देवप्रयाग

देवप्रयाग





देवप्रयाग हरिद्वार-बद्रीनाथ के रास्ते में आता है। इस पूरे रास्ते में पडने वाले पांच प्रयागों में से पहला देवप्रयाग ही है। यहीं पर भागीरथी और अलकनंदा का संगम होता है। जिसके बाद नदी को नया नाम गंगा मिलता है।

भागीरथी नदी गंगोत्री से आती है। माना जाता है कि गंगोत्री से ही गंगा निकलती है। अलकनंदा नदी चार धामों में से एक बद्रीनाथ नाथ के पास से निकलती है।

अब टिहरी में भागीरथी पर बांध बना दिया गया है। बांध बनने के बाद भागीरथी में आने वाले पानी में काफी कमी आई है।जब मैने देवप्रयाग के लोगों से पूछा तो पानी में कमी की बात उन्होनें ने भी स्वीकार की।

यहां पर दोनों नदियों के रंग में जमीन आसमान का अंतर दिखाई देता है। अलकनंदा का पानी गहरा काला लगता है वहीं भागीरथी हल्का हरा रंग लिए नजर आती है।

देवप्रयाग को पवित्र तीर्थ माना जाता है। यहां भगवान राम का पुराना मदिर भी है। नदियों के मिलने की जगह तक जाने के लिए सीढियां बनी हैं। जहां जाकर संगम में स्नान किया जा सकता है।

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