मसूरी- पहाडों की रानी(२)

मसूरी- पहाडों की रानी(२)

कैंप टी फाल से मसूरी वापसी के रास्ते में आता है लाल बहादुर शास्त्री प्रसाशनिक प्रक्षिक्षण अकादमी। यहां सिविल सेवा परीक्षा पास करके आये अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता है। अनुमति लेकर यहां घूमा जा सकता है।

इस के पास ही है तिब्बती मठ। इस मठ को तिब्बत से आये शरणार्थियों ने बनाया है। बौद्ध धर्म के असली रुप को यहां देखा जा सकता है। चारों और घने जंगल से घिरा है ये खूबसूरत मठ।

इसके बाद मैं चल पडा धनौल्टी की ओर। मसुरी से लगभग तीस किलोमीटर दूर टिहरी जाने वाली रोड पर है,ये शांत और खूबसूरत जगह। अब धीरे घीरे एक हिल स्टेशन के रुप में ये अपनी पहचान बनाता जा रहा है।

धनौल्टी देवदार के जंगल से घिरा है। अब देवदार का जंगल ही इसकी पहचान बन चुका है। यहां रहने के लिए कुछ होटल बन गये है। गढवाल मंडल टूरिज्म का गेस्ट हाउस भी है। शहर की भीड भीड से दूर आना चाहते हैं तो धनौल्टी आदर्श जगह है। मसूरी घूमने के बाद यहां ठहरा जा सकता है।

धनौल्टी से सात किलोमीटर दूर है सुरकंडा देवी का मंदिर। पूरे इलाके में मंदिर की बडी मान्यता है। मंदिर के लिए दो किलोमीटर की सीधी चढाई करनी पडती है। मंदिर दस हजार फीट की ऊँचाई पर बना है। इतना ऊँचाई से चारों औऱ के पहाडों का बडा ही सुन्दर दृश्य देखने को मिलता है।

गढवाल में मान्यता है कि शादी को बाद जोडे को इस मंदिर में जरुर लाया जाता है। इसलिए यहां बडी संख्या में नव विवाहित जोडे देखने को मिलते हैं।

इसके अलावा मसूरी के आस पास के इलाके में कई झरने हैं जिनको देखा जा सकता है। तो पहाडो की इस रानी को देखने एक बार जरुर आईये।

कहां ठहरें-

मसूरी में ठहरने के लिए होटलों की कमी नहीं है। हर बजट के लिए होटल यहां मिल जाते हैं। यहां अंग्रेजों के जमाने के बंगलों को होटलों में बदल दिया गया है। इनमें रुकना एक यादगार अनुभव है लेकिन बजट के लिहाज से ये थोडे मंहगे हैं। पहाड के अनुभव लेने के लिए धनौल्टी में रुकना भी अच्छा है।

कैसे पहुंचे-

दिल्ली से मसुरी के लिए सीधी बस मिल जाती है। लगभग छ से सात घंटे में मसूरी पहुंच जायेंगें। देहरादून तक रेल से जाकर आगे का सफऱ बस या टैक्सी से किया जा सकता है। मसूरी देहरादून से तीस किलोमीटर है। देहरादून के लिए दिल्ली से शताब्दी रेल भी जाती है।

One thought on “मसूरी- पहाडों की रानी(२)

  1. Dipanshu,
    Wow mujhe nai pata tha mussoorie main itni sari jagahen hain…
    After reading this i really feel like going there…

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