कॉर्बेट नेशनल पार्क की अनोखी दुनिया
राजस्थान के रणथम्बौर नेशनल पार्क से दिल्ली वापस आते ही अगले
दिन कॉर्बेट नेशनल पार्क जाने का मौका मिल गया। एक घूमने के शौकीन को और क्या
चाहिए । एक ही दिन में जाने की तैयारी की, कैमरे को संभाला और अगले सफर के लिए
तैयार । सब कुछ इतना जल्दी हुआ कि रूकने की जगह के बारे में कुछ पता करने का मौका
ही नहीं मिला। मुझे वहां Corbett Wild Iris Spa and Resort में रुकना था।
दिन कॉर्बेट नेशनल पार्क जाने का मौका मिल गया। एक घूमने के शौकीन को और क्या
चाहिए । एक ही दिन में जाने की तैयारी की, कैमरे को संभाला और अगले सफर के लिए
तैयार । सब कुछ इतना जल्दी हुआ कि रूकने की जगह के बारे में कुछ पता करने का मौका
ही नहीं मिला। मुझे वहां Corbett Wild Iris Spa and Resort में रुकना था।
रिजोर्ट की तरफ जाते हुए मन में एक ही बात थी कि क्या यह भी कॉर्बेट
के दूसरे रिजोर्ट की तरह ही हुल्लड़ बाजी का अड्डा होगा। ढिकाला की तरफ के भीड भरे
पार्टियों के लिए मशहूर इलाके में जाने का कोई मन नहीं था। रामनगर पहुंचने पर
गाड़ी ढिकाला की तरफ ना जाकर सीधे हाथ की तरफ मुड़ी तो कुछ सूकून मिला कि चलो उस
इलाके से तो बच गए। रामनगर में कोसी का बैराज पार करने के बाद कुछ किलोमीटर
नैनीताल की तरफ चलने के बाद गाडी उलटे हाथ पर मुड़ी और जंगल में खो सी गई। हम सीधे
जंगल के बीचों बीच आ गए थे। अब हमारे सामने एक पतली
सी सड़क थी। दोनों तरफ साल और टीक के घने पेड थे।
के दूसरे रिजोर्ट की तरह ही हुल्लड़ बाजी का अड्डा होगा। ढिकाला की तरफ के भीड भरे
पार्टियों के लिए मशहूर इलाके में जाने का कोई मन नहीं था। रामनगर पहुंचने पर
गाड़ी ढिकाला की तरफ ना जाकर सीधे हाथ की तरफ मुड़ी तो कुछ सूकून मिला कि चलो उस
इलाके से तो बच गए। रामनगर में कोसी का बैराज पार करने के बाद कुछ किलोमीटर
नैनीताल की तरफ चलने के बाद गाडी उलटे हाथ पर मुड़ी और जंगल में खो सी गई। हम सीधे
जंगल के बीचों बीच आ गए थे। अब हमारे सामने एक पतली
सी सड़क थी। दोनों तरफ साल और टीक के घने पेड थे।
घने जंगल से गुजरती सड़क
|
अब महसूस हुआ कि हम सही मायने
में जंगल में थे। पता चला कि सड़क भी हाल ही में बनी थी। जंगल में 7 किलोमोटर चलने के बाद हम
क्यारी गांव में पहुंचे। वही गांव के पास बना था Corbett Wild Iris Spa and Resort ।
में जंगल में थे। पता चला कि सड़क भी हाल ही में बनी थी। जंगल में 7 किलोमोटर चलने के बाद हम
क्यारी गांव में पहुंचे। वही गांव के पास बना था Corbett Wild Iris Spa and Resort ।
यहां तक
पहुंचने के लिए गाड़ी को नदी के उबड़-खाबड़ रास्ते पर भी चलना पडा। चारों तरफ की
शांति को सिर्फ चिडियों की चहचहाट ही तोड रही थी। हमारा जंगल का सफर शुरु हो चुका
था। कुछ अलग तरीके से।
पहुंचने के लिए गाड़ी को नदी के उबड़-खाबड़ रास्ते पर भी चलना पडा। चारों तरफ की
शांति को सिर्फ चिडियों की चहचहाट ही तोड रही थी। हमारा जंगल का सफर शुरु हो चुका
था। कुछ अलग तरीके से।
