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Category: India

अमृतसर का खाना

अमृतसर का खाना

पंजाब का नाम सुनते ही ध्यान में आती है मौज मस्ती और पंजाबियों की जिंदादिली, और जितने जिंदादिल हैं यहां के लोग, उतना ही जानदार है यहां का खाना। मक्खन, घी, दूध, दही और लस्सी तो यहां के रोजमर्रा के खाने का हिस्सा है। । इस बार पंजाब की यात्रा में जी भर कर पंजाब का खाना खाया। पंजाबी खाना खाने के लिए अमृतसर से बढ़िया जगह कौन सी हो सकती है भला। तो आज बात अमृतसर के पंजाबी खाने…

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अमृतसर हेरिटेज वॉक- झरोखे से झांकता इतिहास

अमृतसर हेरिटेज वॉक- झरोखे से झांकता इतिहास

अमृतसर अनोखा शहर है। इसकी शुरुआत एक धार्मिक जगह के तौर पर हुई। गुरु रामदास जी ने सन् 1574 में इसकी नींव रखी थी।  शहर बढने के साथ ही यहां राजस्थान जैसे इलाकों से व्यापारियों को बसाया गया। जिससे यह उत्तर भारत से अफगानिस्तान तक के इलाके की प्रमुख व्यापारिक मंडी में बदल गया। एक धार्मिक शहर से व्यापारिक शहर बनने तक के दौर में अमृतसर ने बहुत उतार चढ़ाव देखे। अमृतसर के विकास की यह कहानी यहां कि गलियों, बाजारों, हवेलियों…

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अमृतसर का सारागढ़ी गुरुद्वारा – सिक्ख वीरता की अमिट निशानी

अमृतसर का सारागढ़ी गुरुद्वारा – सिक्ख वीरता की अमिट निशानी

सारागढ़ी गुरुद्वारा , अंमृतसर सारागढ़ी गुरुद्वारा अमृतसर के टाउन हाल और स्वर्णमंदिर के पास ही बना है। गुरुद्वारा इतना छोटा है कि शायद इस पर आपकी नजर ही नहीं पड़ेगी। लेकिन इस छोटे से गुरुद्वारे से सिक्ख वीरता की अमिट कहानी जुड़ी है । यह कहानी है सारागढ़ी की लड़ाई और उसमें सिक्ख सैनिकों की बहादुरी की। खास बात यह है कि इस गुरुद्वारे को सन् 1902 में खुद अंग्रेजों ने अपने 21 बहादुर सिक्ख सैनिकों की याद में बनवाया…

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अशोक का सारनाथ सिंह स्तंभ

अशोक का सारनाथ सिंह स्तंभ

अशोक स्तंभ भारत के राजकीय चिन्ह सम्राट अशोक के सिंह स्तंभ को देखने की इच्छा ना जाने कब से मन में थी। मेरे वाराणसी जाने की एक वजह अशोक का सारनाथ स्तंभ भी था। आखिरकार सारनाथ पहुंचने के साथ ही मेरी हसरत पूरी हुई। अशोक के स्तंभों के मुख्यत दो हिस्से होते थे। ऊपरी हिस्से में बने किसी पशु की आकृति और नीचे का सपाट स्तंभ। सारनाथ के सिंह स्तंभ का ऊपरी हिस्सा या शीर्ष सारनाथ में पुरात्तव विभाग के…

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छोटा कैलाश- ट्रैंकिग का रोमांच- 7

छोटा कैलाश- ट्रैंकिग का रोमांच- 7

चढाई का छटा दिन पांचवे दिन हम लोग ऊँ पर्वत को देखकर वापस गुंजी के लिए चल दिये ।  शाम होते होते हम गुंजी पहुंच गये। रास्ते में कई जगह पर भुस्खलन के चलते रास्ते को बदल कर सीधी खडी चढाई भरे रास्तों से चढना उतरना पडा। खैर गुंजी पहुंच कर आराम आया। गुंजी इस इलाके का एक बडा कैंप है। कुमाऊं विकास निगम के इस कैंप में सुविधायें दूसरे कैंपों से बेहतर हैं। हां एक बात बताना जरुरी है…

