अमृतसर का खाना
पंजाब का नाम सुनते ही ध्यान में आती है मौज मस्ती और
पंजाबियों की जिंदादिली, और जितने जिंदादिल हैं यहां के लोग, उतना ही जानदार है
यहां का खाना।
पंजाबियों की जिंदादिली, और जितने जिंदादिल हैं यहां के लोग, उतना ही जानदार है
यहां का खाना।
मक्खन, घी, दूध, दही और लस्सी तो यहां के रोजमर्रा के खाने
का हिस्सा है। । इस बार पंजाब की यात्रा में जी भर कर पंजाब का खाना खाया। पंजाबी
खाना खाने के लिए अमृतसर से बढ़िया जगह कौन सी हो सकती है भला। तो आज बात अमृतसर
के पंजाबी खाने की ।
का हिस्सा है। । इस बार पंजाब की यात्रा में जी भर कर पंजाब का खाना खाया। पंजाबी
खाना खाने के लिए अमृतसर से बढ़िया जगह कौन सी हो सकती है भला। तो आज बात अमृतसर
के पंजाबी खाने की ।
अमृतसर के खाने को
खाने की शुरुआत हुई वाघा बार्डर से कुछ पहले बने सरहद रेस्टोरेंट से। शाम
को होने का बीटिंग रिट्रीट को देखने से पहले दोपहर का खाना यहीं खाने का कार्यक्रम
था।
खाने की शुरुआत हुई वाघा बार्डर से कुछ पहले बने सरहद रेस्टोरेंट से। शाम
को होने का बीटिंग रिट्रीट को देखने से पहले दोपहर का खाना यहीं खाने का कार्यक्रम
था।
सरहद |
जैसा नाम है वैसी ही है सरहद की खासियत। यहां सीमा के दोनों तरफ के शहरों यानी
अमृतसर और लाहौर के खाने का मजा लिया जा सकता है। रेस्टोरेंट के बाहर दो छोटे
टैम्पों खड़े हैं जिनको पाकिस्तान का
प्रसिद्ध ट्रक आर्ट से सजा या गया है।
अमृतसर और लाहौर के खाने का मजा लिया जा सकता है। रेस्टोरेंट के बाहर दो छोटे
टैम्पों खड़े हैं जिनको पाकिस्तान का
प्रसिद्ध ट्रक आर्ट से सजा या गया है।
पंजाब का खाना तो अमृतसर में कहीं भी खाया जा सकता था लेकिन
जब सरहद में थे तो लाहौरी खाना का मजा क्यों हाथ से जाने दिया जाए यह सोचकर लाहौर
से जुड़ा शाकाहारी खाना मंगवाया। ( पता नहीं कभी लाहौर जाने को मिले या नहीं)
जब सरहद में थे तो लाहौरी खाना का मजा क्यों हाथ से जाने दिया जाए यह सोचकर लाहौर
से जुड़ा शाकाहारी खाना मंगवाया। ( पता नहीं कभी लाहौर जाने को मिले या नहीं)
लाहौरी मिंया जी दाल , लाहौरी नजाकत कोफ्ते और लाहौरी
कलौंजी वाले नान। जितने अनोखा नाम है इनके उतना ही बेहतर उनका स्वाद भी था। पेटभर
कर खाया। और भी चीजे थीं जिन्हें खाने का
मन था लेकिन वाघा पर होने वाले कार्यक्रम के लिए देर हो रही थी इसलिए जल्दी ही
वहां से निकल गए।
कलौंजी वाले नान। जितने अनोखा नाम है इनके उतना ही बेहतर उनका स्वाद भी था। पेटभर
कर खाया। और भी चीजे थीं जिन्हें खाने का
मन था लेकिन वाघा पर होने वाले कार्यक्रम के लिए देर हो रही थी इसलिए जल्दी ही
वहां से निकल गए।
सरहद का खाना
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वाघा से आकर रात को हरमदिंर साहिब के दर्शन किए। उसके बाद रात के खाने के लिए एक ही नाम
दिमाग में था अमृतसर का प्रसिद्ध केसर दा ढ़ाबा।
दिमाग में था अमृतसर का प्रसिद्ध केसर दा ढ़ाबा।
यह मशहूर ढ़ाबा चौक पासिंया के
पास है। केसर दा ढ़ाबा पहुंचे तो देखा की
ढ़ाबे में बैठने की जगह नहीं है। 20 मिनट इंतजार करने के बाद हमारा नंबर आया। यहां
खाने के लिए बहुत कुछ है। पर केसर की थाली में सभी स्वाद मिल जाते हैं। तो केसर की