घने जंगल के बीच बना है यह रिजोर्ट। दिल्ली से 6 घंटे के सफर के बाद यहां
पहुंचे थे। थकान का जो थोडा बहुत असर था
वह भी ठंडे शर्बत के स्वागत के साथ उतर गया।
पहुंचे थे। थकान का जो थोडा बहुत असर था
वह भी ठंडे शर्बत के स्वागत के साथ उतर गया।
ज्यादा कुछ नहीं करके सीधे अपने कमरों में पहुंचे थोड़ा सा आराम करने के लिए।
बडे से इलाके में कुछ- कुछ दूर पर कमरे और कॉटेज बने थे।
बडे से इलाके में कुछ- कुछ दूर पर कमरे और कॉटेज बने थे।
मेरा कमरा खासा बडा और
अच्छे तरीके से सजा था। कमरे में वह सब कुछ मौजूद था जो एक- दो दिन के लिए आराम की
चाह रखने वाले लोग चाहते हैं।
अच्छे तरीके से सजा था। कमरे में वह सब कुछ मौजूद था जो एक- दो दिन के लिए आराम की
चाह रखने वाले लोग चाहते हैं।
कुछ देर आराम के बाद सभी लोग दोपहर के खाने पर मिले। बेहतर तरीके बना स्वादिष्ट खाना, भरपेट खाया । डायनिंग हॉल में जंगल के बीच
रहने का ही आभास होता है। लकड़ी का फर्नीचर, बड़ी- बडी कांच की खिड़कियां
जिनसे बाहर की हरियाली का मजा लिया जा
सकता है।
रहने का ही आभास होता है। लकड़ी का फर्नीचर, बड़ी- बडी कांच की खिड़कियां
जिनसे बाहर की हरियाली का मजा लिया जा
सकता है।
खुला-खुला डायनिंग हॉल
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खाने के बाद रिजोर्ट को देखने निकल गया। आम का तो पूरा बगीचा था
यहां। पता चला कि बगीचे के बीच ही इस रिजोर्ट को बनाया गया है।
यहां। पता चला कि बगीचे के बीच ही इस रिजोर्ट को बनाया गया है।
जंगल में रुकने को
कुछ और बेहतर तरीके से महसूस करना चाहते हैं यहां छप्पर वाले कॉटेज भी हैं। एक तरफ स्पा था और स्पा के बगल में बड़ा सा
स्विमिंग पूल।
कुछ और बेहतर तरीके से महसूस करना चाहते हैं यहां छप्पर वाले कॉटेज भी हैं। एक तरफ स्पा था और स्पा के बगल में बड़ा सा
स्विमिंग पूल।
यहां
एक एक्टिविटी रूम भी है। इस बड़े से हॉल में पूल टेबल, टेबिल-टेनिस , और कैरम
बार्ड जैसी चीजें रखी हुई हैं। खेलों के शौकीन हैं तो यहां बड़ा अच्छा समय बिताया
जा सकता है।
एक एक्टिविटी रूम भी है। इस बड़े से हॉल में पूल टेबल, टेबिल-टेनिस , और कैरम
बार्ड जैसी चीजें रखी हुई हैं। खेलों के शौकीन हैं तो यहां बड़ा अच्छा समय बिताया
जा सकता है।
आस पास देखते हुए ही नेचर वॉक पर जाने का समय हो गया। रिजोर्ट के पास ही है
क्यारी नाम छोटा सा कुमाऊंनी गांव । इसी गांव में हमें नेचर वॉक पर जाना था।
क्यारी नाम छोटा सा कुमाऊंनी गांव । इसी गांव में हमें नेचर वॉक पर जाना था।
विनोद नेचर वॉक के बारे में बताते हुए
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इस वॉक से पहले हमारी मुलाकात हुई विनोद बुधानी से। विनोद क्यारी गांव के ही
रहने वाले हैं और अब रिजोर्ट के साथ गाईड और नैचरलिस्ट का काम करते है। पहली ही नजर
में विनोद पक्के नैचरलिस्ट नजर आते हैं।
खाकी पैंट , सफेद टी-शर्ट, गले में एक तरफ दूरबीन और दूसरी तरफ छोटे से बैग में
