‘न्यू नॉर्मल’ से कैसे ताल बैठाएगी ट्रैवल इंडस्ट्री..
इस साल फरवरी के तीसरे हफ़्ते में पर्यटन से जुड़े कार्यक्रम के लिए मैं आगरा में था। इस दौरान होटल आईटीसी मुगल में रुकना हुआ। एक शाम आईटीसी मुगल की पहचान कहे जाने वाले पेशावरी रेस्टोरेंट में खाने का मज़ा लेते हुए कोरोना की स्थिति पर भी बात हो रही थी। होटल के जनरल मैनेजर भी साथ ही थे। उस वक्त दुनिया इस महामारी को समझने की कोशिश में लगी थी। मैं एक हफ्ते पहले ही मलेशिया से वापस आया था तो बता रहा था कि मलेशिया में फिलहाल कोरोना को लेकर क्या सावधानियां दिखाई दीं। उस वक्त खाने की मेज़ पर हम चार लोग थे। लेकिन वहां बैठे किसी भी शख़्स के दिमाग में यह नहीं आया होगा कि आने वाले कुछ दिनों में कोराना के कारण पूरी दुनिया की तस्वीर बदलने वाली है।
उस मुलाकात के 6 महीने बाद आज स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। उस वक़्त आगरा के होटल जाती सर्दियों की गुनगुनी धूप में ताज का दीदार करने वाले लोगों से भरे थे। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आगरा आने की तैयारियां चल रही थी। आईटीसी होटल भी अमेरिकी सरकार के कमर्चारियों से भरा था। लेकिन फ़िलहाल आगरा के होटल बंद हैं और न्यू नॉर्मल के साथ तालमेल बैठाने की कोशिश में लगे हैं। इसी कोशिश में आईटीसी मुगल ने पेशावरी रेस्टोरेंट के खाने को फूड डिलीवरी ऐप्स के जरिए घरों तक पहुंचाना शुरू किया है। आईटीसी जैसे बड़े लग्जरी ब्रांड के कुल व्यापार में फूड डिलिवरी की हिस्सेदारी शायद मामूली ही रहे लेकिन इससे ज़ाहिर हो रहा है कि बदलते समय के साथ ट्रैवल और हॉस्पिटैलिटी उद्योग में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे।
आगरा का होटल उद्योग यह तसल्ली कर सकता है कि कोरोना की मार पर्यटन सीज़न के ख़त्म होते समय आई। उत्तर भारत में गर्मियों का मौसम घूमने के लिहाज़ से आगरा जैसी जगहों के उतना मुफ़ीद भी नहीं है। यहां का पर्यटन सीज़न अक्टूबर से मार्च के बीच ज़्यादा गुलज़ार रहता है। इसलिए सर्दियां आने के साथ अगर स्थिति कुछ सामान्य होने लगी तो आगरा के पर्यटन उद्योग को कुछ राहत मिल सकती है।
लेकिन पहाड़ों के लिए स्थिति बिल्कुल उलट है। गर्म मौसम में पर्यटकों का रुख़ पहाड़ों की तरफ़ हो जाता है। ऐसे में पर्यटन के लिहाज़ के सबसे महत्वपूर्ण समय में पर्यटन बंद होने से बुरा असर पड़ा है। अब पहाड़ों में पर्यटन कारोबार को फिर से शुरू होने के लिए अगले साल गर्मियों तक इंतज़ार करना होगा।
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा ज़िले में छोटे से ख़ूबसूरत गांव गुनेहड़ में 4Rooms नाम का बुटीक होटल चलाने वाले फ्रेंक कहते हैं “पिछला साल भी कारोबार के लिहाज़ से बहुत अच्छा नहीं रहा था और इस साल कोरोना के कारण सीज़न शुरू ही नहीं हो पाया। पर्यटन के सबसे ज़रूरी महीनों, अप्रेल, मई और जून कोई काम नहीं हुआ।”
अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से ही फ्रेंक के पास बड़ी संख्या में फोन आ रहे हैं जिसमें लोग होटल खुलने के बारे में पूछताछ कर रहे हैं। इसे देखते हुए फ्रेंक को उम्मीद है कि एक बार स्थिति ठीक होने लगे तो इस बार बढ़िया कारोबार देखने को मिल सकता हैं।
देश में पर्यटन से करीब 5 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रोजगार मिलता है। देश की जीडीपी में इसका क़रीब 10% हिस्सा है। इतने बड़े उद्योग के अचानक बंद होने से अर्थव्यवस्था पर असर पड़ना तय है। साथ ही हज़ारों लोगों की रोज़ी रोटी पर संकट खड़ा होगा वो अलग। ट्रैवल और हॉस्पिटैलिटी में होटल, रेस्टोरेंट, टैक्सी, गाईड, पर्यटक स्थलों पर चलने वाली दुकानें सहित न जाने कितने तरह के कारोबार शामिल हैं।