थाली मंगवाई। दाल फ्राई, छोले, रायता और तंदूरी लच्छा परांठा।
पास है। केसर दा ढ़ाबा पहुंचे तो देखा की
ढ़ाबे में बैठने की जगह नहीं है। 20 मिनट इंतजार करने के बाद हमारा नंबर आया। यहां
खाने के लिए बहुत कुछ है। पर केसर की थाली में सभी स्वाद मिल जाते हैं। तो केसर की
थाली मंगवाई। दाल फ्राई, छोले, रायता और तंदूरी लच्छा परांठा।
थाली को परोसने का
अंदाज भी सबसे अलग था, थाली के आते ही लाने वाले ने परांठों को हाथ से दबा कर थाली
में रखा। शायद उसमें मक्खन को अंदर तक पहुंचाने के लिए। स्वाद तो वाकई लाजवाब था।
थाली में इतना कुछ है कि उसको खत्म करना किसी एक के बस की बात नहीं है। इसके साथ
ही मंगवाई लस्सी। इतना सब खाने के बाद तो उठने की हिम्मत भी नहीं बची थी लेकिन
खाना का आखिर में फिरनी खाना नहीं छोड़ सकते थे। इनकी फिरनी भी खाने के जितनी ही
स्वादिष्ट थी।
अंदाज भी सबसे अलग था, थाली के आते ही लाने वाले ने परांठों को हाथ से दबा कर थाली
में रखा। शायद उसमें मक्खन को अंदर तक पहुंचाने के लिए। स्वाद तो वाकई लाजवाब था।
थाली में इतना कुछ है कि उसको खत्म करना किसी एक के बस की बात नहीं है। इसके साथ
ही मंगवाई लस्सी। इतना सब खाने के बाद तो उठने की हिम्मत भी नहीं बची थी लेकिन
खाना का आखिर में फिरनी खाना नहीं छोड़ सकते थे। इनकी फिरनी भी खाने के जितनी ही
स्वादिष्ट थी।
केसर के ढाबे पर दाल को पूरे 12 घंटे तक पकाया जाता, इतना
पकाने से उसका स्वाद में अनोखापन आ जाता है जो आम दाल में नहीं मिलता।
पकाने से उसका स्वाद में अनोखापन आ जाता है जो आम दाल में नहीं मिलता।
इस देग में पकती है दाल
|
खाना बनाने की जगह पर लगे तंदूर में लगातार परांठें और
रोटिया बनती रहती हैं। आप चाहें तो जाकर देख भी सकते हैं कि यहां खाना कैसे बनाया
जाता है।
रोटिया बनती रहती हैं। आप चाहें तो जाकर देख भी सकते हैं कि यहां खाना कैसे बनाया
जाता है।
अगले दिन सुबह अमृतसर के छोले कुलचे का नाश्ता करना था। इसे
खाने के लिए हम पहुंचे भाई कुलवंत सिंह कुलचे वाले के यहां। स्वर्णमंदिर जाने वाली
सड़क पर जलियांवाला बाग से कुछ पहले एक गली में यह दुकान है। मक्खन लगे आलू से भरे
कुलचे और साथ में छोले और चटनी।
खाने के लिए हम पहुंचे भाई कुलवंत सिंह कुलचे वाले के यहां। स्वर्णमंदिर जाने वाली
सड़क पर जलियांवाला बाग से कुछ पहले एक गली में यह दुकान है। मक्खन लगे आलू से भरे
कुलचे और साथ में छोले और चटनी।
सुबह सुबह गर्मागरम तंदूर से निकले कुलचे खाकर मजा आ गया। कुलचा बनाने का
तरीका भरवां नान से कुछ अलग होता है। इसे पूरे दिन कभी भी खाया जा सकता है। अभी तो
पेट भर चुका था लेकिन आज पूरे दिन अमृतसर के खाने की अच्छी दुकानों का भी सफर था
इसलिए तय किया कि अब बस थोड़ा ही खाना है जिससे ज्यादा से ज्यादा स्वाद लिए जा
सकें। कुछ देर घूमने के बाद थोड़ा खाना पचा तो हम पहुंचे हिंदु कॉलेज के पास आहूजा
लस्सी पर। वैसे तो लस्सी पंजाब का ऐसा तोहफा है जो भारत में कहीं भी जाएं आपको मिल
ही जाएगा लेकिन अमृतसर की लस्सी बात ही कुछ और है। आहूजा लस्सी यहां लस्सी की सबसे
प्रसिद्ध दुकान है। बड़ा सा लस्सी का गिलास और ऊपर रखी मलाई , पीते ही मजा आ जाता
है।
तरीका भरवां नान से कुछ अलग होता है। इसे पूरे दिन कभी भी खाया जा सकता है। अभी तो
