पुरानी दिल्ली के चटकारे

पुरानी दिल्ली के चटकारे

दिल्ली आयें और यहां का खाना ना खायें तो बात अधूरी रह जाती है। आज बात दिल्ली के तरह तरह के खाने पीने की। मुझे तो घूमने फिरने के साथ ही पंसद है अलग अलग तरह का खाना खाना। दिल्ली में अगर खाना हो तो बात फिर पुरानी दिल्ली की करनी ही होगी।

मुगलों के जमाने से ही बसी पुरानी दिल्ली में मुगलों ने भारत भर से लोगों को लाकर यहां बसाया। लोगों के साथ ही पहुचाँ भारत भर का खान पान भी।

बात की शुरुआत परांठों वाली गली से। नाम से ही पता चल रहा है कि यहां क्या मिलता है। चांदनी चौक में शीशगंज गुरूद्वारे के आगे वाली गली ही कहलाती है परांठे वाली गली। किसी समय पूरी गली में परांठे की ही दुकाने थी लेकिन अब बदलते वक्त के साथ चार रह गयी हैं।

ये दुकाने करीब सौ से सवा सौ साल पुरानी हैं। परांठे बनाने वाले ये लोग मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं। यहां आप आलू परांठे से लेकर रबडी परांठा और खुरचन परांठां तक सब ले सकते हैं। स्वाद ऐसा है कि एक बार खा लें तो शायद जिंदगी भर भूला नहीं पायेंगें।

इन को बनाने का तरीका भी अलग है परांठों को देसी घी सकने की बजाय तला जाता है और शायद ये ही इसके स्वाद का राज भी हैं।
परांठें खां कर जब बाहर निकलें तो गली के दूसरी और चाट की मशहूर दुकान है इस की आलू टिक्की और दही भल्ले बहुत ही मशहूर हैं। दूकान का नाम तो याद नहीं आ रहा है लेकिन ये मैट्रों स्टेशन जाने वाली गली के नुक्कड पर ही है।

इसी दूकान से कुछ दूर हैं मिठाई की मशहूर घंटेवाले की दुकान। मुगलो के जमाने में दुकान के आगे घंटा टंगा रहता था जिससे इसका नाम घंटेवाला ही पड गया। घंटेवाले पर हर तरह की मिठाई मिलती है लेकिन सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है इसका सोहन हलवा। एक बार जरुर खा कर देखे।

इसके बाद आप जा सकते हैं फतेहपूरी मस्जिद की तरफ। इसके पास ही रेलवे स्टेशन जाने वाली सडक पर हैं ज्ञानी कुल्फी फलूदा। खाते ही दिल्ली की सारी गर्मी जैसे हवा हो जाती है।

ये तो हुई बात कुछ मशहूर दुकानों की लेकिन मैने तो चांदनी चौक का मजा इसकी गलियो में घूम कर उठाया हैं। यहां पर घूमते हुए फेरी लगाकर खाने पीने का समान बेचने वालों की चीजों में भी आपको स्वाद ही मिलेगा।

चाट के लिए एक और मशहूर दूकान हैं पास ही के चावडी बाजार इलाके में जिसे मैने अनजाने मैं ही खोजा था। चावडी बाजार के मैट्रो स्टेशन के सामने है ये करीब सत्तर साल पुरानी दुकान। नाम तो याद नही आ रहा है आते ही लिख दूँगा। यहां आप पानी के बताशे और कई तरह के बडों का स्वाद ले सकते हैं।कलमी बडे खाना तो ना ही भूलें।

अगर आप मासाहार के शौकिन हैं तो चले आईये जामा मस्जिद के पास मटिया महल के इलाके में यहां है मशहूर करीम। करीम अपने मुगलई स्वाद के लिए जाना जाता है। दूर दूर से लोग आते हैं यहां खाने के लिए। मेरे एक दोस्त तो लखनऊ से दिल्ली करीम का खाना खाने के लिए ही आया करते थे। तो ये है पुरानी दिल्ली के खाने का सफर। बस आईये और खाने में लग जाईये।

2 thoughts on “पुरानी दिल्ली के चटकारे

Leave a Reply

Your email address will not be published.