ॠषिकेश अध्यात्म का नगर
हरिद्वार से ३० किलोमीटर दूर है ॠषिकेश। ॠषिकेश को पवित्र तीर्थ माना जाता है। यहां पर बहती गंगा की खूबसूरती तो देखती ही बनती है।
ॠषिकेश की सबसे मशहूर जगह हैं लक्ष्मण झूला। तारों पर झूलता ये पुल तो देखन के लायक है। पुल के बीच में खडें होकर नीचे बहती गंगा को देखना अविस्मरणीय अनुभव है। ॠषिकेश में गंगा पहाड से उतरने के कारण तेजी से बहती है। इसके तेज बहाव को लक्ष्मण झूले पर खडा होकर महसूस किया जा सकता है।
लक्ष्मण झूला पार करके आप गंगा के दूसरे किनारे पर पहुंचते है। इस तरफ देखने के लिए बहुत सारे आश्रम और मंदिर हैं। पुल के पास ही है तेरह मंजिली मंदिर। इस मंदिर में हर देवी देवता का मंदिर बनाया गया है। उसके बाद स्वर्ग आश्रम और परमार्थ निकेतन देखा जा सकता है।
परमार्थ निकेतन में अनाथ और गरीब बच्चों के लिए गुरुकुल बनाया गया हैं। यहां बच्चों को पारम्परिक शिक्षा के साथ ही आध्यात्म और वेदों की शिक्षा भी दी जाती है। परमार्थ निकेतन की गंगा आरती को बेहद प्रसिद्ध है।
हर शाम परमार्थ निकेतन के सामने गंगा के किनारे आरती की जाती है। ठंडी बहती हवा के बीच हजारों दीपकों की झिलमिलाती ऱोशनी को देखना अद्भुत अनुभव है। मैंने जब पहली बार आरती को देखा तो देखता ही रह गया था।
ॠषिकेश अपने योग के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। बहुत से आश्रमों में योग का प्रशिक्षण दिया जाता है। दुनिया भर से लोग यहां योग सीखने के लिए आते है। बहुत ही मामूली सी फीस देकर भी यहां योग सीखा जा सकता है।
जिंदगी की भाग दौड से ऊब होने लगी हो और आप दुबारा से तरोताजा होना चाहते हैं तो ॠषिकेश आ जाईये। कुछ दिन गंगा के किनारे बिताने से ही आप सारा तनाव भूल जाते हैं।
ॠषिकेश से तीस किलोमीटर दूर है नीलकंठ महादेव। ये भगवान शिव का सदियों पुराना मंदिर है। यहां तक जाने के लिए बारह किलोमीटर का पैदल रास्ता भी है। जंगल से घिरे इस रास्ते से जाने का अपना अलग ही मजा है। लगभग १००० मीटर की उँचाई पर बना है ये मंदिर।
मंदिर तक जाने के लिए ॠषिकेश से टैक्सी मिल जाती हैं। मैं जब गया था तो यहां तक जाने वाली सडक की हालत बेहद ही खराब थी। ॠषिकेश से सवारी के हिसाब से भी चलने वाली टैक्सी भी ली जा सकती है।
रिवर राफ्टिग–
ॠषिकेश अब रिवर राफ्टिग के लिए भी जाना जाता है। पहाडों से तेजी से उतरती गंगा की लहरों पर राफ्टिंग करने के रोंमांच की तुलना ही नहीं की जा सकती। राफ्टिग के लिए यहां से दस किलोमीटर दूर शिवपुरी जाया जा सकता है। मेरा राफ्टिग पर पहले लिखा लेख पढें।
कहां ठहरें–
हर बजट के होटल हैं इसलिए यहां पर ठहरने में कोई दिक्कत नहीं है। यहां के आश्रमों में भी रुका जा सकता है। लेकिन आश्रम के नियमों को मानना होगा।
कैसे पहुँचें-
दिल्ली से दो सौ तीस किलोमीटर दूर है। दिल्ली से सीधी बस सेवा और रेल मिल जाती है।
One thought on “ॠषिकेश अध्यात्म का नगर”
बढिया जानकारी दी है। आभार।