क्राउन प्लाजा जयपुर – एक साल पूरा होने का जश्न
क्राउन प्लाजा जयपुर के एक साल पूरा होने के मौके पर वहां जाने का निमंत्रण मिला। बचपन से ही जयपुर से एक जुड़ाव रहा है तो वहां जाने का मौका मेरे लिए हमेशा ही खास होता है।
जब मेरी गाड़ी होटल के नजदीक पहुंची तो क्राउन प्लाजा की विशाल इमारत नजर आई। जयपुर जैसे शहर में जहां हेरिटज या हेरिटेज हवेली जैसे दिखाई देने वाले होटल बडी संख्या में हैं वहीं क्राउन प्लाजा ने पूरी तरह से आधुनिक आर्किटेक्टर का सहारा लिया है।
होटल में प्रवेश करते ही नजर आती है इसकी बडी सी लॉबी और रिसेप्शन एरिया। लॉबी का इलाका खासा बडा है और इसमें घुसते ही एहसास हो जाता है कि आप किसी लक्जरी होटल में आ गए हैं। मेरा कमरा पहले से ही बुक था । रिसेप्शन पर मुझे मुश्किल से 2 मिनट लगे और मेरे चेक-इन पूरा हो गया। इसके बाद मैं अपने कमरे में पहुंचा। कमरा खासा बडा था।
कमरे में घुसते ही एक छोटा सा गलियारा है, जिसके बांयी तरफ बाथरूम और ड्रेसिंग के लिए जगह दी गई थी। इसके बाद पूरा बडा कमरा आपके सामने आता है। कमरे में फर्श पर एक बढिया रंगबिरंगा कालीन बिछा था ।
कमरे को पूरी तरह से एक आधुनिक रूप दिया गया था। एक तरह बड़ा सा बिस्तर लगा था। बिस्तर पर कुछ कार्ड रखे थे जिन्होंने मेरा ध्यान खींचा। एक कार्ड दरअसल तकियों का मेन्यू था जिसमें बताया गया था कि आप सुविधानुसार कितने तरह के तकिए इस्तेमाल के लिए मंगा सकते हैं।
दूसरे कार्ड पर टर्नडाउन सर्विस की जानकारी दी गई थी। टर्नडाउन सर्विस लक्जरी होटल्स में दी जाती है जिसमें शाम के समय आपके सोने के लिए कमरे को तैयार किया जाता है। जिसमें आपका बिस्तर बदलने से लेकर कमरे की कुछ दूसरी चीजों को बदला जाता है जिससे आप सुकून और शांति से सो सके।
कमरे के एक तरफ शीशे की बड़ी सी दीवार थी जिससे होटल के पीछे हरा-भरा जंगल जैसा इलाका नजर आ रहा था। जयपुर शहर के सीतापुर जैसे इंडस्ट्रियल इलाके में इतना हरा भरा जमीन का टुकडा आंखों को काफी रास आया।
कमरें में जरूरत की सभी चीजें थी जिनकी एक बिजनेस ट्रेवलर को जरूरत पड सकती है।
अब तक दोपहर हो चुकी थी। इसी समय होटल के एक साल पूरा होने के मौके पर केक काटा गया। केक काटने के बाद हमारा खाना होटल के चायनीज रेस्टोरेंट हाउस ऑफ हान में रखा गया था ।
इसी दिन से रेस्टोरेंट में मंगोलियन ग्रिल्स खाने की शुरूआत भी हुई । चायनीय खाना पंसद करने वालों के लिए हाउस ऑफ हान एक अच्छी जगह है। यहां बने खाने को चाइनीज तरीके से ही बनाने और परोसने की कोशिश की जाती है। इसके लिए यहां एक मलेशिया से विशेष शेफ को भी बुलाया गया है। खाना तो मुझे बहुत अच्छा लगा।
सबसे ज्यादा लुभाया खाने से पहले पेश की जाने वाली जैसमीन टी परोसने के तरीके ने। इस चाय को पीतल की केतली के जरिए परोसा गया जिसके आगे कई फीट लंबी नली लगी थी। पता नहीं कि चीन या मंगोलिया में इस तरह से चाय परोसी जाती है या नहीं लेकिन यहां यह तरीका देखने में मजेदार लगा।
हाउस ऑफ हान के अलावा होटल में एक दूसरा रेस्टोरेंट भी है जिसे सिरोको नाम दिया गया है। रात का खाना सिरोको में ही था। रात को सिरोको के खाने में हर तरह का खाना मौजूद था लेकिन मैंने यहां राजस्थानी खाना खाया।
अब दाल-बाटी चूरमा, गट्टे की सब्जी, कैर सांगरी की सब्जी मिले तो कोई दूसरी खाने की तरफ देख की कैसे सकता है। राजस्थानी खाने को खाने के बाद मुंह से वाह के अलावा कोई दूसरा शब्द नहीं निकला। यहां का राजस्थानी खाना पूरी तरह से पारंपरिक राजस्थानी स्वाद और विशेषता लिए हुए था।
इतने बेहतरीन स्वाद वाला राजस्थानी खाने यहां कैसे बना इसकी वजह पूछे बिना मुझसे नहीं रहा गया तो पता लगा कि होटल ने यहां राजस्थानी खाना बनाने के लिए किसी शेफ को नहीं बल्कि राजस्थानी महाराज को रखा है। महाराज ही यहां ये खाना राजस्थानी खाना बनाते हैं। राजस्थानी मिठाई बनाने के लिए खासतौर से जोधपुर के हलवाईयों को रखा गया है।
सिरोको में अगले दिन सुबह का नाश्ता भी बेहतरीन रहा ।
इस तरह अच्छी यादों के साथ एक दिन का जयपुर क्राउन प्लाजा का यह सफर खत्म हुआ।