स्थानीय चिंडियों की प्रजातियों पर लिखी एक किताब। अगले दो दिन हमें विनोद के साथ
ही रहना था। दोस्ती तो मिलते ही हो गई। विनोद को स्थानीय पशु पक्षियों की
प्रजातियों और पेड़-पौधों की बहुत अच्छी
जानकारी थी।
रहने वाले हैं और अब रिजोर्ट के साथ गाईड और नैचरलिस्ट का काम करते है। पहली ही नजर
में विनोद पक्के नैचरलिस्ट नजर आते हैं।
खाकी पैंट , सफेद टी-शर्ट, गले में एक तरफ दूरबीन और दूसरी तरफ छोटे से बैग में
स्थानीय चिंडियों की प्रजातियों पर लिखी एक किताब। अगले दो दिन हमें विनोद के साथ
ही रहना था। दोस्ती तो मिलते ही हो गई। विनोद को स्थानीय पशु पक्षियों की
प्रजातियों और पेड़-पौधों की बहुत अच्छी
जानकारी थी।
यह जानकर अच्छा लगा कि गांव के बहुत से लोग रिजोर्ट में ही काम करते हैं। गांव
में ही रहकर अगर पर्यटन से रोजगार पैदा होता है तो इससे अच्छा भला क्या हो सकता
है। । गांव में कई लोगों के पास जिप्सी भी हैं जो पर्यटकों को सफारी पर ले जाने का
काम करती है। पर्यटकों के आने से अब गांव में कई होमस्टे भी खुल गए हैं। एक पूरी
अर्थव्यवस्था है जो पर्यटन के इर्द-गिर्द पनपने लगी है।
में ही रहकर अगर पर्यटन से रोजगार पैदा होता है तो इससे अच्छा भला क्या हो सकता
है। । गांव में कई लोगों के पास जिप्सी भी हैं जो पर्यटकों को सफारी पर ले जाने का
काम करती है। पर्यटकों के आने से अब गांव में कई होमस्टे भी खुल गए हैं। एक पूरी
अर्थव्यवस्था है जो पर्यटन के इर्द-गिर्द पनपने लगी है।
विनोद के साथ हम चले क्यारी गांव की तरफ। खिचड़ी नदी को पार कर हम पहुचे इस
गांव में, नदी में ज्यादा पानी नहीं था इसलिए पैदल ही इसको पार कर लिया।
गांव में, नदी में ज्यादा पानी नहीं था इसलिए पैदल ही इसको पार कर लिया।
खिचड़ी नदी
( Image courtesy- Abhinav Singh)
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गांव में
लोगों की जिंदगी को करीब से देखने का मौका। गांव के खेतों में गेहूँ की कटाई का
काम चल रहा था।
लोगों की जिंदगी को करीब से देखने का मौका। गांव के खेतों में गेहूँ की कटाई का
काम चल रहा था।
विनोद ने हमें गांव के पास उगे बहुत से पेड़-पौधों के बारे में बताया।
हाथी कान नाम का पौधा
|
रोजमर्रा की जिंदगी में डॉक्टर से ज्यादा लोग इन्हीं पेड़ पौधों पर भरोसा करते
हैं। जब 24 घंटे का डॉक्टर घर में ही मौजूद हो तो फिर चिंता किस बात की। कोई पौधा
दर्द दूर करता है तो कोई चोट पर एंटी सेप्टिक का काम करता है। किसी से गठिया का
इलाज हो सकता है तो किसी से गैस की समस्या रफूचक्कर हो जाती है।
हैं। जब 24 घंटे का डॉक्टर घर में ही मौजूद हो तो फिर चिंता किस बात की। कोई पौधा
दर्द दूर करता है तो कोई चोट पर एंटी सेप्टिक का काम करता है। किसी से गठिया का
इलाज हो सकता है तो किसी से गैस की समस्या रफूचक्कर हो जाती है।
पेड़ पर लगा नींबू
|
हम शहर में रहने
वालों का तो इन चीजों से नाता टूट गया है लेकिन अगर इन चीजों के बारे में जानने का
कोई ऐसा मौका मिले तो उसका पूरा फायदा उठाना चाहिए। प्रकृति ने अपने खजाने में
