पुराने सिक्के चाहिए तो आईये हरिद्वार
मैं हर की पौडी से नहा कर पास की पंत द्वीप पार्किंग की तरफ जा रहा था कि एक छोटी सी दुकान पर रखे पुराने सिक्को पर नजर पडी। मुझे पुरानी चाजें रखने का शौक भी है इसलिए रुक गया।दुकान पर मुगलो के जमाने से लेकर अंग्रेजो के जमाने के सिक्के सजे हुए थे। मुगले काल से पहले के भी सिक्के यहां थे। इनमें टंका, छदाम, दमडी जैसे सिक्के थे। मैं आश्चर्य में था कि यहां ये सिक्के क्या कर रहे हैं और ये असली भी हैं या नहीं। मैने दुकान चलाने वाले बाबा जैसे कपडे पहने आदमी से पूछा तो उत्तर भी मिल ही गया उसने बताया कि सिक्के तो बिल्कुल असली हैं आप कही भी दिखवा सकते हैं। हरिद्वार में ये सिक्के इसलिए मिलते हैं कि हजारों सालों से नदियों को देवी मानकर सिक्के चढाने की परम्परा रही है। उसके कारण आज भी गंगा के सूखे तल में ये सिक्के मिलते हैं। मुझे याद आया कि आज भी जब बस किसी नदी खासकर गंगा पर से गुजरती है तो लोग उसमें सिक्के फेंकते हैं। हजारो सालो से ये चला आ रहा है। इस कारण मुझे उसकी बात में सच्चाई लगी। फिर मैने भी कुछ सिक्के खरीद लिए। यहां भारत ही नहीं भारत के बाहर के देशों के सिक्के भी थे। खासकर नेपोलियन के समय और उसके बाद में नेपोलियन के नाम पर निकले फ्रांसिसी सिक्के भी मैने देखे। यहां पांच छ सौ साल पहले के सिक्के तो बडे आराम से मिल रहे थे। दुकानदार ने बताया कि कभी कभी इससे भी पुराने सिक्के यहां मिल जाते हैं।पता ये भी चला कि पहले तो सिक्का बेचने कि कई दुकान थीं लेकिन अब एक दो ही रह गई हैं।
9 thoughts on “पुराने सिक्के चाहिए तो आईये हरिद्वार”
बाबू मुगल सल्तनत के जो आप सिक्के बता रहे हैं वो लगभग 99% नकली तांबे के द्वारा घिस-घिस कर बनाये जाते हैं, अगर असली होते ना तो पुरातत्व विभाग इन्हे अपनी धरोहरों में जमा कर देता.
आप पक्की जानकारी जुटाइये क्योंकि मैं भी हरिद्वार जाता रहता हूँ, लेकिन इन सिक्कों को खरीदने क कभी भी मन नहीं हुआ जबकि मैं भी पुरानी चीजों के संग्रह का शौकीन हूँ.
कमलेश जी हो सकता है कि जो आप कह रहें हैं वो सही हो। मैं कुछ सिक्के लाया हूँ मौका मिला तो जांच करवाऊँगा।
लेकिन मुझे सिर्फ एक ही दुकान ही दुकान दिखाई दी और एक दुकान के लिए कोई क्यों सिक्के बनायेगा। फिर भी आपके कहने के बाद मैं सही तथ्य पता जरुर करुँगा। रही बात पुरात्तव विभाग की तो वो कितना काम करते हैं सबको पता है।
achcha laga sikkon ke bare mein jaankar! yatra par apne aalekh jari rakhiye.
जब मै गंगोत्री गया था तो वंहा भी मुझे ऐसे ही पुराने सिक्कों की दुकान मिली थी अब असली या नकली ये मै नहीं जानता हाँ दिखने मे तो असली ही लग रहे थे।
जब मै गंगोत्री गया था तो वंहा भी मुझे ऐसे ही पुराने सिक्कों की दुकान मिली थी अब असली या नकली ये मै नहीं जानता हाँ दिखने मे तो असली ही लग रहे थे।
सिक्कों की कीमत क्या है क्या महँगा बिकता है
मंहगे नहीं हैं.. लेकिन ये पता करना मुश्किल है कि कौनसा असली है.. अगर सिक्कों की जानकारी है तो फिर खरीदा जा सकता है..
AAP logo Mai se kisi Kai pass Haridwar Mai jaha purane Silke milte hai .shop ka koi call ntact no hai kya .
ये लोग हर की पौड़ी के आस-पास ही बैठे मिल जाते हैं..