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Category: Travel postcard

डिंडी

डिंडी

डिंडी आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले का छोटा सा अनछुआ गांव है डिंडी। गोदावरी नदी के किनारे बसे डिंडी में सुरम्य बैकवॉटर, साफ पानी से भरी झीलें और छोटी – छोटी नदियां हैं। यहां पानी की नहरों के किनारे उगे नारियल के पेड़ और दूर-दूर तक फैले धान के खेत अलग दुनिया में आने का अहसास दिलाते हैं। शहरों की भागदौड़ और आधुनिक जीवन की आपाधापी से दूर यहां शांति से समय बिताया जा सकता है। पर्यटक यहां हाउसबोट…

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कडपा

कडपा

कडपा पूर्वी घाट के खूबसूरत पहाड़ों पर बसा है आंध्र प्रदेश का कडपा। नल्लमला और पालकोंडा पहाडों से घिरे कड़पा में हरे-भरे मैदानों से लेकर पहाड़ों तक सब कुछ है। ग्रामीण आंध्र प्रदेश की झलक यहां दिखाई देती है। इस जगह को तिरुपति मंदिर का द्वार कहा जाता है। यहां के दुवनी कडापा मंदिर की बहुत मान्यता है। यहां मस्ज़िद-ए-आज़म 17वीं सदी में बनाई मुगल शैली का मस्ज़िद है जिसे मुगल बादशाह औंरगज़ेब ने बनवाया था। कडपा की अमीन पीर…

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नेल्लोर

नेल्लोर

नेल्लोर पेन्नार नदी के किनारे बसा है आंध्र प्रदेश का ऐतिहासिक शहर नेल्लोर। खूबसूरत मंदिर, झीलें, नदियां और समुद्र तट,नेल्लोर में वह सब कुछ है जो आराम से कुछ दिन बिताने वाले को चाहिए। 600 वर्ष पुराना रंगनाथस्वामी मंदिर यहां का सबसे बड़ा आकर्षण है।यहां खारे पानी की पुलीकट झील में तरह-तरह के प्रवासी पक्षी के देखे जा सकते हैं। नेल्लोर के पास नेलापाट्टु पक्षी अभ्यारण्य है जो पेलिकन पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है। इसके साथ ही काडूर और मायपाडु…

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ओंगोले

ओंगोले

ओंगोले ओंगोले का इतिहास ईसा से 230 साल पुराना है। मोर्य और सातवाहन वंशों का यहां शासन रहा। यहां सातवाहन समय के अभिलेख मिले हैं। आंध्रप्रदेश का यह इलाका प्राचीन स्मारकों और प्राकृतिक सुन्दरता का मेल है। शांत वातावरण में कुछ समय बिताना चाहते हैं तो ओंगोले आया जा सकता है। कोथापटनम और वोडरवू दो समुद्री तट ओंगोले के पास ही हैं। यहां के सुन्दर तटों पर रोमांचक समुद्री खेलों का मजा भी लिया जा सकता है। 12वीं शताब्दी में…

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कुर्नूल

कुर्नूल

कुर्नूल प्राचीन स्मारकों, महलों और मंदिरों का घर का हैं आंध्रप्रदेश का कुर्नूल। तुंगभद्रा नदी के किनारे बसे इस ऐतिहासिक कस्बे को 11वीं सदी में बसाया गया था। विजयनगर राजाओं के बनाए किले के अवशेष यहां देखे जा सकते हैं।किले के साथ नदी की बाढ़ को रोकने के लिए बनाई गई दीवार है जिसे इंजिनियरिंग का करिश्मा माना जाता है।नागारेश्वरस्वामी और वेणुगोपालस्वामी यहां के प्रसिद्ध मंदिर हैं। कुर्नूल के पास केटावरम में पाषाण काल की रॉक पेन्टिंग्स हैं जो करीब…

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फतेहगढ़ साहिब

फतेहगढ़ साहिब

फतेहगढ़ साहिब फतेहगढ़ साहिब शहर सिक्ख इतिहास में अहम जगह रखता है । सिक्खों के दसवें गुरू, गुरू गोविंद सिंह जी के दो पुत्रों जोरावर सिंह और फतेह सिंह को सरहिंद के सूबेदार ने यहीं जिंदा दीवार में चुनवा दिया था । उनकी शहादत की याद में यहां गुरूद्वारा फतेहगढ़ साहिब का निर्माण किया गया । गुरूद्वारा फतेहगढ़ साहिब में कई ऐतिहासिक गुरूद्वारे हैं। फतेहगढ़ साहिब के पास ही है संघोल। संघोल एक सिंधु सभ्यता कालीन स्थल है। यहां के…

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बठिंडा

बठिंडा

बठिंडा पंजाब के सबसे पुराने शहरों में एक है बठिंडा। शहर का नाम भट्टी राजपूतों के नाम पर पड़ा। बठिंडा में सबसे लोकप्रिय जगह है यहां का किला जिसे किला मुबारक कहा जाता है। यह किला करीब 2000 साल पुराना है। इसी किले में भारत की पहली महिला सुल्तान रज़िया को कैद करके रखा गया था। बठिंडा के पीर बाबा हाजी रतन की मज़ार की बहुत मान्यता है। गुरू नानक और गुरू गोविंद सिंह दोनों ने ही इस मज़ार पर…

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दमदमा साहिब

दमदमा साहिब

दमदमा साहिब तख्त़ श्री दमदमा साहिब सिक्ख धर्म के पांच तख्‍त़ों में से एक है। भटिंडा के पास तलवंडी साबो में यह स्थित है। गुरू गोविंद सिंह ने मुक्तसर की लड़ाई के बाद यहां कुछ देर आराम किया था इसलिए इस जगह का नाम दमदमा पड़ा। गुरू गोविंद सिंह जी ने इसे सिक्ख शिक्षा के केन्द्र के रूप में विकसित किया और यहीं पर उन्होंने गुरू ग्रंथ साहिब को पूरा किया था। यहां गुरूद्वारे के दर्शन के साथ बुर्ज़ बाबा…

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गुरदासपुर

गुरदासपुर

गुरदासपुर रावी और सतलुज नदियों के बीच बसा है पंजाब का ऐतिहासिक और धार्मिक शहर गुरदासपुर। यहां पाकिस्तान की सीमा पर रावी नदी के किनारे डेरा बाबा नानक है । सिक्खों के प्रथम गुरू, गुरू नानक देव जी यहां रहे थे और उन्होंने उपदेश दिए थे। डेरा बाबा नानक में गुरूद्वारा दरबार साहिब बना है। कलानौर वह जगह है जहां मुगल बादशाह अकबर का राज्याभिषेक किया गया था। हरगोविन्दपुर कस्बे में गुरू की मस्जिद है जो सर्वधर्म सम्भाव की मिसाल…

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कपूरथला

कपूरथला

कपूरथला पंजाब के कपूरथला शहर को सुन्दर इमारतों, सड़कों और बगीचों के लिए जाना जाता है। जैसलमेर के राणा कपूर ने 11वीं शताब्दी में इस शहर की स्थापना की थी। 20वीं सदी की शुरूआत में महाराजा जगजीत के समय यहां बहुत सी इमारतों का निर्माण हुआ। इन इमारतों में फ्रेंच, भारतीय-इस्लामी और सिक्ख स्थापत्य का मेल दिखाई देता है। जगजीत पैलेस इस दौर की बेहतरीन इमारत है। मोरक्को की कुतबिया मस्जिद के आधार पर बनी मूरिश मस्जिद और पंज मंदिर…

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