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Month: March 2017

विष्णुपुर Bishnupur

विष्णुपुर Bishnupur

Travel Postcard विष्णुपुर पश्चिम बंगाल के बांकुडा जिले का छोटा सा शहर है विष्णुपुर। मल्ल राजाओं की राजधानी रहे विष्णुपुर में कला, संगीत और स्थापत्य कला की अनूठी शैली का विकास हुआ। वैष्णण मल्ल राजाओं ने यहां अनोखे टेराकोटा मंदिरों का निर्माण करवाया । 17वीं और 18वीं सदी में बने इन अनूठे मंदिरों को टेराकोटा ईंटों से तैयार किया गया है। इसके साथ ही विष्णुपुर बालचुरी साडियों और पीतल की सजावटी वस्तुओं के लिए भी जाना जाता है। यह शहर…

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शांतिनिकेतन SHANTINIKETAN

शांतिनिकेतन SHANTINIKETAN

Travel Postcard शांतिनिकेतन शांतिनिकेतन गुरू रविन्द्रनाथ टैगोर के सपनों की भूमि है । यह जगह बंगाल की कला और संस्कृति का केन्द्र भी है । इस शहर को गुरू रविन्द्रनाथ टैगोर ने बसाया। जहां उन्होंने 1921 में विश्वभारती विश्वविद्यालय की स्थापना की। यहां गुरू रविन्द्रनाथ से जुड़े भवनों और उनके संग्राहलय को देखा जा सकता है। यहां आकर शांति और सुकून का अहसास होता है। शांतिनिकेतन का पौष मेला और बसंत उत्सव बहुत लोकप्रिय हैं। यह कोलकाता से 212 किलोमीटर…

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गहिरमाथा Gahirmatha

गहिरमाथा Gahirmatha

Travel Postcard गहिरमाथा ओडीशा का गहिरमाथा समुद्री तट हर साल प्रकृति के एक अद्भुत नजारे का गवाह बनता है। नवंबर के महीने में हजारों की संख्या में विशाल ओलिव रिडले कछुए अंडे देने के लिए इस समुद्री तट पर आते हैं। ये कछुए महासागरों में हजारों किलोमीटर की दूर तय करके यहां पहुंचते हैं। ओलिव रिडले मादा कछुओं की यह खासियत होती है कि वे हर साल एक ही जगह पर अंडे देने के लिए वापस आती हैं। ओलिव रिडले…

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धौलीगिरी dhauligiri

धौलीगिरी dhauligiri

Travel Postcard धौलीगिरी भुवनेश्वर के नजदीक ही है धौलीगिरी। यहीं दया नदी के किनारे कलिंग का युद्ध हुआ था। इसी युद्ध के बाद सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया था। यहां पर सम्राट अशोक का प्रसिद्ध धौली शिलालेख मिला है जिसमें अशोक ने बौद्ध धर्म और उसके दर्शन के बारे में बताया है। धौली शिलालेख के साथ ही चट्टान पर हाथी की मूर्ति उकेरी गई है। यह ओडिशा की शुरूआती बौद्ध मूर्तियों में से एक है। पहाडी पर एक…

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उदयगिरी और खंडगिरी गुफाएं UDAYAGIRI AND KHANDGIRI CAVES

उदयगिरी और खंडगिरी गुफाएं UDAYAGIRI AND KHANDGIRI CAVES

Travel Postcard खंडगिरी और उदयगिरी गुफाएं भुवनेश्वर के पास स्थित ये गुफाएं जैन और बौद्ध धर्म से संबंध रखती हैं। पहाडों को काट कर उदयगिरी में 18 और खंडगिरी में 15 गुफाएं बनाई गई । ये गुफाएं ओडीसा की सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक जगहों में से एक हैं। इन गुफाओं में जैन और बौद्ध भिक्षु रहा करते थे। अधिकतर गुफाओं का निर्माण राजा खारवेल के समय में हुआ। उदयगिरी की रानी गुंफा दो मंजिला है । उदयगिरी से ही खारवेल का…

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भुवनेश्वर Bhubaneswar

भुवनेश्वर Bhubaneswar

Travel Postcard वर्तमान ओडिशा राज्य की राजधानी भुवनेश्वर एक प्राचीन शहर है। मंदिरों के इस शहर में बौद्ध, जैन और हिन्दु तीनों ही धर्मों का फैलाव हुआ। लिंगराज मंदिर यहां का प्रसिद्ध मंदिर है। यह शिव मंदिर एक हजार साल से भी ज्यादा पुराना है। इस मंदिर की कारीगरी और स्थापत्य कला देखने लायक है। मंदिर के हर पत्थर पर कोई ना कोई कलाकृति उकेरी गई है। माना जाता है कि किसी समय भुवनेश्वर में 7000 मंदिर हुआ करते थे।…

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चिल्का झील CHILKA LAKE

चिल्का झील CHILKA LAKE

Travel Postcard प्रकृति का नगीना है उड़ीसा की चिल्का झील। यह भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। समुद्र के किनारे स्थित इस झील में मछलियों और पक्षियों की ढेरो प्रजातियां पाई जाती हैं। इसमें इरावदी प्रजाति की दुर्लभ डाल्फिन देखने को मिलती हैं। इसके साथ ही सर्दियों में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी भी चिल्का आते हैं। उड़ीसा का सफर चिल्का को देख बिना पूरा ही नहीं हो सकता। करीब 1100 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैली…

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सूर्य मंदिर, कोणार्क sun temple , Konark

सूर्य मंदिर, कोणार्क sun temple , Konark

Travel postcard कोणार्क का सूर्य मंदिर भारत की प्राचीन वास्तुकला और इंजीनियरिंग की बेहतरीन मिसाल है। पहली ही नजर में यह अपनी विशालता और खूबसूरती से सम्मोहित कर लेता है। 13वीं सदी में बने इस मंदिर को भगवान सूर्य के रथ की तरह बनाया गया था। मंदिर की दीवारों को देवी, देवताओं और जानवरों की सुन्दर मूर्तियों से सजाया गया है। माना जाता है कि सुबह सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह की मूर्ति पर ही पड़ती थी। यह…

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जगन्नाथ पुरी Jagannath Puri

जगन्नाथ पुरी Jagannath Puri

Travel Postcard जगन्नाथ पुरी हिन्दु धर्म के चार धामों से एक है जगन्नाथ पुरी। पुरी में भगवान जगन्नाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। 12 वीं शताब्दी में बना यह मंदिर वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। भगवान जगन्नाथ कृष्ण के ही एक रूप हैं। मंदिर में भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की पूजा होती है। साल में एक बार तीनों की रथयात्रा निकलती है। रथयात्रा के दर्शन और भगवान का रथ खींचने के लिए पूरी दुनिया से भक्त पुरी आते…

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चंपारण्य CHAMPARANYA

चंपारण्य CHAMPARANYA

Travel Postcard चंपारण्य को चंपाझर भी कहा जाता था। छत्तीसगढ के इस छोटे से कस्बे का वैष्णव सम्प्रदाय में बडा महत्व है। वैष्णव सम्प्रदाय के वल्लभ मत के संस्थापक स्वामी वल्लभाचार्य का जन्म यहीं हुआ था। वल्लभ मत को पुष्टिमार्ग भी कहा जाता है। उनकी याद में यहां एक मंदिर बना है। वैसाख महीने के 11वें दिन स्वामी वल्लभाचार्य के जन्मदिन पर मंदिर में एक मेला लगता है जिसमें दूर-दूर से भक्त आते हैं। इसके साथ ही यहां का चंपाकेश्वर…

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