राजस्थान के भीलवाड़ा शहर में अपनी ट्रैवल एजेन्सी चलाने वाले अमर सिंह सोलंकी बताते हैं कि अभी तो ख़ुद को बचाए रखना ही सबसे बड़ी ज़रूरत बन गई है। अमर भी किराया बचाने के लिए अपने पुराने ऑफिस से कम किराये के छोटे ऑफिस में शिफ्ट हो गए हैं। उनका कहना है “इस महामारी का असर जाते-जाते न जाने कितने टूर ऑपरेटर ख़त्म हो जाएंगे। सबसे ज्यादा मार ऐसे टूर ऑपरेटरों पर पड़ेगी जिनका बाजार में उधार बकाया है और जिसे वापस आने में अब काफी समय लगेगा।”
अमर कहते हैं कि अब हर तरह का व्यापार शुरू हो रहा है तो ट्रैवल को भी छोटे पैमाने पर ही सही लेकिन खोलने की ज़रूरत हैं।
स्पष्ट नियमों की ज़रूरत
क्या क्वारंटीन को लेकर बने नियम कुछ परेशान कर रहें हैं? यह पूछने पर अमर कहते हैं “देश के राज्यों ने क्वारंटीन को लेकर अलग -अलग नियम बनाए हैं। नियमों में एकरूपता न होने से पर्यटकों को तय करने में परेशानी होगी कि कहां घूमने जाएं और कहां न जाएं।”
पर्यटक अब घूमने के साथ ही स्वास्थ्य के जुड़ी चिंताओं के बारे में पूछताछ करने लगे हैं। अमर ने बताया कि उनके पास ऐसे लोगों के फोन आने लगे हैं जो कि घूमने जाना चाहते हैं लेकिन किसी राज्य में पहुंचने पर पॉजिटिव पाए गाए तो क्या होगा, इसकी कोई जानकारी न होना परेशानी का कारण है। अमर अब अपने ग्राहकों को ट्रैवल प्लान के साथ कोविड से जुड़ा स्वास्थ्य बीमा लेने की सलाह दे रहे हैं। वे इसकी कीमत को ट्रैवल प्लान में शामिल करने के बारे में सोच रहे हैं। उनका मानना है कि इससे ग्राहकों को कुछ तसल्ली ज़रूर मिलेगी।
फ्रेंक का भी मानना है कि नियमों में स्पष्टता होना बहुत ज़रूरी हैं। साथ ही वे ज़ोर डालकर यह बात कहते हैं कि पर्यटकों को भी ज़्यादा ज़िम्मेदार होना होगा। उनका कहना है कि हिमाचल प्रदेश में अभी भी कोरोना के मरीज़ों की संख्या काफी कम है। ऐसे में कोरोना प्रभावित इलाकों से आने वाले पर्यटक हिमाचल में कोरोना का फैलाव बढ़ा भी सकते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि हिमाचल प्रदेश जैसी जगहों पर आने वाले पर्यटक नियमों का पूरी तरह पालन करें और राज्य में आने से पहले अपनी जांच करवा कर आएं।
कोरोना के फैलाव को लेकर फ्रेंक जो चिंता जता रहे हैं वह हिमाचल प्रदेश के कई जगहों से देखने में आई है। पिछले दिनों अखबारों में ख़बरें थी कि मनाली और शिमला जैसी जगहों पर होटल उद्योग ने अभी होटल नहीं खोलने का फैसला किया है। फ्रेंक ने बताया कि छोटे गांवों में भी लोग पर्यटन खोलने को लेकर अभी तैयार नहीं हैं।
राज्यों के बनाए नियमों की एक बानगी देखिए। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश ने पर्यटकों के लिए अपने राज्य के दरवाज़े खोले हैं। पर्यटकों को कोविड का आरटी-पीसीआर टेस्ट नेगेटिव होने की रिपोर्ट साथ लानी होगी और रिपोर्ट 72 घंटे से ज़्यादा पुरानी नहीं होनी चाहिए। परेशानी यह है कि अधिकांश जगहों पर कोविड की रिपोर्ट आने में आज भी 3-5 दिन का समय लग रहा है ऐसे में दिल्ली या दूसरे राज्यों से आने वाले पर्यटक 72 घंटे के भीतर राज्य की सीमा तक कैसे पहुंचेंगे? नेगेटिव रिपोर्ट आने के बाद भी एक होटल में कम से कम पांच दिन की बुकिंग करवाना ज़रूरी है। अगर नेगिटिव रिपोर्ट है तो फिर पांच दिन बुकिंग क्यों रखी गई है इसको लेकर फ्रेंक कहते हैं कि वे ख़ुद भी नहीं समझ पा रहे हैं की नेगेटिव रिपोर्ट के साथ आने वाले पर्यटकों के लिए एक ही होटल में कम से कम पांच दिन बुकिंग की शर्त क्यों लगाई गई है?
