आमोद अलवर बाग( Aamod Alwar Bagh) में दो दिन
चारों तरफ अरावली की पहाडियां और हरे- भरे खेतों के बीच बना है आमोद अलवर बाग रिसॉर्ट। सरिस्का टाइगर रिजर्व से नजदीकी इसे और भी खास बनाती है। यह रिसॉर्ट अलवर से करीब 15 किलोमीटर और सरिस्का टाइगर रिजर्व से 20 किलोमीटर की दूरी पर है। जंगल के नजदीक होने के कारण यहां पूरी शांति और सुकून का अनुभव कर सकते हैं। अलवर बाग में दाखिल होते ही वाकई किसी जंगल में आने का एहसास होता है।
पांच एकड में फैले इस रिसोर्ट के करीब दो तिहाई हिस्से में पूरी तरह से हरियाली और उसमें भी आवंला, नींबू और शहतूत जैसे पेडों को लगाया गया है। इसी हरियाली के बीच से होकर आप अपने कमरों तक पहुंचते हैं।
कमरे –
यहां कुल 37 कमरे बने हैं। इन कमरों को राजस्थानी हवेली की तरह बनी चार इमारतों में बांटा गया है। इन इमारतों को रावला, जयगढ़, भंवर विला और गुलाब विला का नाम दिया गया है। जयगढ में सबसे ज्यादा 19 कमरे हैं। बाकी तीनों में 6-6 कमरे हैं। इनसे से कुछ कमरे Super Deluxe हैं तो बाकि के कमरे Deluxe श्रेणी के हैं। मैं जयगढ़ के Super Deluxe कमरे में रूका था। जब में अपने कमरे में पहुचा तो एहसास हुआ कि सही मायने में किसी लक्जरी रिसॉर्ट में आया हूँ। कमरा क्या , शहर के किसी अच्छे खासे फ्लैट से भी बडा हॉल था। कमरे की जरूरत के मुताबिक सभी चीजे वहां रखी गई थी।
खासियत यह थी कि लक्जरी दिखाने की होड में कमरे को चीजों से भरा नहीं गया था इसलिए कमरे के बड़े आकार को महसूस किया जा सकता था। कमरे के अंदर की खाली जगह सुकून दे रही थी। कमरे के साथ लग बाथरूम भी खासा बडा था। कमरे में साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा गया था। Super Deluxe की तरह ही Deluxe कमरे भी बेहद शालीनता से सजाए गए हैं । ये कमरे भी खासे बड़े हैं। अपनी जरूरत के हिसाब से कमरे चुन सकते हैं।
यहां भंवर विला और गुलाब विला में बने कमरे आकर्षक हैं। इन सभी कमरों को राजस्थानी चित्रकारी से सजाया गया है। पूरे रिसॉर्ट के सुपर डीलक्स और डीलक्स कमरों का किराया एक समान है फिर भी भंवर विला में रूकने को तरजीह दी जा सकती है। भंवर विला के कमरे के बाहर राजस्थानी तरीके की छत बनी है जिसमें जाली और झरोखे बनाए गए हैं। इसके कारण जहां खुली छत का मजा लिया जा सकता है वहीं आप सबकी नजरों से दूर रहकर शांति के पल बिता सकते हैं।
खाना – पीना –
रिसॉर्ट के रेस्टोरेंट में उत्तर भारतीय, दक्षिण भारतीय, राजस्थानी और कॉन्टीनेन्टल हर तरह का खाना परोसा जाता है। दोपहर में मैंने उत्तर भारतीय खाना ही खाया, दाल , पनीर और सब्जी और तंदूर रोटी । खाना स्वाद से भरा था। रात के खाने के लिए बताया गया कि राजस्थानी थाली का इंतजाम किया गया है। खाने का असली मजा रात को ही मिलने वाला था। रात को राजस्थानी थाली में राजस्थान की मशहूर दाल-बाटी, गट्टे की सब्जी, लहसन की चटनी , पापड की सब्जी सभी कुछ था । राजस्थानी खाने का स्वाद लाजवाब था। अलवर बाग के मुख्य शेफ गौरव भनोट खुद भी खाने को नया बनाने की कोशिश करते रहते हैं।
क्या कर सकते हैं यहां-
अलवर बाग में मनोरंजन के लिए इतने इंतजाम किए गए हैं कि आप चाहें को यहीं अपना पूरा समय बिता सकते हैं। रिसॉर्ट में पेंटबॉल, शूटिंग, रॉक क्लाइंबिंगस, रोप कॉर्स, रिमोट कार रेसिंग जैसे रोमांचक खेलों का मजा लिया जा सकता है। इतने तरह के खेल एक रिसॉर्ट में मुश्किल से ही देखने को मिलते हैं। इसके अलावा बेडमिंटन और बास्केटबाल और क्रिकेट खेल कर भी समय बिताया जा सकता है। इतना सब कुछ करने के बाद थक जाएं तो यहां को स्पा में जाकर थकान उतारी जा सकती है। स्पा में कई तरह की मसाज उपलब्ध हैं।