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छोटा कैलाश- ट्रैकिंग का रोमांच-६

छोटा कैलाश- ट्रैकिंग का रोमांच-६

चार जून- चढाई का चौथा दिनचार जून- चढाई का चौथा दिनचार तारीख को हमें नबीढांग जाना था। नबीढांग वो जगह थी जहां से हमें हमारी यात्रा के पहले दर्शन होने थे। नबीढांग में हमें ऊँ पर्वत के दर्शन करने थे। गुंजी से नबीढांग करीब अठारह किलोमीटर का सफर है। गुंजी से नौ किलोमीटर दूर कालापानी तक का सफर आसान है और काली नदी के किनारे लगभग सपाट रास्ते पर ही चलता है। इसलिए इस रास्ते पर ज्यादा थकान महसूस नहीं…

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छोटा कैलाश- ट्रैकिंग का रोमांच-५

छोटा कैलाश- ट्रैकिंग का रोमांच-५

तीन जून- चढाई का तीसरा दिन- बुद्धि से गुंजी तीसरे दिन हमे बुद्धि से गुंजी तक का सत्रह किलोमीटर का सफर करना था। ये रास्ता पिछले दिनो के मुकाबले आसान था। रोज की तरह से ही हमारा दिन सुबह चार बजे ही शुरु हो गया सुबह की चाय के साथ। उसके बाद जल्दी से तैयार होकर साढे पांच बजे तक हम चल पडे अपने सफर पर। बुद्धि से पांच किलोमीटर आगे छियालेख घाटी पडती थी। जहां तक जाने का पहले…

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छोटा कैलाश- ट्रैकिंग का रोमांच-४

छोटा कैलाश- ट्रैकिंग का रोमांच-४

दो जून – चढाई का दूसरा दिन- गाला से बुद्धि गाला मे सुबह चार बजे ही हमे चाय दे दी गई। जिससे हम लोग समय से उठ कर तैयार हो सके। इस मामले में मै कुमाऊं पर्यटन के लोगों की सेवा भावना की दाद दूंगा। इतनी ठंड में भी वो हर वक्त हमारी जरुरत को पूरा करने के लिए तैयार रहते थे। इतनी ऊंचाई पर ठंड में काम करना आसान काम नही होता। हम सभी पांच बजे तक सफर के…

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छोटा कैलाश- ट्रैकिंग का रोमांच ३

छोटा कैलाश- ट्रैकिंग का रोमांच ३

धारचुला से १ जून को छोटा कैलाश का हमार सफर शुरु हुआ। आज के बाद से सभी को सुबह जल्दी उठने की आदत डालनी थी। इसलिए सभी सुबह चार बजे ही उठ गये। नाश्ता करने का बाद सभी को आगे के सफर की जानकारी दी गई। हमारे सफर की शुरुआत ही थोडी मुश्किलो से हुई। दरअसल आज के हमारे सफर में हमे धारचुला से गर्भाधार नामकी जगह तक गाडियो से जाना था उसके बाद गाला तक लगभग पांच किलोमीटर की…

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छोटा कैलाश- ट्रैंकिग का रोमांच-२

छोटा कैलाश- ट्रैंकिग का रोमांच-२

जागेश्वर में शाम को मंदिर के दर्शन के बाद हम घूमने निकले। यहा चारो तरफ देवदार के घने जंगल है जिनमे घूमने का अपना अलग ही मजा है। जंगल में तरह तरह की चिडिया दिखाई दी जिन्हे मैने पहले कभी नहीं देखा था। दिल्ली की गर्मी के बाद जागेश्वर की ठंडक बेहद सुकुन दे रही थी। अगले दिन हमें जागेश्वर से २०० किलोमीटर दूर धारचूला जाना था। भारत नेपाल सीमा पर बसा धारचूला कैलाश मानसरोवर और छोटा कैलाश यात्रा के…

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