साफ़-सफ़ाई बड़ा मुद्दा
होटल की साफ़-सफ़ाई भी बड़ा मुद्दा है। पर्यटक जब तक इस बात को लेकर निश्चिंत नहीं होगा कि उसे साफ़ होटल मिलेंगे, उसका निकलना मुश्किल है। होटल उद्योग इसको लेकर अपनी तैयारियां करता दिखाई दे रहा है। आईटीसी मुगल ने नियम बनाया है कि दूसरे ग्राहक को देने से पहले 12 घंटे के लिए कमरे को खाली रखा जाएगा और पूरी तरह सैनिटाइज़ किया जाएगा।
लेकिन छोटे होटल क्या ऐसा ही भरोसा अपने ग्राहकों को दे पाएंगे इस पर बड़ा सवाल है। अमर इसे टूर ऑपरेटर्स के लिए अवसर की तरह देखते हैं। पिछले कुछ वर्षों में टूर ऑपरेटर्स को ऑनलाइन बुकिंग साइट्स से भारी मुकाबला करना पड़ा है। अमर का मानना है कि ऑनलाइन बुकिंग ग्राहक में होटल को लेकर वह भरोसा नहीं जगा पाएगी जो भरोसा होटल के सीधे संपर्क में रहने वाला और उसे जानने वाला टूर ऑपरेटर दे सकता है।
आने वाले समय में आप अपने ग्राहकों के लिए होटल किस तरह चुनेंगे? इस सवाल पर अमर ने कहा कि अब वे उन्हीं होटलों को तरजीह देंगे जिन पर वे ख़ुद भरोसा करते हैं।
फ्रेंक का भी मानना है कि अब पर्यटक सफाई को लेकर ज़्यादा जागरुक होंगे। उनका कहना है कि हिमाचल में पहले से ही दूसरे राज्यों के मुकाबले सफ़ाई का स्तर बेहतर है इसलिए होटल उद्योग को इस मामले में ज़्यादा परेशानी नहीं होगी।
बात खत्म करने से पहले फ्रेंक कहते हैं “इस महामारी ने कि एक बार फिर साबित किया है बड़े पैमाने का पर्यटन व्यावहारिक और पर्यावरण अनुकूल नहीं है। पर्यटन को लेकर हमें अपनी सोच बदलनी होगी। भविष्य में हमें ज़्यादा ज़िम्मेदार और पर्यावरण हितैषी पर्यटन की तरफ मुड़ना होगा। ख़ूबसूरत जगहों पर जाने वाले पर्यटक नियमों का पालन करें और कचरा न फैलाएं यही भविष्य के लिए अच्छा होगा।”
अनिश्चितता के भंवर में फसे पर्यटन उद्योग को अभी संभल कर कदम उठाने होंगे। दुनिया के दूसरे देशों से भी सबक लेने होंगे। यूरोप में पर्यटन खुलने के बाद कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। यूरोप में ग्रीस कारोना के असर से काफी हद तक बचा रहा था लेकिन पर्यटकों के लिए अपने दरवाज़े खोलने के बाद वहां कोरोना के मामलों में तेज़ी से इज़ाफा हुआ है।
‘जान है तो जहान है’ और ‘जान भी जहान भी’, के बीच पर्यटन उद्योग को बने रहने के रास्ते तलाशने होंगे। नई-नई जगहों को देखने, समझने की इंसान की चाहत कभी ख़त्म नहीं होगी। कुछ समय से लिए रुकावट ज़रूर आई है लेकिन उम्मीद है कि दुनिया जल्द ही इस से पार पा लेगी।
4 thoughts on “‘न्यू नॉर्मल’ से कैसे ताल बैठाएगी ट्रैवल इंडस्ट्री..”
अच्छा प्रयास स्थिति की नब्ज़ पकड़ने का. अभी स्थिति कतई नॉर्मल नहीं हुई है. हाँ महानगरों के ड्राइंरूम में बैठे-बैठे लोग बाहर सब नॉर्मल हो जाने का अंदाज़ा लगा रहे हैं. लेकिन ग्राउंड पर हालात अलग हैं. पूरा ट्रेवल सेक्टर और होटल इंडस्ट्री खासकर सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. इसमें एक सीमा के बाद अभी ज्यादा कुछ किया भी नहीं जा सकता. अगले सीज़न तक स्थिति नियंत्रण में होने की पूरी आशा है.
धन्यवाद.. अभी तो स्थिति सुधरने में समय लगेगा। शायद जब ट्रैवल का कारोबार फिर से शुरू होगा तो कई तौर-तरीके पूरी तरह बदल चुके होंगे।
कोरोना की सबसे बड़ी मार दुनिया के सबसे बड़े उदोग में से एक पर्यटन उदयिग पर पड़ी है।
इससे निबटने और उबरने में अभी काफी समय लग सकता है।
अमर सिंह सोलंकी भाई के बातों से मैं भी सहमत हूँ, की अभी खुद को और अपने परिजनों का बचाना महत्वपूर्ण है।
आशा है, हमलोग जल्द ही इस वैश्विक समस्या से उबरेंगे और पर्यटन प्रेमी और इस उद्योग से जुड़े अन्य लोग के लिए जीवन आसान हो जाये ।
सही कह रहे हैं, सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला पर्यटन उद्योग ही है। आशा यही है कि जल्दी समस्या का कोई समाधान निकले।