शाम के साथ रिसॉर्ट का माहौल और भी खूबसूरत हो जाता है। हरे भरे लॉन के बीच बने स्विमिंग पूल में शाम का पूरा मजा लिया जा सकता है। पूल के साथ ही रिसॉर्ट का आडटडोर किचन काउंटर है जहां से आपकी फरमाइश पर तरह तरह के स्नैक्स परोसे जा सकते हैं।
इतना सब कुछ को रिसॉर्ट में ही है कि दो दिन भी कम नजर आते हैं। फिर भी अगर बाहर घूमना चाहते हैं तो अलवर और सरिस्का टाइगर रिजर्व की सफारी पर जाया जा सकता है। अलवर यहां के करीब 15 किलोमीटर दूर है जहां अलवर संग्राहलय और किला देख सकते हैं। अलवर राजस्थान का बेहद ऐतिहासिक शहर है । अलवर की प्रसिद्ध सिलीसेंढ झील भी रिसॉर्ट के पास ही है।
सरिस्का टाइगर रिजर्व रिसॉर्ट से 20 किलोमीटर की दूर पर ही है। जंगल देखने का शौक है तो यहां सफारी कर सकते हैं। रिसॉर्ट को बताने पर वे इसकी बुकिंग करने में मदद कर देंगें। मैं भी अपने साथी ट्रेवल ब्लागर्स के साथ दोपहर को जंगल देखने के लिए गया। हालांकि सितम्बर के महीने में टाइगर सफारी बंद रहती है लेकिन जंगल के करीब 20 किलोमीटर अंदर एक प्राचीन हनुमान मंदिर है और मंगलवार और शनिवार को वहां जाने की अनुमति दी जाती है। हम लोग भी शनिवार को ही अलवर बाग में ही थे इसलिए एक छोटा चक्कर जंगल का भी लगाया। वैसे सफारी अक्टूबर से जून तक खुली रहती है।
दिल्ली से मात्र 150 किलोमीटर दूर होने के कारण सप्ताह के आखिर दिन बिताने के लिए अलवर बाग माकूल जगह है। दिल्ली के करीब 3 घंटे का सडक का सफर करके आराम से यहां पहुंच सकते हैं। अलवर के लिए दिल्ली से बहुत सी ट्रेन भी उपल्बध हैं।
ध्यान रखें की सप्ताह के आखिरी दिनों शनिवार तथा रविवार और छुट्टी के दिनों में रिसॉर्ट आमतौर पर पूरी तरह भरा होता है। इसलिए इन दिनों में जाने से पहले बुकिंग जरूर करवा लें। सप्ताह के बीच में जाने पर ज्यादा शांति से समय बिता सकेंगे।
क्या खरीदें –
अलवर अपने मिल्क केक के लिए प्रसिद्ध है। तो अलवर का मिल्क केक सफर की यादगार के तौर पर साथ ले जाना ना भूंलें । अलवर में मिल्क केक बनाने की कई दुकाने हैं जिनमें बाबा ठाकुर दास एंड संस और दूध मिष्ठान भंडार बहुत प्रसिद्ध हैं। बाबा ठाकुर दास को ही अलवर की प्रसिद्ध मिल्क केक की शुरूआत करने का श्रेय दिया जाता है। बाबा ठाकुरदास की दुकान एक दुकान अलवर के घंटाघर के पास है और दूध मिष्ठान भंडार की एक दुकान तिजारा फ्लाईओवर के नजदीक है।
Note- यह यात्रा आमोद अलवर बाग के निमंत्रण पर की गई थी ।
5 thoughts on “आमोद अलवर बाग( Aamod Alwar Bagh) में दो दिन”
Trip to achi thi, Hindi mei padke aur maza aa gaya.
Thank you so much..
सब कुछ लिखा तो किराए का भी तो उल्लेख कर दीजिए 🙂
मैं गया तब करीब 4000 से शुरूआत थी। लेकिन आजकल किराए के बारे में लिखना तो बेकार ही हो गया है। नए-नए एप और ट्रैवल बुकिंग कंपनियां आ रही हैं ना जाने क्या रेट दे दें। इसलिए नहीं लिखा था।
A beautiful property to feel peaceful, adventurous , with courteous staff around, with spacious neat rooms to stay in and last but not the least . I recently visited Aamod for a family wedding–I must say that this is one of the best location if you want to experience pool side Jai Mala and Mehendi night.