लद्दाख का कुंभ मेला – नरोपा उत्सव (16 से 22 सितम्बर 2016 )
हिमालय की गोद में बसे लद्दाख को अपनी अनोखी बौद्ध विरासत, संस्कृति और भौगोलिक विविधता के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। यहां की बौद्ध संस्कृति अपने आप में अनूठी है। बौद्ध संस्कृति को करीब से देखने की चाह रखने वालों के लिए यह वर्ष बहुत खास है।
इस वर्ष 16-22 सितम्बर के बीच लद्दाख के हेमिस बौद्ध मठ में नरोपा उत्सव मनाया जाएगा। प्रत्येक 12 वर्ष के बाद मनाए जाने के कारण नरोपा उत्सव को लद्दाख का कुंभ मेला भी कहा जाता है। लद्दाख में बुद्द धर्म के द्रुपका पंथ के अनुयायी इस उत्सव को मनाते हैं। पूरे लद्दाख में लगभग 80 फीसदी लोग द्रुपका पंथ में विश्वास रखते हैं। इस वजह से नरोपा उत्सव को मनाने के लिए भारी संख्या में लोग जुटते हैं। इस उत्सव को दुनिया का सबसे बड़ा और प्रमुख बौद्ध उत्सव माना जाता है।
नरोपा उत्सव को भारत के ही रहने वाले बौद्ध संत और विद्वान संत नरोपा की याद में मनाया जाता है। इस साल संत नरोपा के जन्म के एक हजार वर्ष पूरे हो रहे हैं। इसलिए इस बार का नरोपा उत्सव और भी खास बन जाता है।
संत नरोपा को द्रुपका पंथ का संरक्षक संत माना जाता है। उन्होंनें बौद्ध दर्शन की एक महान परंपरा को आगे बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाई। संत नरोपा ने लद्दाख में रहे। लद्दाख में उन्होंने “नरोपा के छ: योग”(Six Yogas of Naropa) में दक्षता हासिल की। नरोपा के छ: योग को बौद्ध धर्म की वज्रायान शाखा का महत्वपूर्ण स्तंभ माना जाता है।
इस साल मनाए जाने वाले नरोपा उत्सव को बड़े पैमाने पर आयोजित किया जाएगा। द्रुपका पंथ के सबसे बड़े धर्म गुरू ग्यालवांग द्रुपका खुद उत्सव के दौरान लद्दाख में मौजूद रहेंगे, इन्हें संत नरोपा का अवतार माना जाता है। उत्सव के दौरान संत नरोपा से जुड़े Six Bone Ornaments को भी सबके सामने रखा जाएगा। इन आभूषणों को नरोपा उत्सव के समय ही सबके सामने लाया जाता है।
नरोपा उत्सव लद्दाख के उत्सवों में बहुत ऊंचा स्थान रखता है। उत्सव के दौरान लद्दाख की संस्कृति के विभिन्न रूप भी देखने को मिलेगें। इस दौरान लद्दाख के नृत्य और संगीत को देखने और सुनने का मौका मिलेगा। इसके साथ बालीवुड से जुड़े संगीतकार शंकर, एहसान , लॉय भी उत्सव के दौरान कार्यक्रम पेश करेगें। भारत के फिल्म जगत से जुडी और भी कई हस्तियां इस समय मौजूद रहेंगी। तो लद्दाख की संस्कृति और सभ्यता को करीब से देखने का इरादा रखते हैं तो सितम्बर में लद्दाख का रूख कर सकते हैं। उत्सव के सात दिनों के दौरान लद्दाख और दुनिया भर से करीब पांच से छ: लाख लोगों के पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है।
कैसे पहुंचे- लेह शहर लद्दाख का मुख्यालय है। लेह दिल्ली, जम्मू, श्रीनगर और चंड़ीगढ से हवाई सेवा से जुड़ा है। इसके अलावा श्रीनगर और मनाली से सड़क के जरिए भी लेह पहुंचा जा सकता है। सड़क से सफर थोड़ा कठिन है रास्ते में कई ऊंचे दर्रों को पार करना पड़ता है। इसलिए चलने से पहले इलाके के मौसम की जानकारी जरूर लेलें। मनाली की तुलना में श्रीनगर से लेह जाना थोड़ा आसान है। मनाली से लेह की दूरी करीब 473 किलोमीटर है। श्रीनगर से लेह करीब 434 किलोमीटर की दूरी पर है। दिल्ली से मनाली होते हुए हिमाचल परिवहन की एक बस लेह के लिए जाती है।
नरोपा उत्सव लेह से 40 किलोमीटर दूर हेमिस मठ में आयोजित किया जाएगा। हेमिस तक जाने से लिए लेह से टैक्सी ली जा सकती । स्थानीय बस सेवा भी उपल्बध है ।
ज्यादा जानकारी के लिए नरोपा उत्सव की इस वेबसाइट को देखा जा सकता है।
4 thoughts on “लद्दाख का कुंभ मेला – नरोपा उत्सव (16 से 22 सितम्बर 2016 )”
Can’t wait to be there . I love the way you have started the article.
बहुत बढ़िया. १२ साल में ये पर्व आता है. कोई लद्दाख जा रहा हो तो इसी समय जाना चाहिए.अच्छा लेख
बहुत उम्दा जानकारी और समय से. लद्दाख यूं भी लंबेे समय से यायावरी की ख्वाहिशों में शुमार हैै. देखते हैं कब दीदार होते हैं इस नायाब दुनिया केे.
Its been long that I’ve read any Hindi post. A brilliant post with all the required details.