बहुत कुछ छिपा रखा है हमारे लिए, बस पहचानने की जरुरत है।
वालों का तो इन चीजों से नाता टूट गया है लेकिन अगर इन चीजों के बारे में जानने का
कोई ऐसा मौका मिले तो उसका पूरा फायदा उठाना चाहिए। प्रकृति ने अपने खजाने में
बहुत कुछ छिपा रखा है हमारे लिए, बस पहचानने की जरुरत है।
नेचर वॉक के आखिर में गांव की एक दुकान में हमारी शाम की चाय का इंतजाम था।
गर्मागरम पकौड़े , समोसे और चाय की चुस्कियों के साथ अपनी इस नेचर वॉक को खत्म
किया।
गर्मागरम पकौड़े , समोसे और चाय की चुस्कियों के साथ अपनी इस नेचर वॉक को खत्म
किया।
वापस लौटते – लौटते अंधेरा हो गया। शाम को बड़े से लॉन में खाने का इंतजाम था।
Image courtesy- Iris Resort
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भारतीय से लेकर कॉन्टीनेन्टल तक शाम के खाने का इंतजाम शानदार था। खास बात यह थी
कि यह बनाने वाले खानसामा यहीं आसपास के थे ।
कि यह बनाने वाले खानसामा यहीं आसपास के थे ।
शाम के खाने के साथ ही संगीत का
कार्यक्रम भी रखा गया । एक से एक गाने सुनने को मिले। कलाकारों की यहां कोई
कमी नहीं थी। सब मिल कर शाम को खूबसूरत बना रहे थे। खाना खाते, घूमने फिरने की
बातें करते करते आधी रात हो गई। घुमक्कड़ी के किस्से शुरु हो तो फिर रुकते कहां
हैं। लेकिन सोना भी जरुरी था क्योंकि अगले दिन सुबह जल्दी उठ कर फिर से क्यारी
गांव में ही जाना था। इस तरह से कॉर्बेट
के जंगल में पहला दिन पूरा हुआ। लेकिन अभी दो दिन और बाकी थे। उन दिनों में हमें
ताज्जुब में डालने वाली कई चीजें थी। उसके
बारे में अगली पोस्ट में बात करेंगे।
कार्यक्रम भी रखा गया । एक से एक गाने सुनने को मिले। कलाकारों की यहां कोई
कमी नहीं थी। सब मिल कर शाम को खूबसूरत बना रहे थे। खाना खाते, घूमने फिरने की
बातें करते करते आधी रात हो गई। घुमक्कड़ी के किस्से शुरु हो तो फिर रुकते कहां
हैं। लेकिन सोना भी जरुरी था क्योंकि अगले दिन सुबह जल्दी उठ कर फिर से क्यारी
गांव में ही जाना था। इस तरह से कॉर्बेट
के जंगल में पहला दिन पूरा हुआ। लेकिन अभी दो दिन और बाकी थे। उन दिनों में हमें
ताज्जुब में डालने वाली कई चीजें थी। उसके
बारे में अगली पोस्ट में बात करेंगे।
कैसे पहुंचे – रामनगर दिल्ली से करीब 250 किलोमीटर दूर है। दिल्ली से ट्रेन और बस की सुविधा से जुड़ा है। ट्रेन और बस से करीब 6 घंटे में यहां पहुंचा जा सकता है। Corbett Wild Iris Spa and Resort रामनगर से करीब 12 किलोमीटर दूर है। रामनगर से टैक्सी
लेकर यहां पहुंचा जा सकता है।
लेकर यहां पहुंचा जा सकता है।
( Travel correspondent blogger group(TCBG) organised this visit and Corbett Wild Iris Spa and Resort sponsored it.)
2 thoughts on “कॉर्बेट नेशनल पार्क की अनोखी दुनिया”
Meree tippanne yeh hai kee badiya trip lag raha hai or likhiye
बहुत ही ख़ूबसूरती से अपने अनुभव को शब्द दिये हैं,जैसे कोई वीडीयो ही देख रहे हो।