जयपुर का खान पान…………
जयपुर एक अनोखा शहर है। अपना आधुनिक बसावट के लिए इसको दुनिया भर मे जाना जाता है। इसके साथ ही यहां का खान पान भी सबसे अलग और अनोखा है। तो आज सैर करते हैं जयपुर के खान पान की।
रंगीले राजस्थान की तरह ही इसकी राजधानी जयपुर का खान पान भी रंग बिंरगा ही है। खाने में तेज मसाले और चटपटा होना इसकी पहचान है। शुरुआत करते हैं सुबह के नाश्ते के साथ।
कचौडी, मिर्ची बडा और जलेबी यहां के पारम्परिक नाश्ते का हिस्सा है। सुबह के समय हर मिठाई की दुकान पर इसे खाते हुए लोग मिल जायेगे। अगर आप चार दिवारी के अंदर पुराने जयपुर में हैं तो फिर तो दुकानों की कोई कमी नहीं होगी।
कचौडी दो तरह की बनाई जाती हैं एक तो हैं प्याज आलू की कचौडी और दूसरी है दाल की कचौडी। दाल की कचौडी के अन्दर की उडद दाल भरी जाती है। कुछ दुकाने अपने कचौडीयो के लिए प्रसिद्ध हैं।
सबसे पहले को जिक्र करना होगा रावत कचौडी का। ये दुकान जयपुर बस अड्डे के पास पोलोविक्ट्री सिनेमा के दूसरी ओर है। दूर दूर के लोग यहां कचौडी खाने आते हैं। राबत के यहां एक खास कचौडी बनती है जिसे मावा कचौडी कहते हैं। इस में दूध से बनाया मीठा मावा भरा जाता है। बहुत ही स्वादिष्ट होती है ये लेकिन आप इसे एक से ज्यादा चाह कर भी नहीं खा सकते हैं।
एक और प्रसिद्ध दुकान पुराने जयपुर के चौडा रास्ता पर हैं। चौडा रास्ता के स्टेट बैंक के विपरीत सडक के दूसरी और ये दुकान है इसका नाम अभी याद नहीं आ रहा, बहुत समय हो गया है जयपुर छोडे । यहां कचौडी, के साथ मिर्ची बडे और समोसे भी खाये जा सकते हैं। चौडा रास्ता जयपुर में किताबों का सबसे बडा बाजार है। जिसके चलते यहां कई तरह के कोचिंग सेन्टर खुल गये हैं।
मैने भी बारहवी के बाद इंजिनियरिंग के कोचिंग मे दाखिला लिया था। ये कोचिंग स्टेट बैंक के पास ही था। ये कहानी मैने इसलिए बताई की बता सकूं कि कोचिंग में सुबह जाते समय हमारा नाश्ता कचौडी ही हुआ करती थी। बीच में आकर हम लस्सी के साथ समोसे खाया करते थे।
इसके अलावा एक और दुकान जयपुर की प्रसिद्ध एमआई रोड पर है। पांच बत्ती चौराहे से जैसे ही रोड पर आगे बढेंगें सीधे हाथ पर छोटी सी दुकान है। जहां तक मुझे याद है इस का कोई नाम भी नहीं है। सुबह के समय यहां जलेबी भी बनती हैं।
इस दुकान पर भी कचौडी खाना मेरा रोज की आदत में था। ये बात अलग है कि यहां आना भी एक कोचिंग के सिलसिले में ही हुआ।
दुकान से कुछ पहले पांच बत्ती चौराहे पर एक दुकान में बादाम का दूध मिलता है। इस छोटी सी दुकान को घूमने फिरने की जानकारी देने किताब लोनली प्लेनेट ने भी अपनी लिस्ट में जगह दी है। ये तो हुआ जयपुर के नाश्ते का सफर लेकिन खाने का सफर पूरा नहीं हुआ है…. जारी……………….
7 thoughts on “जयपुर का खान पान…………”
कचौड़ी में दाल मूंग की नहीं उड़द की होती है। कभी कोटा की कचौड़ियों का जिक्र करेंगे जिसे लोग विदेश ले जाते हैं और बीस दिन बाद तक भी खाते हैं।
maza aaya..
जानकारी के लिए शुक्रिया दिनेशराय जी। ठीक कर दिया है मैने। कोटा की जानकारी दीजिएगा।
द्विवेदी जी की बात में दम है।
कोटा का पानी भी तेज मिर्ची को सपोर्ट करता है।
एयरोडम सर्किल पर एक दुकान है, शायद जैन कचोरीवाला, जहां कचोरी के लिए भीड लगती रहती है।
वैसे मेरे हिसाब से जोधपुर सबसे फेमस है कचोरी के लिए।
कचौड़ी खाने को मिलना भी किस्मत की बात है! अब तो जब दिल करता है तो सोचना पड़ता है कि कौन बनायेगा और अधिकतर इसी प्रश्न पर बात रुक जाती है. तब चिट्ठों में औरों के खाने की पढ़ कर ही तसल्ली कर लेते हैँ! 🙂
चौडा रास्ता के स्टेट बैंक के विपरीत सडक के दूसरी और ये दुकान है इसका नाम अभी याद नहीं आ रहा, बहुत समय हो गया है जयपुर छोडे ।
के एम बी सम्राट.
very informative and also mouth watering article depanshu ji..