पेट भर चुका था लेकिन आज पूरे दिन अमृतसर के खाने की अच्छी दुकानों का भी सफर था
इसलिए तय किया कि अब बस थोड़ा ही खाना है जिससे ज्यादा से ज्यादा स्वाद लिए जा
सकें। कुछ देर घूमने के बाद थोड़ा खाना पचा तो हम पहुंचे हिंदु कॉलेज के पास आहूजा
लस्सी पर। वैसे तो लस्सी पंजाब का ऐसा तोहफा है जो भारत में कहीं भी जाएं आपको मिल
ही जाएगा लेकिन अमृतसर की लस्सी बात ही कुछ और है। आहूजा लस्सी यहां लस्सी की सबसे
प्रसिद्ध दुकान है। बड़ा सा लस्सी का गिलास और ऊपर रखी मलाई , पीते ही मजा आ जाता
है।
अमृतसर के खाने की दुकानों में अगला नंबर था लोहगढ़ गेट के
पास मनु फ्रूट क्रीम आइसक्रीम का ।
पास मनु फ्रूट क्रीम आइसक्रीम का ।
दिसंबर का महीना और ठंडी आइसक्रीम, दोनों का
आपस में कोई मेल नहीं। लेकिन कुछ छूट नहीं जाए इसलिए इसका स्वाद लेना तो बनता ही
था। मुझे फ्रूट क्रीम में बहुत मजा नहीं आया, स्वाद लगभग वैसा ही था जैसा किसी
दूसरी फ्रूट क्रीम में होता है। हो सकता है कि ठंडे मौसम की वजह से ज्यादा आनंद
नहीं ले पाया , अगली बार कभी कुछ गर्म मौसम में गया तो एक बार फिर खाकर जरुर
देखूंगा।
आपस में कोई मेल नहीं। लेकिन कुछ छूट नहीं जाए इसलिए इसका स्वाद लेना तो बनता ही
था। मुझे फ्रूट क्रीम में बहुत मजा नहीं आया, स्वाद लगभग वैसा ही था जैसा किसी
दूसरी फ्रूट क्रीम में होता है। हो सकता है कि ठंडे मौसम की वजह से ज्यादा आनंद
नहीं ले पाया , अगली बार कभी कुछ गर्म मौसम में गया तो एक बार फिर खाकर जरुर
देखूंगा।
यहां से कारवां बढ़ा मक्खन चिकन की तरफ। यहां मासांहारी
खाने की सबसे अच्छी दुकानों में से एक है मक्खन चिकन। हालांकि मेरा मासांहारी खाने
से कुछ लेना देना नहीं है तो यहां मेरे बताने लायक कुछ नहीं है। आप मासांहारी खाना
खाते हो तो यहां होकर आएं।
खाने की सबसे अच्छी दुकानों में से एक है मक्खन चिकन। हालांकि मेरा मासांहारी खाने
से कुछ लेना देना नहीं है तो यहां मेरे बताने लायक कुछ नहीं है। आप मासांहारी खाना
खाते हो तो यहां होकर आएं।
पेट में कुलचे और लस्सी का असर अभी तक था। लेकिन वापसी से पहले
एक जगह और बच गई थी। अमृतसर की मशहूर ब्रजवासी चाट जो क्रिस्टल चौक के पास में है
। यहां पर हमने टिक्की, पापडी चाट और भल्ले खाए। चाट खाने में मजेदार थी।
एक जगह और बच गई थी। अमृतसर की मशहूर ब्रजवासी चाट जो क्रिस्टल चौक के पास में है
। यहां पर हमने टिक्की, पापडी चाट और भल्ले खाए। चाट खाने में मजेदार थी।
इस तरह से हमारा अमृतसरी
खाने का सफर पूरा हुआ।
खाने का सफर पूरा हुआ।
अमृतसर में खाने की दुकानों
की कमी नहीं है। जब भी जाएं अपनी पसंद के हिसाब से चुनें और अमृतसरी खाने का मजा
उठाएं।
की कमी नहीं है। जब भी जाएं अपनी पसंद के हिसाब से चुनें और अमृतसरी खाने का मजा
उठाएं।
अमृतसर में हो तो हरमिंदर साहिब
के लंगर का प्रसाद जरुर चखें। दावे के साथ कह सकता हूँ कि इतना स्वादिष्ट खाना
आपने पहले शायद ही खाया होगा।
के लंगर का प्रसाद जरुर चखें। दावे के साथ कह सकता हूँ कि इतना स्वादिष्ट खाना
आपने पहले शायद ही खाया होगा।
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One thought on “अमृतसर का खाना”
Very very good… bahut hi achha lga