनंतनाग के अवन्तिपुर में है अवन्तिस्वामी मंदिर। विष्णु भगवान के इस मंदिर को नौ वीं शताब्दी में राजा अवन्तिवर्मन ने बनवाया था। अवन्तिवर्मन उत्पल वंश के संस्थापक थे। उस समय की कला के निशान दीवारों पर उकेरी मूर्तियों में देखे जा सकते हैं। बीच में ऊंचे चबूतरे पर मुख्य मंदिर था। मंदिर के चारों कोनों पर चार छोटे मंदिर बने थे। झेलम के किनारे बना यह मंदिर अपने समय में काफी भव्य रहा होगा। माना जाता है कि झेलम नदी की बाढ में यह मंदिर नष्ट हुआ। मंदिर श्रीनगर से पहलगांव जाने वाली सड़क पर ही है।
3-गुलमर्ग
कश्मीर घाटी का गुलमर्ग प्रकृति की सुन्दरता का खजाना है। सर्दियों में गुलमर्ग सफेद बर्फ से ढक जाता है तो गर्मियों में हरी घास का लिहाफ ओढ लेता है। मौसम कोई भी हो इसकी खूबसूरती कम नहीं होती। गुलमर्ग का मौसम कुछ दिन शांति से बिताने के लिए बेहतरीन है। यहां आकर गोंडाला की सवारी का मजा उठायें या कुछ समय यूं ही प्रकृति के साथ बितायें। गुलमर्ग दुनिया के सबसे अच्छे स्की रिजोर्ट में शामिल किया जाता है तो सर्दियों में इस खेल को भी यहां सीखा जा सकता है।गुलमर्ग श्रीनगर से करीब 50 किलोमीटर दूर है।
4-डल झील
श्रीनगर शहर की पहचान है डल झील।डल के चारों तरफ दिखाई देते हरे-भरे ऊंचे पहाड और झील में चलते रंग-बिरंगे शिकारे इसकी सुन्दरता को और भी बढ़ा देते हैं। डल सिर्फ एक झील नहीं बल्कि तैरता शहर है। जहां हजारों लोग रहते हैं। डल में अपना बाजार और स्कूल भी हैं।तैरते खेत डल की सबसे बडी खासियत हैं जिन्हें शिकारे से बांध कर कहीं भी ले जाया जा सकता है । डल का पूरा मजा लेना है तो कुछ दिन हाउसबोट में बिताना जरूरी है। ये हाउस बोट अंग्रेजों के जमाने से ही डल में हैं।
5-मुगल गार्डन
श्रीनगर के मुगल बगीचे कश्मीर की खूबसूरती से होड करते लगते हैं। इन बगीचों को फारसी वास्तुकला की चारबाग शैली के आधार पर बनाया गया था। समकोण पर काटते रास्ते, बगीचों में बहती नहरें, पानी उलीचते फव्वारे एक अलग ही दुनिया रच देते हैं। बगीचों में लगे चिनार के पेडों के नीचे बैठने का मजा यही आकर लिया जा सकता है। मुगल बादशाहों ने करीब चार सौ साल पहले इन बगीचों को बनवाया था। श्रीनगर में शालीमार बाग, निशात बाग, चश्मेशाही ये तीन मुगल बगीचे आज भी मौजूद हैं।
कश्मीर घाटी का जाना-पहचाना हिलस्टेशन है पहलगाव। ऊंचे पहाडों और हरे-भरे चारागाहों से घिरे पहलगाम में आकर प्रकृति की गोद में आने का अहसास होता है। बगल से बहती लिद्दर नदी इसकी खूबसूरती को और भी बढ़ा देती है। पहलगाम के पास देखने के लिए कई घाटियां हैं जिनमें अरू घाटी सबसे लोकप्रिय है। पहलगाम किसी भी मौसम में आया जा सकता है। पहलगाम भगवान शिव की अमरनाथ यात्रा का भी प्रमुख पडाव है।पारम्परिक अमरनाथ यात्रा का रास्ता पहलगाम से ही होकर जाता है। पहलगाम श्रीनगर से करीब 90 किलोमीटर दूर है।
7-सोनमर्ग
मर्ग का मतलब होता है घास का मैदान। इन्हीं हरे भर घास के मैदानों से भरा है कश्मीर घाटी का सोनमर्ग। सोनमर्ग के पास कई ग्लेशियर हैं जिनमें पूरे साल बर्फ जमा रहती है। इसके साथ ही सोनमर्ग से बहुत से ट्रेंकिग रास्तों की शुरूआत भी होती है। कश्मीर की ऊंचाई पर बनी गद्सर, कृष्णासर, सत्सर और गंगाबल जैसी झीलों के लिए भी ट्रेंकिग सोनमर्ग से ही होती है। सोनमर्ग नाला सिंध नदी के किनारे बसा है। इस नदी के तेज बहते पानी पर राफ्टिंग भी की जा सकती है। सोनमर्ग श्रीनगर से 80 किलोमीटर दूर है।
8-लेह
जम्मू कश्मीर राज्य का एक खूबसूरत शहर है लेह । यह ठंडा रेगिस्तान कुदरत की कारीगरी का अद्भुत नमूना है। घाटी में बिखरी थोड़ी सी हरियाली, भूरे पहाड़, पहाडों की बर्फीली चोटियां और सबसे ऊपर साफ नीला आसामान रंगों का ऐसा ताना-बाना बुनते हैं कि कुदरत की कलाकारी पर नाज़ होता है। यहां की धरती में भले ही रंगों की कमी हो लेकिन चटख लाल और पीले रंगों से सजे बौद्ध मठ उसका अहसास नहीं होने देते। लेह में 17वीं शताब्दी का बना किला इस शहर पर एक मुकुट की तरह नजर आता है।
लेह शहर बसा है सिंधु नदी के किनारे। वही सिंधु नदी जिसके नाम से इस महान देश का अपना पहचान मिली।
9-नुब्रा घाटी
समुद्र तल से 10,000 फीट का ऊंचाई पर ठंडे, रूखे पहाडों के बीच रेत के टीलों की कल्पना की है आपने? लद्दाख की नुब्रा घाटी का हुन्डर इलाका प्रकृति का अजूबा ही है। यहां आकर लगता है जैसे रेत के टीलों से भरे राजस्थान में आ गए हों। इसी रेगिस्तान में दो कूबड वाले अनोखे बैक्ट्रीयन ऊंट भी पाये जाते हैं । सूखे – बंजर लद्दाख से अलग नुब्रा में काफी हरियाली नजर आती है। इसके साथ ही 350 साल पुराना डिस्किट बौद्ध मठ नुब्रा की पहचान है।
10-पैगोंग झील
प्रकृति का एक अजूबा है पैंगोग झील। लद्दाख में 14000 फुट की ऊंचाई पर 135 किलोमीटर लंबी नमकीन पानी की झील है पैगोंग। यह झील भारत और चीन की सीमा रेखा भी बनाती है । झील का दो तिहाई हिस्सा चीन में और एक तिहाई भारत में है। झील का पानी सूर्य की रोशनी के साथ पल-पल रंग बदलता है इसके अद्भुत रंगों की छटा देखते ही बनती है। पैंगोंग के रास्ते में चांग-ला से गुजरने वाली दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची सड़क देखने का मौका भी मिलेगा
(2017 में दुनियादेखो पर पूरे वर्ष ट्रेवल पोस्टकार्ड सीरीज चलाई गई। इस लेख में शामिल जगहों को उन्ही पोस्टकार्ड से एक जगह जमा करके यहां लिखा गया है।)